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महाराष्ट्र के 'माउंट एवरेस्ट' पर फतह, 20 बार कलसुबाई शिखर पर की चढ़ाई, जानें कौन हैं शिवाजी गाडे - SUCCESS STORY OF SHIVAJI GADE

छत्रपति संभाजीनगर के शिवाजी गाडे दिव्यांग हैं. इस शख्स ने 2014 से अब तक 20 बार कलसुबाई चोटी पर चढ़ाई की है.

Success story Divyang person Shivaji Gade
शिवाजी गाडे ने 20 बार कलसुबाई शिखर पर चढ़ाई की है (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 6, 2024, 7:43 PM IST

मुंबई: कलसुबाई शिखर को महाराष्ट्र की सबसे ऊंची चोटी के रूप में जाना जाता है. इस चोटी पर चढ़ना आम लोगों के लिए भी बड़ा चैलेंज है.लेकिन महाराष्ट्र के एक दिव्यांग शख्स ने इस चोटी पर 20 बार फतह किया है. बता दें कि, हर साल बड़ी संख्या में किला प्रेमी, प्रकृति प्रेमी और कॉलेज के छात्र इस चोटी पर चढ़ाई करने आते हैं.

छत्रपति संभाजीनगर जिले के पैठण तालुका में जन्मे और पोलियो से पीड़ित दिव्यांग शिवाजी गाडे ने 14 साल पहले अपने जन्मदिन के अवसर पर कलसुबाई पर चढ़ने का अभियान शुरू किया था. उन्होंने दृढ़ संकल्प और साहस दिखाते हुए अपनी इच्छाशक्ति के बल पर महाराष्ट्र का एवरेस्ट माने जाने वाले कलसुबाई चोटी पर 20 बार चढ़ाई की है.

Success story Divyang person Shivaji Gade
शिवाजी गाडे को ब्रावो इंटरनेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड का अवार्ड भी मिल चुका है (ETV Bharat)

सहयोग से अनेक स्थानों की यात्रा
पैठण तालुका के वडवली गांव के शिवाजी गाडे को पदयात्रा और किलों की यात्रा का शौक है. इसी शौक के जरिए दिव्यांग शिवाजी गाडे ने अकोले तालुका और नगर जिले में महाराष्ट्र का एवरेस्ट माने जाने वाले 1646 मीटर (5400 फुट) कलसुबाई शिखर पर बीस बार सफलतापूर्वक चढ़ाई की है. रविवार (3 नवंबर) को भाऊबीजे के दिन शिवाजी गाडे ने अपने चार साथियों कचरू चंभारे, कल्याण घोलप, संतोष बटुले और सूरज बटुले के साथ शिखर पर भारतीय तिरंगा झंडा फहराया.

शिवाजी प्रतिष्ठान के जरिए शिखर पर
10 अक्टूबर 2010 को अपने जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने 14 साल पहले पहली बार कलसुबाई शिखर पर चढ़ाई की थी. 20 में से वे दस बार एक ही दिन में शिखर पर चढ़े और उतरे. दस बार वे कलसुबाई शिखर की चोटी पर रात भर वे रुके भी हैं. पर्वतारोहण और किला भ्रमण के शौक को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने शिवाजी प्रतिष्ठान संस्था के माध्यम से सैकड़ों दिव्यांगों को अपने साथ कलसुबाई चोटी पर ले गए हैं.

इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के 167 किलोमीटर की यात्रा भी की है. इस अनूठी पर्वतारोहण उपलब्धि के लिए शिवाजी गाडे को एक ग्लोबल, दो राष्ट्रीय और कई राज्य पुरस्कार मिल चुके हैं. पिछले 14 सालों से कलसुबाई चोटी पर हर साल 31 दिसंबर को राज्य के सैकड़ों दिव्यांगों के साथ 'थर्टी फर्स्ट' मनाने की अनूठी पहल लागू की गई है. शिवाजी गाडे ने बताया कि इस साल भी 31 दिसंबर को राज्य के दिव्यांगों द्वारा कलसुबाई चोटी पर ऊर्जा अभियान चलाया जाएगा.

ब्रावो इंटरनेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड अवार्ड से सम्मानित
शिवाजी गाडे को अंधे, मूक-बधिर, शारीरिक रूप से विकलांग और बहु-दिव्यांग लोगों सहित विभिन्न प्रकार के 400 दिव्यांग लोगों को कलसुबाई चोटी दिखाने के लिए ब्रावो इंटरनेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड का अवार्ड भी मिल चुका है. शिवाजी गाडे की इस अनूठी उपलब्धि के लिए राज्य भर के दिव्यांग लोगों ने उनकी सराहना की है.

मुंबई: कलसुबाई शिखर को महाराष्ट्र की सबसे ऊंची चोटी के रूप में जाना जाता है. इस चोटी पर चढ़ना आम लोगों के लिए भी बड़ा चैलेंज है.लेकिन महाराष्ट्र के एक दिव्यांग शख्स ने इस चोटी पर 20 बार फतह किया है. बता दें कि, हर साल बड़ी संख्या में किला प्रेमी, प्रकृति प्रेमी और कॉलेज के छात्र इस चोटी पर चढ़ाई करने आते हैं.

छत्रपति संभाजीनगर जिले के पैठण तालुका में जन्मे और पोलियो से पीड़ित दिव्यांग शिवाजी गाडे ने 14 साल पहले अपने जन्मदिन के अवसर पर कलसुबाई पर चढ़ने का अभियान शुरू किया था. उन्होंने दृढ़ संकल्प और साहस दिखाते हुए अपनी इच्छाशक्ति के बल पर महाराष्ट्र का एवरेस्ट माने जाने वाले कलसुबाई चोटी पर 20 बार चढ़ाई की है.

Success story Divyang person Shivaji Gade
शिवाजी गाडे को ब्रावो इंटरनेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड का अवार्ड भी मिल चुका है (ETV Bharat)

सहयोग से अनेक स्थानों की यात्रा
पैठण तालुका के वडवली गांव के शिवाजी गाडे को पदयात्रा और किलों की यात्रा का शौक है. इसी शौक के जरिए दिव्यांग शिवाजी गाडे ने अकोले तालुका और नगर जिले में महाराष्ट्र का एवरेस्ट माने जाने वाले 1646 मीटर (5400 फुट) कलसुबाई शिखर पर बीस बार सफलतापूर्वक चढ़ाई की है. रविवार (3 नवंबर) को भाऊबीजे के दिन शिवाजी गाडे ने अपने चार साथियों कचरू चंभारे, कल्याण घोलप, संतोष बटुले और सूरज बटुले के साथ शिखर पर भारतीय तिरंगा झंडा फहराया.

शिवाजी प्रतिष्ठान के जरिए शिखर पर
10 अक्टूबर 2010 को अपने जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने 14 साल पहले पहली बार कलसुबाई शिखर पर चढ़ाई की थी. 20 में से वे दस बार एक ही दिन में शिखर पर चढ़े और उतरे. दस बार वे कलसुबाई शिखर की चोटी पर रात भर वे रुके भी हैं. पर्वतारोहण और किला भ्रमण के शौक को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने शिवाजी प्रतिष्ठान संस्था के माध्यम से सैकड़ों दिव्यांगों को अपने साथ कलसुबाई चोटी पर ले गए हैं.

इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र के 167 किलोमीटर की यात्रा भी की है. इस अनूठी पर्वतारोहण उपलब्धि के लिए शिवाजी गाडे को एक ग्लोबल, दो राष्ट्रीय और कई राज्य पुरस्कार मिल चुके हैं. पिछले 14 सालों से कलसुबाई चोटी पर हर साल 31 दिसंबर को राज्य के सैकड़ों दिव्यांगों के साथ 'थर्टी फर्स्ट' मनाने की अनूठी पहल लागू की गई है. शिवाजी गाडे ने बताया कि इस साल भी 31 दिसंबर को राज्य के दिव्यांगों द्वारा कलसुबाई चोटी पर ऊर्जा अभियान चलाया जाएगा.

ब्रावो इंटरनेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड अवार्ड से सम्मानित
शिवाजी गाडे को अंधे, मूक-बधिर, शारीरिक रूप से विकलांग और बहु-दिव्यांग लोगों सहित विभिन्न प्रकार के 400 दिव्यांग लोगों को कलसुबाई चोटी दिखाने के लिए ब्रावो इंटरनेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड का अवार्ड भी मिल चुका है. शिवाजी गाडे की इस अनूठी उपलब्धि के लिए राज्य भर के दिव्यांग लोगों ने उनकी सराहना की है.

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