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संसदीय समिति ने सरकार से कहा, इंटरपोल के साथ समन्वय मजबूत करें - संसदीय समिति इंटरपोल समन्वय मजबूत

Parliamentary Committee to Govt: एक संसदीय समिति ने सरकार को आतंकवाद को लेकर कई सुझाव दिए हैं. इस संबंध में हाल ही में संसद में एक रिपोर्ट पेश किया गया. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संववादाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट..

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संसदीय समिति ने सरकार से कहा, इंटरपोल के साथ समन्वय मजबूत करें
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 15, 2024, 9:40 AM IST

नई दिल्ली: एक संसदीय समिति ने देश में आतंकवाद और इससे जुड़ी घटनाओं के संबंध में केंद्र सरकार से इंटरपोल के साथ अपने समन्वय को मजबूत करने को कहा है. इसमें इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला गया है कि भारत में इस्लामिक और खालिस्तानी आतंकवाद का खतरा बढ़ गया है. संसदीय समिति ने इन अपराधों से संबंधित डेटाबेस का उपयोग करने के लिए कहा है. साथ ही आतंकवादी हमलों का तेजी से और निर्णायक रूप से जवाब देने को कहा है.

विदेश मंत्रालय की संसदीय समिति ने अपनी 28वीं रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, मंगोलिया, बेलारूस के साथ पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) और सुरक्षा सहयोग समझौतों पर चल रही बातचीत और हस्ताक्षर की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए. समिति ने कहा, 'शेष देशों के साथ ऐसी संधियों और समझौतों पर हस्ताक्षर करने की संभावनाओं का भी पता लगाया जाना चाहिए और इन संधियों और समझौतों के प्रभावी संचालन के लिए प्रयास किए जाने चाहिए.'

आपराधिक मामलों में एमएलएटी (MLAT) 41 देशों में लागू है. भारत ने अन्य देशों के साथ सुरक्षा सहयोग पर 28 समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए हैं. गौरतलब है कि जर्मनी और मोजाम्बिक के साथ आपराधिक मामलों में एमएलएटी पर हस्ताक्षर अंतिम चरण में हैं, जबकि संधि के पाठ को अंतिम रूप देने के लिए केन्या, फिलीपींस और नेपाल के साथ बातचीत को लेकर बैठकें चल रही हैं.

भाजपा सांसद पीपी की अध्यक्षता वाली समिति चौधरी ने कहा,'समिति ने रेखांकित किया कि आपराधिक मामलों में एमएलएटी अपराधों की रोकथाम, जांच, अभियोजन और दमन में अनुबंध करने वाले देशों की प्रभावशीलता में सुधार करेगा और प्रतिभागियों की खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच निरंतर सहयोग को सक्षम करेगा.

साथ ही सुरक्षा सहयोग समझौते अंतरराष्ट्रीय अपराधों और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, साइबर अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, भारतीय मुद्रा नोटों की जालसाजी, मानव तस्करी आदि से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने के लिए एक संस्थागत तंत्र प्रदान करते हैं.' गौरतलब है कि आतंकवाद से मुकाबले पर अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए भारत ने 27 देशों के साथ काउंटर टेररिज्म (JWG-CT) पर संयुक्त कार्य समूह की स्थापना की है.

भारत बिम्सटेक, एसएए जैसे क्षेत्रीय निकायों के साथ जुड़ा हुआ है. भारत बिम्सटेक, सार्क, आसियान क्षेत्रीय फोरम, एससीओ, ब्रिक्स और क्वाड फोरम जैसे क्षेत्रीय निकायों के साथ जुड़ा हुआ है. राज्य पुलिस और विदेशी साझेदारों के सहयोग से नियमित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, सम्मेलन और संयुक्त अभ्यास आयोजित किए जाते हैं और आतंकवाद विरोधी अभियानों में क्षमता बढ़ाने के लिए नए तकनीकी उपकरण खरीदे जा रहे हैं.

केंद्र ने आतंकवाद से निपटने वाले बहु एजेंसियों के दायरे को आतंकवाद के साथ अन्य अपराधों के संबंधों को शामिल करने के लिए विस्तारित किया है. रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया है कि आतंकवाद विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और एनआईए (NIA) की क्षमताओं का विस्तार किया गया है.

इसके अलावा अन्य देशों में वांछित आतंकवादियों के खिलाफ भी इंटरपोल के माध्यम से कानूनी कार्रवाई की जाती है. मंत्रालय ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में बताया है कि संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी रणनीति के आधार पर राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी रणनीति का एक मसौदा तैयार किया गया है और इसे गृह मंत्रालय के साथ साझा किया गया है.

समिति ने सरकार द्वारा किए गए सभी प्रयासों को स्वीकार किया. साथ ही कहा कि सरकार को आतंकवाद विरोधी रणनीति में सुधार करना चाहिए. इसके लिए नए तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके बुनियादी ढाँचे में विकास को बढ़ाना चाहिए. जेडब्ल्यूजी और क्षेत्रीय निकायों को अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुख बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए, समिति ने सिफारिश की कि उनके कामकाज का व्यापक मूल्यांकन किया जा सकता है और उसके अनुसार एक कार्य योजना तैयार की जा सकती है. समिति के मुताबिक खालिस्तानी आतंकवाद के अलावा भारत में आतंकवाद की समस्या काफी हद तक सीमा पार से प्रायोजित है.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा,'पाकिस्तान-आईएसआई का लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), हिजबुल मुजाहिदीन (HM), इंडियन मुजाहिदीन (IM) आदि जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. इन आतंकी संगठनों को सुरक्षित पनाह, सहायता सामग्री और फंडिंग किया जाता है. साथ ही भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती है.'

ये भी पढ़ें- संसदीय पैनल ने केंद्रीय अधिनियमों को लागू करने में देरी के लिए मंत्रालयों को फटकार लगाई

नई दिल्ली: एक संसदीय समिति ने देश में आतंकवाद और इससे जुड़ी घटनाओं के संबंध में केंद्र सरकार से इंटरपोल के साथ अपने समन्वय को मजबूत करने को कहा है. इसमें इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला गया है कि भारत में इस्लामिक और खालिस्तानी आतंकवाद का खतरा बढ़ गया है. संसदीय समिति ने इन अपराधों से संबंधित डेटाबेस का उपयोग करने के लिए कहा है. साथ ही आतंकवादी हमलों का तेजी से और निर्णायक रूप से जवाब देने को कहा है.

विदेश मंत्रालय की संसदीय समिति ने अपनी 28वीं रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, मंगोलिया, बेलारूस के साथ पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) और सुरक्षा सहयोग समझौतों पर चल रही बातचीत और हस्ताक्षर की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए. समिति ने कहा, 'शेष देशों के साथ ऐसी संधियों और समझौतों पर हस्ताक्षर करने की संभावनाओं का भी पता लगाया जाना चाहिए और इन संधियों और समझौतों के प्रभावी संचालन के लिए प्रयास किए जाने चाहिए.'

आपराधिक मामलों में एमएलएटी (MLAT) 41 देशों में लागू है. भारत ने अन्य देशों के साथ सुरक्षा सहयोग पर 28 समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए हैं. गौरतलब है कि जर्मनी और मोजाम्बिक के साथ आपराधिक मामलों में एमएलएटी पर हस्ताक्षर अंतिम चरण में हैं, जबकि संधि के पाठ को अंतिम रूप देने के लिए केन्या, फिलीपींस और नेपाल के साथ बातचीत को लेकर बैठकें चल रही हैं.

भाजपा सांसद पीपी की अध्यक्षता वाली समिति चौधरी ने कहा,'समिति ने रेखांकित किया कि आपराधिक मामलों में एमएलएटी अपराधों की रोकथाम, जांच, अभियोजन और दमन में अनुबंध करने वाले देशों की प्रभावशीलता में सुधार करेगा और प्रतिभागियों की खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच निरंतर सहयोग को सक्षम करेगा.

साथ ही सुरक्षा सहयोग समझौते अंतरराष्ट्रीय अपराधों और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, साइबर अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, भारतीय मुद्रा नोटों की जालसाजी, मानव तस्करी आदि से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने के लिए एक संस्थागत तंत्र प्रदान करते हैं.' गौरतलब है कि आतंकवाद से मुकाबले पर अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए भारत ने 27 देशों के साथ काउंटर टेररिज्म (JWG-CT) पर संयुक्त कार्य समूह की स्थापना की है.

भारत बिम्सटेक, एसएए जैसे क्षेत्रीय निकायों के साथ जुड़ा हुआ है. भारत बिम्सटेक, सार्क, आसियान क्षेत्रीय फोरम, एससीओ, ब्रिक्स और क्वाड फोरम जैसे क्षेत्रीय निकायों के साथ जुड़ा हुआ है. राज्य पुलिस और विदेशी साझेदारों के सहयोग से नियमित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, सम्मेलन और संयुक्त अभ्यास आयोजित किए जाते हैं और आतंकवाद विरोधी अभियानों में क्षमता बढ़ाने के लिए नए तकनीकी उपकरण खरीदे जा रहे हैं.

केंद्र ने आतंकवाद से निपटने वाले बहु एजेंसियों के दायरे को आतंकवाद के साथ अन्य अपराधों के संबंधों को शामिल करने के लिए विस्तारित किया है. रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया है कि आतंकवाद विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और एनआईए (NIA) की क्षमताओं का विस्तार किया गया है.

इसके अलावा अन्य देशों में वांछित आतंकवादियों के खिलाफ भी इंटरपोल के माध्यम से कानूनी कार्रवाई की जाती है. मंत्रालय ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में बताया है कि संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी रणनीति के आधार पर राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी रणनीति का एक मसौदा तैयार किया गया है और इसे गृह मंत्रालय के साथ साझा किया गया है.

समिति ने सरकार द्वारा किए गए सभी प्रयासों को स्वीकार किया. साथ ही कहा कि सरकार को आतंकवाद विरोधी रणनीति में सुधार करना चाहिए. इसके लिए नए तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके बुनियादी ढाँचे में विकास को बढ़ाना चाहिए. जेडब्ल्यूजी और क्षेत्रीय निकायों को अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुख बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए, समिति ने सिफारिश की कि उनके कामकाज का व्यापक मूल्यांकन किया जा सकता है और उसके अनुसार एक कार्य योजना तैयार की जा सकती है. समिति के मुताबिक खालिस्तानी आतंकवाद के अलावा भारत में आतंकवाद की समस्या काफी हद तक सीमा पार से प्रायोजित है.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा,'पाकिस्तान-आईएसआई का लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), हिजबुल मुजाहिदीन (HM), इंडियन मुजाहिदीन (IM) आदि जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. इन आतंकी संगठनों को सुरक्षित पनाह, सहायता सामग्री और फंडिंग किया जाता है. साथ ही भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती है.'

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