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पॉलिटिक्स का सेंटर बना केदारनाथ, विवादों को भुनाने में जुटी कांग्रेस, कमबैक की कोशिश में बीजेपी - Kedarnath assembly byelection - KEDARNATH ASSEMBLY BYELECTION

उत्तराखंड में मंगलौर और बदरीनाथ उपचुनाव में अपनी जीत दर्ज कराने के बाद कांग्रेस की नजर केदारनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर है. यहीं कारण है कि कांग्रेस इन दिनों केदारनाथ से जुड़े तमाम विवादों पर सरकार को घेरने में लगी और बीजेपी पर कटाक्ष कर रही है. कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा इसका एक उदाहरण है. जिसकी शुरुआत कांग्रेस ने हरिद्वार से की. हालांकि बीजेपी भी अपने स्टाइल में कांग्रेस को जवाब देने का प्रयास कर रही है.

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पॉलिटिक्स का सेंटर बना केदारनाथ (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 25, 2024, 8:17 PM IST

Updated : Jul 25, 2024, 10:35 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में स्थित करोड़ों हिंदूओं की आस्था का केंद्र केदारनाथ धाम एक बार फिर चर्चाओं में है. हालांकि इस बार मुद्दा राजनीतिक ज्यादा है. केदारनाथ धाम को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच उत्तराखंड में जमकर राजनीति हो रही है. कांग्रेस जहां एक तरफ हरिद्वार से केदारनाथ बचाओ यात्रा निकाल कर सरकार को घेरने में लगी है तो वहीं बीजेपी, कांग्रेस की इस यात्रा को ढकोसला बता रही है. सवाल यहीं है कि इस राजनीति का केदारनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में किसे लाभ मिलेगा?

द्वादश ज्योतिर्लिंग और उत्तराखंड के चारधाम में से एक केदारनाथ धाम वैसे तो हमेशा से ही हिंदूओं की आस्था का बड़ा केंद्र रहा है. लेकिन 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद ये धाम काफी सुर्खियों में है. इसके बाद से ही यहां लगातार दुनिया भर से भक्त पहुंच रहे हैं.

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केदारनाथ धाम उत्तराखंड. (फोटो- ETV Bharat)

केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बड़े-बड़े सेलिब्रिटी हर साल बाबा केदार के दर पर माथा टेकने आते है. कुल मिलाकर कहा जाए तो केदारनाथ धाम किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बना ही रहता है. हालांकि इस बार के मुद्दे पर जमकर राजनीतिक हो रही है, जिसका कारण केदारनाथ विधानसभा सीट पर आगामी उपचुनाव है.

केदारनाथ में कांग्रेस और बीजेपी की टक्कर: बता दें कि केदारनाथ विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक शैला रानी रावत का हाल ही में निधन हुआ हैं, जिसके बाद ये सीट खाली हो गई है और यहां पर 6 महीने के भीतर उपचुनाव होने है. इस उपचुनाव को दोनों ही पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस जीतना चाहती है. कांग्रेस जहां हाल फिलहाल में केदारनाथ धाम को लेकर हुए विवाद पर सरकार को घेरने में लगी है तो वहीं बीजेपी बचाव की मुद्रा में नजर आ रही है.

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बीती 9 जुलाई को केदारनाथ सीट से बीजेपी विधायक शैला रानी रावत का निधन हुआ था. जिसके बाद केदारनाथ विधानसभा सीट खाली हुई है, जिस पर जल्द ही उपचुनाव होना है. (फोटो- ETV Bharat)

दिल्ली केदारनाथ धाम नाम से शुरू हुआ विवाद: हाल में केदारनाथ धाम को लेकर सबसे पहला विवाद दिल्ली से शुरू हुआ. दरअसल, दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर बनाया जा रहा है, जिसका हाल ही में भूमि पूजन हुआ. इस मंदिर के भूमि पूजन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी धामी समेत हरिद्वार के कुछ बड़े साधु-संत भी शामिल हुए थे. यहीं ये सारा विवाद शुरु हुआ.

कांग्रेस ने किया विरोध: कांग्रेस ने दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर बनाने का विरोध किया. मामला सुर्खियों में आया तो ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इसे गलत बताया. केदारनाथ धाम के तीर्थ-पुरोहित ने भी दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनने का विरोध किया. विवाद बढ़ा तो दिल्ली केदारनाथ धाम के संस्थापक खुद सामने आए और कहा कि इस मामले में उत्तराखंड सरकार का कोई रोल नहीं है और वो दिल्ली केदारनाथ धाम मंदिर का नाम बदलने को भी तैयार है.

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दिल्ली में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 10 जुलाई को केदारनाथ मंदिर का भूमि पूजन किया था. (फोटो- ETV Bharat)

धामी सरकार ने लिया बड़ा फैसला: दिल्ली केदारनाथ धाम विवाद से बैकफुट पर आई धामी सरकार ने फ्रंटफुट पर आने के लिए कैबिनेट में बड़ा फैसला लिया. जिसमें साफ किया गया है कि अगर उत्तराखंड के किसी भी धार्मिक स्थल का नाम या तस्वीर कोई और इस्तेमाल करेंगा तो उसके ऊपर कानूनी कार्रवाई होगी.

केदारनाथ सोना विवाद पर शंकराचार्य का बयान: इसके बाद सरकार ने केदारनाथ के तीर्थ-पुरोहितों को भी समझाया. जैसे-तैसे ये मुद्दा तो शांत हो गया है, लेकिन इसी बीच शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के एक बयान से केदारनाथ सोना विवाद फिर से सुर्खियों में आ गया.

सीएम धामी और बीकेटीसी अध्यक्ष ने दिया जवाब: केदारनाथ सोना विवाद पर बीकेटीसी (बदरी-केदार मंदिर समिति) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय से लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकार का पक्ष रखा और शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बयानों को बेबुनियाद बताया. हालांकि इस मुद्दे को भी कांग्रेस भुनने में लगी हुई है.

Congress
कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा हरिद्वार से शुरू हुई है. (फोटो- ETV Bharat)

केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा: इसी क्रम में कल 24 जुलाई को कांग्रेस ने हरिद्वार हरकी पैड़ी से केदारनाथ सम्मान बचाओ और केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा नाम से यात्रा की शुरुआत की. इस यात्रा में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा से लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य समेत प्रदेश के तमाम दिग्गज नेता शामिल हुए.

कांग्रेस की इस यात्रा का सीधा उद्देश्य केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में अपनी सीट को पक्का करना है. इस यात्रा के जरिए कांग्रेस ये बताने की कोशिश कर रही है कि बीजेपी सरकार, उत्तराखंड में धार्मिक स्थलों और उन मंदिरों से जुड़े लोगों का हक छीना चाहती है.

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का बीजेपी पर कटाक्ष: वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि बीजेपी जिस तरह से जातिवाद और धर्म के नाम पर देश में नफरत फैला रही है, कांग्रेस अब यह नफरत उत्तराखंड में और अधिक नहीं फैलने देंगी. जिस तरह से मुख्यमंत्री धामी की मौजूदगी में दिल्ली के अंदर केदारनाथ धाम के नाम का इस्तेमाल हुआ, वो बिल्कुल भी सहने योग्य नहीं है. कांग्रेस का तो ये तक आरोप है कि दिल्ली में केदारनाथ धाम ट्रस्ट के नाम पर पैसा कमाया जाएगा.

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केदारनाथ धाम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी. (फोटो- ETV Bharat)

बीजेपी पर हावी होती दिखाई दे रही कांग्रेस!: मंगलौर और बदरीनाथ उपचुनाव जीतने के बाद कांग्रेस पहले से ज्यादा उत्साहित दिखाई दे रही है. इन दोनों सीटों जीतने के बाद कांग्रेस प्रदेश के अंदर बीजेपी पर हावी होती दिखाई दे रही है. मंगलौर और बदरीनाथ उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत पार्टी के लिए किसी संजीवनी कम नहीं लग रही है. तभी तो लंबे समय बाद कांग्रेस के तमाम बड़े नेता किसी कार्यक्रम में एकजुट दिखाई दिए है.

अन्य मुद्दों को भी हवा देगी कांग्रेस: केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने साफ किया है कि वो सिर्फ केदारनाथ का ही नहीं, बल्कि ऑल वेदर रोड, पेपर लीक और अंकित भंडारी हत्याकांड जैसे मसलों को फिर से जनता से बीच लेकर जाएंगे और बीजेपी को घेरने का काम करेंगे.

अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि अब जनता बीजेपी के कारनामों को समझ गई है. अब तक बीजेपी सिर्फ जनता के साथ छलावा कर रही थी, लेकिन अब इन्होंने भगवान के साथ भी छलावा करना शुरू कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तो यह तक कह दिया है कि मौजूदा सरकार चारधामों की मान्यता और मूल्यों में बदलाव कर रही है.

बीजेपी ने भी रणनीति बनानी शुरू की: कांग्रेस जिस तरह से फ्रंटफुट पर खेल रही है, वो केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी के लिए अच्छे संकेत नहीं है. यहीं कारण है कि बीजेपी ने भी अब कांग्रेस को उसी की भाषा में जवाब देने शुरू कर दिया. कांग्रेस ने दिल्ली के केदारनाथ धाम का मुद्दा उठाया तो बीजेपी ने हरीश रावत सरकार के कार्यकाल के मुद्दे याद दिला दिए. बीजेपी ने याद दिलाया कि कैसे हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश मे खूब लूट हुई थी.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि फिल्म और एल्बम बनाने के नाम पर जिस तरह से पूर्व की कांग्रेस सरकार ने पैसों को बर्बाद किया था, वह किसी से छिपा नहीं है. वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा पर तंज कसा है.

सीएम धामी का तंज: उन्होंने कहा कि कांग्रेस को केदारनाथ यात्रा के बचाए पश्चाताप यात्रा निकालना चाहिए. क्योंकि सड़क से लेकर संसद तक कांग्रेस के नेता सनातन धर्म को बदनाम करने में लगे हुए हैं. सीएम धामी ने कांग्रेस की केदारनाथ यात्रा को बहकावा बताया है.

बता दें कि गुरुवार 25 जुलाई को उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रस्ताव चुनाव आयोग को भेजा है. अब चुनाव आयोग के ऊपर है कि कब वह उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा में चुनाव करवाएगा. उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले 3 महीना में यह चुनाव हो सकते हैं. क्योंकि तीन महीने बाद ही उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और अन्य प्रदेशों में उपचुनाव होंगे.

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देहरादून: उत्तराखंड में स्थित करोड़ों हिंदूओं की आस्था का केंद्र केदारनाथ धाम एक बार फिर चर्चाओं में है. हालांकि इस बार मुद्दा राजनीतिक ज्यादा है. केदारनाथ धाम को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच उत्तराखंड में जमकर राजनीति हो रही है. कांग्रेस जहां एक तरफ हरिद्वार से केदारनाथ बचाओ यात्रा निकाल कर सरकार को घेरने में लगी है तो वहीं बीजेपी, कांग्रेस की इस यात्रा को ढकोसला बता रही है. सवाल यहीं है कि इस राजनीति का केदारनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में किसे लाभ मिलेगा?

द्वादश ज्योतिर्लिंग और उत्तराखंड के चारधाम में से एक केदारनाथ धाम वैसे तो हमेशा से ही हिंदूओं की आस्था का बड़ा केंद्र रहा है. लेकिन 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद ये धाम काफी सुर्खियों में है. इसके बाद से ही यहां लगातार दुनिया भर से भक्त पहुंच रहे हैं.

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केदारनाथ धाम उत्तराखंड. (फोटो- ETV Bharat)

केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बड़े-बड़े सेलिब्रिटी हर साल बाबा केदार के दर पर माथा टेकने आते है. कुल मिलाकर कहा जाए तो केदारनाथ धाम किसी न किसी वजह से सुर्खियों में बना ही रहता है. हालांकि इस बार के मुद्दे पर जमकर राजनीतिक हो रही है, जिसका कारण केदारनाथ विधानसभा सीट पर आगामी उपचुनाव है.

केदारनाथ में कांग्रेस और बीजेपी की टक्कर: बता दें कि केदारनाथ विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक शैला रानी रावत का हाल ही में निधन हुआ हैं, जिसके बाद ये सीट खाली हो गई है और यहां पर 6 महीने के भीतर उपचुनाव होने है. इस उपचुनाव को दोनों ही पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस जीतना चाहती है. कांग्रेस जहां हाल फिलहाल में केदारनाथ धाम को लेकर हुए विवाद पर सरकार को घेरने में लगी है तो वहीं बीजेपी बचाव की मुद्रा में नजर आ रही है.

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बीती 9 जुलाई को केदारनाथ सीट से बीजेपी विधायक शैला रानी रावत का निधन हुआ था. जिसके बाद केदारनाथ विधानसभा सीट खाली हुई है, जिस पर जल्द ही उपचुनाव होना है. (फोटो- ETV Bharat)

दिल्ली केदारनाथ धाम नाम से शुरू हुआ विवाद: हाल में केदारनाथ धाम को लेकर सबसे पहला विवाद दिल्ली से शुरू हुआ. दरअसल, दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर बनाया जा रहा है, जिसका हाल ही में भूमि पूजन हुआ. इस मंदिर के भूमि पूजन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी धामी समेत हरिद्वार के कुछ बड़े साधु-संत भी शामिल हुए थे. यहीं ये सारा विवाद शुरु हुआ.

कांग्रेस ने किया विरोध: कांग्रेस ने दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर बनाने का विरोध किया. मामला सुर्खियों में आया तो ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी इसे गलत बताया. केदारनाथ धाम के तीर्थ-पुरोहित ने भी दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनने का विरोध किया. विवाद बढ़ा तो दिल्ली केदारनाथ धाम के संस्थापक खुद सामने आए और कहा कि इस मामले में उत्तराखंड सरकार का कोई रोल नहीं है और वो दिल्ली केदारनाथ धाम मंदिर का नाम बदलने को भी तैयार है.

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दिल्ली में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 10 जुलाई को केदारनाथ मंदिर का भूमि पूजन किया था. (फोटो- ETV Bharat)

धामी सरकार ने लिया बड़ा फैसला: दिल्ली केदारनाथ धाम विवाद से बैकफुट पर आई धामी सरकार ने फ्रंटफुट पर आने के लिए कैबिनेट में बड़ा फैसला लिया. जिसमें साफ किया गया है कि अगर उत्तराखंड के किसी भी धार्मिक स्थल का नाम या तस्वीर कोई और इस्तेमाल करेंगा तो उसके ऊपर कानूनी कार्रवाई होगी.

केदारनाथ सोना विवाद पर शंकराचार्य का बयान: इसके बाद सरकार ने केदारनाथ के तीर्थ-पुरोहितों को भी समझाया. जैसे-तैसे ये मुद्दा तो शांत हो गया है, लेकिन इसी बीच शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के एक बयान से केदारनाथ सोना विवाद फिर से सुर्खियों में आ गया.

सीएम धामी और बीकेटीसी अध्यक्ष ने दिया जवाब: केदारनाथ सोना विवाद पर बीकेटीसी (बदरी-केदार मंदिर समिति) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय से लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकार का पक्ष रखा और शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बयानों को बेबुनियाद बताया. हालांकि इस मुद्दे को भी कांग्रेस भुनने में लगी हुई है.

Congress
कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा हरिद्वार से शुरू हुई है. (फोटो- ETV Bharat)

केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा: इसी क्रम में कल 24 जुलाई को कांग्रेस ने हरिद्वार हरकी पैड़ी से केदारनाथ सम्मान बचाओ और केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा नाम से यात्रा की शुरुआत की. इस यात्रा में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा से लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य समेत प्रदेश के तमाम दिग्गज नेता शामिल हुए.

कांग्रेस की इस यात्रा का सीधा उद्देश्य केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में अपनी सीट को पक्का करना है. इस यात्रा के जरिए कांग्रेस ये बताने की कोशिश कर रही है कि बीजेपी सरकार, उत्तराखंड में धार्मिक स्थलों और उन मंदिरों से जुड़े लोगों का हक छीना चाहती है.

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का बीजेपी पर कटाक्ष: वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि बीजेपी जिस तरह से जातिवाद और धर्म के नाम पर देश में नफरत फैला रही है, कांग्रेस अब यह नफरत उत्तराखंड में और अधिक नहीं फैलने देंगी. जिस तरह से मुख्यमंत्री धामी की मौजूदगी में दिल्ली के अंदर केदारनाथ धाम के नाम का इस्तेमाल हुआ, वो बिल्कुल भी सहने योग्य नहीं है. कांग्रेस का तो ये तक आरोप है कि दिल्ली में केदारनाथ धाम ट्रस्ट के नाम पर पैसा कमाया जाएगा.

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केदारनाथ धाम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी. (फोटो- ETV Bharat)

बीजेपी पर हावी होती दिखाई दे रही कांग्रेस!: मंगलौर और बदरीनाथ उपचुनाव जीतने के बाद कांग्रेस पहले से ज्यादा उत्साहित दिखाई दे रही है. इन दोनों सीटों जीतने के बाद कांग्रेस प्रदेश के अंदर बीजेपी पर हावी होती दिखाई दे रही है. मंगलौर और बदरीनाथ उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत पार्टी के लिए किसी संजीवनी कम नहीं लग रही है. तभी तो लंबे समय बाद कांग्रेस के तमाम बड़े नेता किसी कार्यक्रम में एकजुट दिखाई दिए है.

अन्य मुद्दों को भी हवा देगी कांग्रेस: केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने साफ किया है कि वो सिर्फ केदारनाथ का ही नहीं, बल्कि ऑल वेदर रोड, पेपर लीक और अंकित भंडारी हत्याकांड जैसे मसलों को फिर से जनता से बीच लेकर जाएंगे और बीजेपी को घेरने का काम करेंगे.

अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि अब जनता बीजेपी के कारनामों को समझ गई है. अब तक बीजेपी सिर्फ जनता के साथ छलावा कर रही थी, लेकिन अब इन्होंने भगवान के साथ भी छलावा करना शुरू कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तो यह तक कह दिया है कि मौजूदा सरकार चारधामों की मान्यता और मूल्यों में बदलाव कर रही है.

बीजेपी ने भी रणनीति बनानी शुरू की: कांग्रेस जिस तरह से फ्रंटफुट पर खेल रही है, वो केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी के लिए अच्छे संकेत नहीं है. यहीं कारण है कि बीजेपी ने भी अब कांग्रेस को उसी की भाषा में जवाब देने शुरू कर दिया. कांग्रेस ने दिल्ली के केदारनाथ धाम का मुद्दा उठाया तो बीजेपी ने हरीश रावत सरकार के कार्यकाल के मुद्दे याद दिला दिए. बीजेपी ने याद दिलाया कि कैसे हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश मे खूब लूट हुई थी.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि फिल्म और एल्बम बनाने के नाम पर जिस तरह से पूर्व की कांग्रेस सरकार ने पैसों को बर्बाद किया था, वह किसी से छिपा नहीं है. वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांग्रेस की केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा पर तंज कसा है.

सीएम धामी का तंज: उन्होंने कहा कि कांग्रेस को केदारनाथ यात्रा के बचाए पश्चाताप यात्रा निकालना चाहिए. क्योंकि सड़क से लेकर संसद तक कांग्रेस के नेता सनातन धर्म को बदनाम करने में लगे हुए हैं. सीएम धामी ने कांग्रेस की केदारनाथ यात्रा को बहकावा बताया है.

बता दें कि गुरुवार 25 जुलाई को उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रस्ताव चुनाव आयोग को भेजा है. अब चुनाव आयोग के ऊपर है कि कब वह उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा में चुनाव करवाएगा. उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले 3 महीना में यह चुनाव हो सकते हैं. क्योंकि तीन महीने बाद ही उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और अन्य प्रदेशों में उपचुनाव होंगे.

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Last Updated : Jul 25, 2024, 10:35 PM IST
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