जालंधर: एक समय था जब पंजाब में घरों की छतों पर फुटबॉल, हवाई जहाज के साथ पानी की टंकियां आम बात थीं, जो घर को एक अलग पहचान देती थीं, लेकिन अब यह पहचान केवल पानी की टंकियों तक ही सीमित नहीं है. अब लोग अपने घरों की छत पर अलग-अलग मूर्तियां का निर्माण करा रहे हैं और अपने घरों की अलग पहचान बना रहे हैं.
इस बीच, जालंधर के बजुहां खुर्द गांव में एक अलग ही नजारा देखने को मिला है. दरअसल, गांव में एक मकान की छत पर स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का निर्माण कराया गया है. जिसे देख सब हैरान हैं. बताया जा रहा है कि यह निर्माण दलबीर सिंह नाम के एक शख्स ने अपने घर की छत पर करवाया है. इस मूर्ति को दलबीर सिंह ने अपने दो मंजिला मकान पर बनवाई है. दलबीर सिंह नाम का यह शख्स पहले अमेरिका में रहता था और अब कनाडा में रहता है.
गांव में रहने वाले दलबीर सिंह के पिता संतोख सिंह ने बताया कि उनका बेटा विदेश में रहता है. वह गांव में अपनी अलग पहचान बनाना चाहता हैं. इसलिए उसने अपने घर की छत पर स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी बनाने का फैसला किया. दलबीर सिंह के पिता ने आगे कहा कि उनके बेटे के मुताबिक पंजाब में इस तरह की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का निर्माण नहीं हुआ है. यह निर्माण पूरा होने के बाद उनके घर को एक अलग पहचान मिलेगी. उन्होंने बताया कि इस स्टैच्यू ऊंचाई करीब 20 फीट है और इसके निर्माण में करीब 3 लाख रुपये की लागत आई है.
संतोख सिंह ने आगे कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है कि वह विदेश में रहकर भी अपना बैकग्राउंड नहीं भूले हैं. अपने घर की छत पर स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का निर्माण कर क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है. उनके मुताबिक, यह स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी गांव के बाहर से दिखाई देती है. यह मूर्ति गांव के ठीक बीच में बनी है, फिर भी इसे कई किलोमीटर दूर से देखा जा सकता है. उन्होंने बताया कि उनका एक बेटा ऑस्ट्रेलिया में और दूसरा बेटा कनाडा में रहता है. इन दोनों के परामर्श से ही यह प्रतिमा बनाई गई है.
गांव के लोगों को भी इस बात पर गर्व है कि गांव से विदेश गए शख्स ने भारत में भी स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का निर्माण करा दिया है. दलबीर सिंह के इस कदम से गांव को एक अलग पहचान मिल गई है. गांव के लोगों के मुताबिक, अब अगर किसी को गांव आना होगा तो लोग बस यही बोलेंगे उस गांव में चलिए जहां स्टैचू ऑफ लिबर्टी बनी है.
वहीं, इस मूर्ति को बनाने वाले कारीगर बलविंदर कौल का कहना है कि उन्होंने साल 1998 में विभिन्न वॉटर टैंक बनाने का काम शुरू किया था और अब तक वह ऐसे कई टैंक और मूर्तियां बना चुके हैं. जिसकी कोई संख्या नहीं है. उनके मुताबिक, पहली बार स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी बनाने का ऑर्डर दिया था. इसके बाद करीब तीन महीने में इस मूर्ति को तैयार कर घर की छत पर लगा दिया गया. बलविंदर ने बताया कि यह मूर्ति करीब 20 फीट ऊंची है और इसे बनाने में करीब तीन लाख रुपये खर्च हुए हैं. ऐसी मूर्ति जालंधर में और कहीं नहीं है. फिलहाल सिर्फ रंग-रोगन का काम बाकी है, जो जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.
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