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बिहार में कच्छप अवतार में विराजमान हैं भगवान, हर साल होता है नए शालिग्राम का प्राकट्य - Sri Krishna Janmashtami 2024

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 26, 2024, 5:12 PM IST

Krishna Janmashtami: पूरा देश धूमधाम से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मना रहा है. इसी कड़ी में एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भगवान विष्णु कच्छप अवतार में विराजमान हैं. बिहार के बगहा में स्थित बाबा विशंभर नाथ मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना बताया जाता है. ऐसा माना जाता है कि 200 साल पहले यहां मटर के दाने के आकार में शालिग्राम को लाया गया था जो अब एक विशाल रुप धारण कर चुके हैं. हर साल एक नए शालिग्राम का जन्म होना अपने आप में अद्भुत है. पढ़ें पूरी खबर.

बाबा विशंभर नाथ मंदिर
बाबा विशंभर नाथ मंदिर (ETV Bharat GFX)
भगवान विष्णु के अद्भुत अवतार (ETV Bharat)

बगहाः भगवान विष्णु के अवतार 24 हैं, इसमें एक कच्छप अवतार भी है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां 24 अवतारों में एक कच्छप अवतार के रूप में भगवान शालिग्राम विराजमान हैं. बिहार के बगहा जिले के बनकटवा पक्की बावली में स्थित बाबा विशंभर नाथ मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना है. 200 साल पहले यहां भगवान स्थापित किए गए थे.

भगवान विष्णु के अद्भुत अवतार
भगवान विष्णु के अद्भुत अवतार (ETV Bharat GFX)

200 साल पहले शालिग्राम की हुई थी स्थापनाः यहां भक्त पूरे श्रद्धा से आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता के अनुसार यहां भक्तों की सभी मुराद पूरी होती है. मंदिर के पुजारी विवेकानंद द्विवेदी बताते हैं कि 200 साल पहले इस मंदिर में भगवान शालिग्राम को लाया गया था. उस समय शालिग्राम का आकार मटर के दाने के बराबर था. अब शालिग्राम विशाल रूप धारण कर लिए हैं. माना जाता है कि हर साल एक तिल के बराबर आकार बढ़ रहा है. विवेकानंद बताते हैं कि हर साल जन्माष्टमी के मौके पर शालिग्राम से एक नए शालिग्राम का जन्म होता है जो अपने आम में अद्भुत है.

"वर्षों पूर्व यहां चुनौटी की डिबिया में एक छोटे से आकार का शालिग्राम स्थापित किया गया था. यह तिल-तिल बढ़ते हुए आज कई गुना बड़ा हो गया है. अब शालिग्राम कच्छप अवतार ले लिए हैं. सागर मंथन के समय नारायण को जो जख्म हुआ था उसके निशान दिखते हैं. उन्होंने बताया की प्रत्येक जन्माष्टमी को हर साल शालिग्राम भगवान से एक नए छोटे आकार के शालिग्राम का जन्म होता है." -विवेकानंद द्विवेदी, पुजारी

शालिग्राम भगवान विष्णु का प्रतीकः बता दें की शालिग्राम एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है दो धार्मिक आधार पर परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में माना जाता है. इसे भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है. शालिग्राम को शिला यानि पत्थर कहा जाता है. शालिग्राम भगवान विष्णु के प्रसिद्ध नामों में से एक है. भक्त इस काले पत्थर की पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता के अनुसार इसकी पूजा करने के घर में सुख समृद्धि के साथ साथ भगवान विष्णु का आशिर्वाद प्राप्त होता है. मुष्य के सारे रोग संताप नष्ट हो जाते हैं.

शालिग्राम से जुड़ी मान्यता
शालिग्राम से जुड़ी मान्यता (ETV Bharat GFX)

हर साल तुलसी और भगवान विष्णु का विवाहोत्सवः स्थानीय ग्रामीण विवेक गुप्ता बताते हैं कि इस बाबा विशंभर नाथ मंदिर में प्रत्येक एकादशी को भक्तों की भीड़ उमड़ती है. इसके अलावा कार्तिक यानी देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु का विवाहोत्सव मनाया जाता है. पूरे शहर में धूमधाम से बारात निकाली जाती है. और बारातियों को शाम में भोजन (भंडारा) कराया जाता है. 51000 दिए भी जलाए जाते हैं.

जनमाष्टमी के मौके पर भगवान करते हैं स्नानः मंदिर के सचिव प्रकाश किरण बताते हैं कि साल में एक बार जन्माष्टमी को शालिग्राम महाराज की साफ-सफाई की जाती है. उन्होंने बताया कि पहले भगवान का आकार छोटा था. आसानी से उन्हें स्नान कराया जाता था लेकिन अब आकार काफी बढ़ गया है. अब इन्हें स्नान कराने के लिए पांच से छह लोगों की जरूरत पड़ती है. प्रकाश किरण बताते हैं कि भगवान को पंचामृत से स्नान करा कर फिर इनके स्थान पर विराजमान कराया जाता है.

"पूरे भारत में इकलौता मंदिर है, जहां शालिग्राम का आकार तिल-तिल कर प्रत्येक वर्ष बढ़ता जाता है और एक नए शालिग्राम का जन्म होता है. पहले भगवान को आसानी से स्नान कराया जाता था लेकिन अब भगवान को बाहर लाने के लिए 5 से 6 लोगों की जरूरत होती है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर पंचामृत से स्नान कराया जाता है. यहां शालिग्राम कच्छप अवतार में विराजमान हैं." -प्रकाश किरण, मंदिर के सचिव

क्या है कच्छप अवतार? आपको बता दें कि कच्छप कछुआ का पर्याय नाम है. मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को कच्छप अवतार माना जाता है. समुद्र मंथन में विष्णु कच्छप अवतार लिए थे और समुंद्र मंथन में मथनी बने थे. कच्छप अवतार के बाद ही समुंद्र मंथन सफल हुआ था. कच्छप ने अपनी पीठ पर मंदार पर्वत को संभाला था.

भगवान विष्णु का कच्छप अवतार
भगवान विष्णु का कच्छप अवतार (ETV Bharat GFX)

एक हलुवाई ने बनवाया था मंदिरः इस मंदिर से जुड़े कई इतिहास है. स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर की स्थापना एक हलुवाई राम जियावन भगत द्वारा की गई थी. 1857 क्रांति के समय नेपाल के राजा जंग बहादुर सिवान से लौटते वक्त इस मंदिर में ठहरे थे. हलुवाई राम जियावन भगत की भक्ति भावना और आदर सत्कार से काफी खुश हुए. उसी के बाद नेपाल राजा ने उन्हें नेपाल राजदरबार में बुलाया और मटर के आकार का एक शालिग्राम भेंट किया.

सबसे पहले सूर्यदेव करते हैं शालिग्राम का दर्शनः माना जाता है कि वही शालिग्राम को इस मंदिर में स्थापित किया गया था जो अब एक विशाल आकार ले चुका है. इस मंदिर में सात दरवाजे हैं. इन सात दरवाजों को पार कर सूर्य की पहली किरण भगवान का दर्शन करने आती है. मंदिर प्रांगण में एक पोखरा भी है जो वर्षों बाद आज तक नहीं सुखा. हर साल 365 दिन इसमें पानी रहता है.

यह भी पढ़ेंः गुजरात के द्वारका मंदिर की तरह गया में भी बाल रूप में भगवान कृष्ण विराजमान, मुस्कान बिखेरती प्रतिमा चारों पहर बदलती है रूप - Krishna Janmashtami 2024

भगवान विष्णु के अद्भुत अवतार (ETV Bharat)

बगहाः भगवान विष्णु के अवतार 24 हैं, इसमें एक कच्छप अवतार भी है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां 24 अवतारों में एक कच्छप अवतार के रूप में भगवान शालिग्राम विराजमान हैं. बिहार के बगहा जिले के बनकटवा पक्की बावली में स्थित बाबा विशंभर नाथ मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना है. 200 साल पहले यहां भगवान स्थापित किए गए थे.

भगवान विष्णु के अद्भुत अवतार
भगवान विष्णु के अद्भुत अवतार (ETV Bharat GFX)

200 साल पहले शालिग्राम की हुई थी स्थापनाः यहां भक्त पूरे श्रद्धा से आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता के अनुसार यहां भक्तों की सभी मुराद पूरी होती है. मंदिर के पुजारी विवेकानंद द्विवेदी बताते हैं कि 200 साल पहले इस मंदिर में भगवान शालिग्राम को लाया गया था. उस समय शालिग्राम का आकार मटर के दाने के बराबर था. अब शालिग्राम विशाल रूप धारण कर लिए हैं. माना जाता है कि हर साल एक तिल के बराबर आकार बढ़ रहा है. विवेकानंद बताते हैं कि हर साल जन्माष्टमी के मौके पर शालिग्राम से एक नए शालिग्राम का जन्म होता है जो अपने आम में अद्भुत है.

"वर्षों पूर्व यहां चुनौटी की डिबिया में एक छोटे से आकार का शालिग्राम स्थापित किया गया था. यह तिल-तिल बढ़ते हुए आज कई गुना बड़ा हो गया है. अब शालिग्राम कच्छप अवतार ले लिए हैं. सागर मंथन के समय नारायण को जो जख्म हुआ था उसके निशान दिखते हैं. उन्होंने बताया की प्रत्येक जन्माष्टमी को हर साल शालिग्राम भगवान से एक नए छोटे आकार के शालिग्राम का जन्म होता है." -विवेकानंद द्विवेदी, पुजारी

शालिग्राम भगवान विष्णु का प्रतीकः बता दें की शालिग्राम एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है दो धार्मिक आधार पर परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में माना जाता है. इसे भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है. शालिग्राम को शिला यानि पत्थर कहा जाता है. शालिग्राम भगवान विष्णु के प्रसिद्ध नामों में से एक है. भक्त इस काले पत्थर की पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता के अनुसार इसकी पूजा करने के घर में सुख समृद्धि के साथ साथ भगवान विष्णु का आशिर्वाद प्राप्त होता है. मुष्य के सारे रोग संताप नष्ट हो जाते हैं.

शालिग्राम से जुड़ी मान्यता
शालिग्राम से जुड़ी मान्यता (ETV Bharat GFX)

हर साल तुलसी और भगवान विष्णु का विवाहोत्सवः स्थानीय ग्रामीण विवेक गुप्ता बताते हैं कि इस बाबा विशंभर नाथ मंदिर में प्रत्येक एकादशी को भक्तों की भीड़ उमड़ती है. इसके अलावा कार्तिक यानी देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु का विवाहोत्सव मनाया जाता है. पूरे शहर में धूमधाम से बारात निकाली जाती है. और बारातियों को शाम में भोजन (भंडारा) कराया जाता है. 51000 दिए भी जलाए जाते हैं.

जनमाष्टमी के मौके पर भगवान करते हैं स्नानः मंदिर के सचिव प्रकाश किरण बताते हैं कि साल में एक बार जन्माष्टमी को शालिग्राम महाराज की साफ-सफाई की जाती है. उन्होंने बताया कि पहले भगवान का आकार छोटा था. आसानी से उन्हें स्नान कराया जाता था लेकिन अब आकार काफी बढ़ गया है. अब इन्हें स्नान कराने के लिए पांच से छह लोगों की जरूरत पड़ती है. प्रकाश किरण बताते हैं कि भगवान को पंचामृत से स्नान करा कर फिर इनके स्थान पर विराजमान कराया जाता है.

"पूरे भारत में इकलौता मंदिर है, जहां शालिग्राम का आकार तिल-तिल कर प्रत्येक वर्ष बढ़ता जाता है और एक नए शालिग्राम का जन्म होता है. पहले भगवान को आसानी से स्नान कराया जाता था लेकिन अब भगवान को बाहर लाने के लिए 5 से 6 लोगों की जरूरत होती है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर पंचामृत से स्नान कराया जाता है. यहां शालिग्राम कच्छप अवतार में विराजमान हैं." -प्रकाश किरण, मंदिर के सचिव

क्या है कच्छप अवतार? आपको बता दें कि कच्छप कछुआ का पर्याय नाम है. मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को कच्छप अवतार माना जाता है. समुद्र मंथन में विष्णु कच्छप अवतार लिए थे और समुंद्र मंथन में मथनी बने थे. कच्छप अवतार के बाद ही समुंद्र मंथन सफल हुआ था. कच्छप ने अपनी पीठ पर मंदार पर्वत को संभाला था.

भगवान विष्णु का कच्छप अवतार
भगवान विष्णु का कच्छप अवतार (ETV Bharat GFX)

एक हलुवाई ने बनवाया था मंदिरः इस मंदिर से जुड़े कई इतिहास है. स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर की स्थापना एक हलुवाई राम जियावन भगत द्वारा की गई थी. 1857 क्रांति के समय नेपाल के राजा जंग बहादुर सिवान से लौटते वक्त इस मंदिर में ठहरे थे. हलुवाई राम जियावन भगत की भक्ति भावना और आदर सत्कार से काफी खुश हुए. उसी के बाद नेपाल राजा ने उन्हें नेपाल राजदरबार में बुलाया और मटर के आकार का एक शालिग्राम भेंट किया.

सबसे पहले सूर्यदेव करते हैं शालिग्राम का दर्शनः माना जाता है कि वही शालिग्राम को इस मंदिर में स्थापित किया गया था जो अब एक विशाल आकार ले चुका है. इस मंदिर में सात दरवाजे हैं. इन सात दरवाजों को पार कर सूर्य की पहली किरण भगवान का दर्शन करने आती है. मंदिर प्रांगण में एक पोखरा भी है जो वर्षों बाद आज तक नहीं सुखा. हर साल 365 दिन इसमें पानी रहता है.

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