नई दिल्ली: केंद्र ने नीलामी पद्धति से छूट देने का दबाव बनाते हुए 2जी स्पेक्ट्रम मामले में अपने फैसले में संशोधन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इसमें कहा गया है कि स्पष्टीकरण की तत्काल आवश्यकता है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा, सुरक्षा और आपदा तैयारियों के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण होगा. साथ ही सरकार को आम भलाई के लिए पूर्ण संभावित दूरसंचार का एहसास करने में सक्षम बनाएगा. शीर्ष अदालत ने कहा था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों को स्थानांतरित या अलग करते समय नीलामी मार्ग अपनाने के लिए राज्य बाध्य है.
आवेदन में कहा गया है, 'यदि ऐसा असाइनमेंट सरकारी कार्यों के लिए है, या सार्वजनिक हित की आवश्यकता है, या तकनीकी या आर्थिक कारणों से नीलामी को प्राथमिकता नहीं दी जा सकती है. स्पेक्ट्रम का असाइनमेंट न केवल वाणिज्यिक दूरसंचार सेवाओं के लिए आवश्यक है, बल्कि संप्रभु और सार्वजनिक हित कार्यों जैसे कि सुरक्षा, सुरक्षा, आपदा तैयारी आदि के निर्वहन के लिए गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए भी आवश्यक है. इस तरह के गैर-व्यावसायिक उपयोग यह पूरी तरह से आम भलाई की सेवा के दायरे में आएगा'.
साथ ही आवेदन में जोड़ा गया है, 'स्पेक्ट्रम की विशेषताओं, या उपयोग की प्रकृति, या अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं आदि के कारण उपयोग की विशिष्ट सुई जेनरिस श्रेणियां भी हैं. इनके संबंध में नीलामी तकनीकी या आर्थिक रूप से पसंदीदा या इष्टतम नहीं है'. केंद्र ने कहा कि कुछ स्थितियों में, अर्थशास्त्र नीलामी के पक्ष में नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि मांग आपूर्ति से कम है या अंतरिक्ष संचार के लिए स्पेक्ट्रम जैसी तकनीकी स्थितियों के कारण, जहां कई खिलाड़ियों द्वारा स्पेक्ट्रम साझा करना अधिक इष्टतम और कुशल होगा'.
2 फरवरी 2012 को दिए गए अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने जनवरी 2008 में दूरसंचार मंत्री के रूप में ए राजा के कार्यकाल के दौरान विभिन्न कंपनियों को दिए गए 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द कर दिए थे. सोमवार को केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए अंतरिम आवेदन का उल्लेख किया. एजी ने कहा कि याचिका में 2012 के फैसले में संशोधन की मांग की गई है, क्योंकि केंद्र कुछ मामलों में 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस देना चाहता है.
वकील प्रशांत भूषण, जिन्होंने एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन का प्रतिनिधित्व किया था, उन याचिकाकर्ताओं में से एक थे. इनकी याचिका पर फरवरी 2012 का फैसला सुनाया गया था, उन्होंने आवेदन का विरोध किया. भूषण ने कहा कि शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में इस मुद्दे को अच्छी तरह से सुलझा लिया है कि स्पेक्ट्रम जैसे प्राकृतिक संसाधनों के लिए लाइसेंस देने का एकमात्र तरीका नीलामी है. सीजेआई ने एजी से एक ईमेल भेजने को कहा और इसकी जांच की जाएगी.