पटना : एक समय था जब घर के आंगन में, छत की मुड़ेर पर गौरैया यूं ही अटखेलियां करती दिख जाती थी. घरों में घोंसले हुआ करते थे. लेकिन आज के दौर में गौरैया दिखना ही बंद हो गईं. इसकी वजह ये है कि धीरे-धीरे इनकी आबादी कम होती गई और आज ये विलुप्त प्राय हैं. लेकिन पटना के संजय कुमार सिन्हा (55) ने गौरैया बचाने की अनोखी मुहिम जारी है. इनको गौरैया से इतनी मोहब्बत है कि इन्होंने अपने घर को गौरैया का घर बना रखा है. संजय को ल लोग Sparrow Man of Patna भी कहते हैं.
![विश्व गौरैया दिवस](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/20-03-2024/br-pat-03-goraiya-pakshi-vijual_19032024183410_1903f_1710853450_258.jpg)
गौरैयों का ‘घर’ सजाते हैं पटना के संजय : गौरैया, बिहार की स्टेट बर्ड (राजकीय पक्षी) है. लोग गौरैया बचाने के लिए एक खास दिन प्रयत्न करते हैं, लेकिन संजय सिन्हा की जिंदगी का मक़सद बन गया है- 'Save Sparrow, Save Environment'. आज 'गौरैया' प्रेमी संजय सिन्हा के के पड़ोसियों की नींद चिड़ियों की चहचहाहट से खुलती है.
गौरेयों को बचाने में लगे पटना के संजय : पटना के कंकड़बाग इलाके में रहने वाले संजय सिन्हा भारतीय सूचना सेवा में कार्यरत हैं. उनके परिवार की की दिनचर्या गौरैयों को दाना-पानी देने से ही शुरू होती है. अपने घर की दहलीज पर सैकड़ों गौरैयों के लिए घोंसला तैयार किए हुए हैं. यहां सैकड़ों पक्षी दाना चुगने और पानी पीने के लिए आते हैं. गौरैयों की देखभाल के लिए संजय हर महीने अपनी सैलरी से थोड़े से पैसे अलग बचा कर उनपर रखते हैं.
![घर बना गौरैया का संरक्षण केंद्र](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/20-03-2024/br-pat-03-goraiya-pakshi-vijual_19032024183410_1903f_1710853450_85.jpg)
''पक्षियों में गौरैया आज सबसे अधिक मिलेगी. पुराने दिनों में घर में सूप से अनाज (चावल,दाल,गेहूं) फटना जाता था. इस दौरान अनाज जमीन पर गिर जाते थे तो गौरैया फुर्र से आती और दाना लेकर उड़ जाती थी. लेकिन समय के साथ लोगों का रहन सहन बदल गया. गर्मियों में लोग अगर अपने आंगन, बालकनी में छोटे से घड़े या बर्तन में पानी रख दें तो ये पंक्षी प्यासे नहीं रहेंगे.'' - संजय कुमार सिन्हा, पक्षी प्रेमी
![गौरेया संरक्षण जरूरी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/20-03-2024/br-pat-03-goraiya-pakshi-vijual_19032024183410_1903f_1710853450_662.jpg)
चीं-चीं करती आई चिड़िया : संजय कुमार सिन्हा बताते हैं कि हर वर्ष यह दिन आता है. इस दिन पर सिर्फ गौरैया संरक्षण पर बात करना उचित नहीं है. गौरैया जो हमारे घरों में रहती है, घोंसला बनाती थी, घर आंगन मैं घूम कर दाना चुगती थी और ची ची की आवाज से घर आंगन गूंजता रहता अब मानों वो गुजरे समय की बात हो गई है. बदलते जमाने में अब इसकी आवाज सुनने को नहीं मिलती.
![गौरैया का संसार](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/20-03-2024/br-pat-03-goraiya-pakshi-vijual_19032024183410_1903f_1710853450_123.jpg)
''यह मनुष्य के बीच में ही रहने वाली है. बदलते जमाने में खेत खलिहान में कीटनाशक दावों का प्रयोग होने लगा, जिसकी वजह से इस पक्षी के आहार में कमी होने लगी और बदलते जलवायु परिवर्तन के कारण यह पक्षी लुप्त होने लगे.''- संजय कुमार सिन्हा, पक्षी प्रेमी
![आंगन में फुदकती गौरैया](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/20-03-2024/br-pat-03-goraiya-pakshi-vijual_19032024183410_1903f_1710853450_967.jpg)
2007 से मुहिम में जुटे : संजय बताते हैं कि पिछले 17 सालों से गौरैया संरक्षण पर काम कर रहे हैं. 2007 में इस अभियान का शुरूआत किए और अपने घर के बाहर पक्षियों के लिए दाना पानी रखना शुरू किया जिसके बाद से पक्षी आने लगे, दाना चुगने लगे पानी पीने लगे, यह देखकर उनके मन को काफी प्रभावित किया और उसके बाद सोशल मीडिया जागरूक करने लगे.
![ईटीवी भारत GFX](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/20-03-2024/21025631_gfx.jpg)
''साल 2010-11 के बाद मेरा नेटवर्क बहुत बड़ा हो गया. फिलहाल सोशल मीडिया पर लगभग 8 लाख फॉलोअर्स हैं जो मेरे पोस्ट को पढ़ते हैं और कई लोग यह पूछते हैं कि क्या लकड़ी का घोंसला बनाएंगे तो मेरे घर भी गौरैया आएगी. लोगों को सोशल मीडिया पर हमने बताया समझाया जिसका नतीजा है कि काफी संख्या में लोगों ने राजधानी में भी अपने घरों की छत, खिड़की के पास घोसला लगाया है.'' - संजय कुमार सिन्हा, पक्षी प्रेमी
बिहार सरकार भी कर चुकी है सम्मानित : वर्ष 2013 में राजकीय पक्षी घोषित किया गया. इसके बाद से लोगों में अवेयरनेस आया है. कई ऐसे लोग हैं जो गौरैया के लिए लकड़ी का घोंसला बनाकर के लोगों के बीच वितरित करते हैं. संजय गौरैया पक्षी पर कई किताब लिख चुके हैं. इस वर्ष भी उनके मुहिम को पंख मिला है. इसी पर उन्होंने एक किताब लिखी है जिसका नाम है 'आओ गौरैया'. संजय को गौरैया संरक्षण पर काम करते देख बिहार सरकार उन्हें सम्मानित कर चुकी है. आज भी लोगों को जागरुक कर रहे हैं और अब संजय सिन्हा भी अपने इस पहल से खुश नजर आ रहे हैं.
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