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42 लाख से ज्यादा श्रद्धालु कर चुके हैं उत्तराखंड चारधाम यात्रा, क्या टूट पाएगा साल 2023 का रिकॉर्ड?

उत्तराखंड चारधाम यात्रा में अभीतक 42 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. पिछले साल 56 लाख से ज्यादा भक्त चारधाम पहुंचे थे.

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उत्तराखंड चारधाम यात्रा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 22, 2024, 2:46 PM IST

Updated : Oct 22, 2024, 4:27 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा अपने अंतिण चरण में है. एक तरफ दो और तीन नंवबर को केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने हैं, तो वहीं 19 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे. वहीं मॉनसून सीजन खत्म होने के बाद उत्तराखंड चारधाम यात्रा ने एक बार फिर से जोर पकड़ा है. चारधाम में रोजाना 25 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. वहीं अभीतक की बात की जाए तो 42 लाख से ज्यादा श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके हैं.

वहीं, साल 2023 के आंकड़ों की बात की जाए तो पूरे यात्रा सीजन में करीब 56 लाख तीर्थयात्रियों ने चारधाम में दर्शन किए थे, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड बना था. हालांकि इस बार ये रिकॉर्ड टूटना थोड़ा मुश्किल लग रहा है. क्योंकि इस साल की यात्रा अभी तक साल 2022 में आने वाले यात्रियों का रिकॉर्ड को भी नहीं तोड़ पाई है. हालांकि, इसके पीछे भी तमाम वजह हैं जिसमें यात्रा से शुरुआती दौर में सरकार की ओर से लगाई गई पाबंदियां, आपदा और सड़क मार्ग की बदहाल स्थिति भी है.

क्या टूट पाएगा साल 2023 का रिकॉर्ड? (ETV Bharat)

दस मई को शुरू हुई थी चारधाम यात्रा: उत्तराखंड चारधाम यात्रा इस साल दस मई को शुरू हुई थी. दस मई को ही गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुले थे. इसके बाद 12 मई को बदरीनाथ धाम और 25 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट खुले थे. कपाट खोलने के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु चारों धामों के दर्शन करने पहुंचे थे.

पहले 21 दिन में ही बन गया रिकॉर्ड: उत्तराखंड चारधाम के कपाट खुलने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे थे. मात्र 21 दिनों में ही 14,03,376 भक्तों ने चारधाम में दर्शन कर नया रिकॉर्ड बना दिया था. श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए सरकार को चारधाम यात्रा पर कुछ पाबंदियों भी लगानी पड़ी थी.

सरकार ने बंद कर दिए थे ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन: चारधाम यात्रा के शुरुआती चरण में सरकार ने ऑफलाइन और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू की थी, लेकिन बाद में बढ़ती भीड़ को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद कर दिए थे. किसी भी तीर्थयात्रियों को बिना रजिस्ट्रेशन के ऋषिकेश के आगे नहीं जाने दिया गया. ऋषिकेश और हरिद्वार में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को 15 से 31 मई तक बंद कर दिया था.

वहीं, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद होने से ऋषिकेश और हरिद्वार में तीर्थयात्रियों की भीड़ लग गई थी, जिसके बाद एक जून को सरकार ने फिर से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन खोले और श्रद्धालुओं को चारधाम के लिए रवाना किया. प्रत्येक धाम के लिए रोजाना 1500 ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन ही करने का निर्णय लिया गया, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या इतनी अधिक थी कि कुछ ही घंटे में ही धामों के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन का स्टाल फुल हो जा रहा था. साथ ही 15 से 31 में तक बंद किए गए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के चलते बैकलॉग की स्थिति करीब 30 हजार तक पहुंच गई थी.

लैंडस्लाइड ने बढ़ाई श्रद्धालुओं की मुश्किलें: एक जून के बाद चारधाम यात्रा पटरी पर आई तो लैंडस्लाइड ने श्रद्धालुओं की दिक्कतें बढ़ानी शुरू कर दी. बदरीनाथ हाईवे पर 6 जुलाई को भूस्खलन के चलते श्रद्धालु करीब 84 घंटे तक बीच रास्ते में ही फंस रहे थे. हालांकि प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए तमाम व्यवस्थाएं की गई, लेकिन धीरे-धीरे यात्रियों की संख्या में और अधिक कमी आने लगी, जिसकी एक मुख्य वजह यह भी रही कि मानसून सीजन ने दस्तक दे दी थी.

31 जुलाई को केदार घाटी आपदा: मॉनसून सीजन के दौरान चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बेहद कम हो जाती है, लेकिन इस यात्रा सीजन में मानसून सीजन के दौरान भी चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं का जोश काम नहीं हुआ था, लेकिन 31 जुलाई को केदार घाटी में हुई भारी बारिश के चलते केदारनाथ यात्रा मार्ग काफी अधिक क्षतिग्रस्त हो गया, जिसके चलते करीब एक महीने तक केदारनाथ धाम की यात्रा बाधित रही.

इसके साथ ही इस आपदा के चलते केदारनाथ धाम यात्रा मार्गों पर करीब 18 हज़ार फंसे यात्रियों और स्थानीय निवासियों को सुरक्षित निकाला गया था. हालांकि, 15 से 20 दिन बाद ही प्रशासन ने केदारनाथ यात्रा को वैकल्पिक मार्ग के जरिए शुरू कर दिया था, उस दौरान धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक घट गई थी.

मॉनसून सीजन के बाद चार धाम की यात्रा ने पकड़ी रफ्तार: उत्तराखंड में इस बार मॉनसून सीजन का असर सितंबर के आखिर तक देखने को मिला, जिसके चलते भी श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से नहीं बढ़ पाई. हालांकि अक्टूबर महीने की शुरुआत से फिर से चारधाम यात्रा ने रफ्तार पकड़ी, लेकिन यह रफ्तार एतिहासिक रिकॉर्ड बनाने के लिए अभी भी काफी नहीं है, जबकि उत्तराखंड चार धाम के कपाट बंद होने का समय बेहद नजदीक आ गया है.

बता दें कि यमुनोत्री गंगोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज के मौके पर यानी 3 नवंबर को बंद हो रहे हैं. तो वही, 19 नवंबर को बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाएंगे. ऐसे में साल 2023 में बने ऐतिहासिक रिकॉर्ड को तोड़ना असंभव लग रहा है. क्योंकि अभी तक चारों धाम समेत हेमकुंड साहिब में 42,92,760 श्रद्धालुओं ने दर्शन कर लिया है, जबकि साल 2023 का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए 13 लाख श्रद्धालुओं के संख्या की कमी है, जो इन महज 20 दिन में पूरा होना संभव नहीं है.

अभी तक करीब 43 लाख श्रद्धालु कर चुके है दर्शन: शुरुआती दौर में बड़ी संख्या में चारधाम की यात्रा पर पहुंचे श्रद्धालुओं के आंकड़े को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि साल 2024 की यह यात्रा एक नया कीर्तिमान रिकॉर्ड हासिल करेगी. साथ ही इस पूरे सीजन श्रद्धालुओं के दर्शन करने का आंकड़ा 80 लाख के पार पहुंच जाएगा, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है.

क्योंकि, धामों के कपाट खुलने के बाद 21 अक्टूबर 2024 तक उत्तराखंड चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा 42,92,760 के पार पहुंच गया है. आंकड़ों के अनुसार बदरीनाथ धाम में 11,76,622 श्रद्धालु, केदारनाथ धाम में 14,46,921 श्रद्धालु, गंगोत्री धाम में 7,86,415 श्रद्धालु, यमुनोत्री धाम में 6,89,366श्रद्धालु और हेमकुंड साहिब में 1,83,722 श्रद्धालु दर्शन कर चुके है.

साल 2023 में 56.13 लाख श्रद्धालुओं ने किए थे दर्शन: वैश्विक महामारी कोरोना काल के बाद से ही साल दर्शन चार धाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी होती रही है. यही वजह रहा कि हर साल चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं ने नए कीर्तिमान रिकॉर्ड बनाए थे. कोरोना काल के चलते साल 2020 और 2021 में यात्रा बाधित रही, लेकिन साल 2022 में चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. क्योंकि साल 2022 में यात्रा के दौरान 46.29 लाख श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे थे.

इसी क्रम में साल 2023 में चारधाम यात्रा के दौरान 56.13 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे. जिसने एक नया ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन इस साल 2024 में तमाम वजहों के चलते साल 2023 का आंकड़ा टूटना असंभव लग रहा है.

चारधाम में दिन प्रति दिन बढ़ रहा है श्रद्धालुओं की संख्या: मॉनसून सीजन समाप्त होने के बाद उत्तराखंड चार धाम की यात्रा ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ी 1 अक्टूबर के बाद से रोजाना चारों धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 10 से 15 हज़ार थी, लेकिन अब वर्तमान समय में चारों धामों में रोजाना 25 से 30 हजार श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं.

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार 21 अक्टूबर 2024 को 29427 श्रद्धालु ने धामों के दर्शन करने पहुंचे थे. बदरीनाथ धाम में 9073 श्रद्धालु, केदारनाथ में 14765 श्रद्धालु, गंगोत्री में 3564 श्रद्धालु और यमुनोत्री में 1965 श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे थे.

अगले सीजन चारधाम की यात्रा में नया कीर्तिमान रिकॉर्ड करेंगे हासिल: उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि कोरोना काल के बाद से ही लगातार चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु नया कीर्तिमान रिकॉर्ड बना रहे थे. लेकिन इस साल प्रदेश में आपदा बहुत अधिक प्रभावित रही, जिसे चलते यात्रा मार्गों को व्यवस्थित करने में समय लग गया, जिसके चलते चार धाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी गई है. लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि लोगों की आस्था और विश्वास चारधाम से जुड़ा हुआ है. हालांकि नवंबर महीने में चारों धाम की कपाट बंद हो जाएंगे लेकिन अगले सीजन चारधाम की यात्रा के दौरान नया कीर्तिमान रिकॉर्ड हासिल करेंगे.

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि इस बार चार धाम की यात्रा में नया कीर्तिमान रिकॉर्ड हासिल ना कर पाने के पीछे तमाम वजह है जिसमें मुख्य वजह प्राकृतिक आपदा है. केदार घाटी में बने आपदा जैसे हालात की वजह से कई दिनों तक यात्रा बाधित रही. इसके साथ ही इस आपदा के चलते तमाम श्रद्धालुओं की मौत भी हो गई थी.

दरअसल, पिछले कुछ सालों से केदारनाथ धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे है, जबकि पहले बदरीनाथ धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते थे. इसके अलावा शुरुआती दौर में जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु धर्मों में दर्शन करने पहुंचे तो उसे दौरान सरकार की व्यवस्थाएं चरमरा गई, जिसके चलते तमाम बंदिशे भी सरकार को लगानी पड़ी, जिसके चलते चार धाम में आने वाले यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, यही वजह रहा की चारधाम यात्रा पर श्रद्धालुओं की संख्या का काफी अधिक फर्क पड़ा.

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देहरादून: उत्तराखंड चारधाम यात्रा अपने अंतिण चरण में है. एक तरफ दो और तीन नंवबर को केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने हैं, तो वहीं 19 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे. वहीं मॉनसून सीजन खत्म होने के बाद उत्तराखंड चारधाम यात्रा ने एक बार फिर से जोर पकड़ा है. चारधाम में रोजाना 25 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. वहीं अभीतक की बात की जाए तो 42 लाख से ज्यादा श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके हैं.

वहीं, साल 2023 के आंकड़ों की बात की जाए तो पूरे यात्रा सीजन में करीब 56 लाख तीर्थयात्रियों ने चारधाम में दर्शन किए थे, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड बना था. हालांकि इस बार ये रिकॉर्ड टूटना थोड़ा मुश्किल लग रहा है. क्योंकि इस साल की यात्रा अभी तक साल 2022 में आने वाले यात्रियों का रिकॉर्ड को भी नहीं तोड़ पाई है. हालांकि, इसके पीछे भी तमाम वजह हैं जिसमें यात्रा से शुरुआती दौर में सरकार की ओर से लगाई गई पाबंदियां, आपदा और सड़क मार्ग की बदहाल स्थिति भी है.

क्या टूट पाएगा साल 2023 का रिकॉर्ड? (ETV Bharat)

दस मई को शुरू हुई थी चारधाम यात्रा: उत्तराखंड चारधाम यात्रा इस साल दस मई को शुरू हुई थी. दस मई को ही गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट खुले थे. इसके बाद 12 मई को बदरीनाथ धाम और 25 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट खुले थे. कपाट खोलने के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु चारों धामों के दर्शन करने पहुंचे थे.

पहले 21 दिन में ही बन गया रिकॉर्ड: उत्तराखंड चारधाम के कपाट खुलने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे थे. मात्र 21 दिनों में ही 14,03,376 भक्तों ने चारधाम में दर्शन कर नया रिकॉर्ड बना दिया था. श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए सरकार को चारधाम यात्रा पर कुछ पाबंदियों भी लगानी पड़ी थी.

सरकार ने बंद कर दिए थे ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन: चारधाम यात्रा के शुरुआती चरण में सरकार ने ऑफलाइन और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू की थी, लेकिन बाद में बढ़ती भीड़ को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद कर दिए थे. किसी भी तीर्थयात्रियों को बिना रजिस्ट्रेशन के ऋषिकेश के आगे नहीं जाने दिया गया. ऋषिकेश और हरिद्वार में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को 15 से 31 मई तक बंद कर दिया था.

वहीं, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद होने से ऋषिकेश और हरिद्वार में तीर्थयात्रियों की भीड़ लग गई थी, जिसके बाद एक जून को सरकार ने फिर से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन खोले और श्रद्धालुओं को चारधाम के लिए रवाना किया. प्रत्येक धाम के लिए रोजाना 1500 ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन ही करने का निर्णय लिया गया, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या इतनी अधिक थी कि कुछ ही घंटे में ही धामों के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन का स्टाल फुल हो जा रहा था. साथ ही 15 से 31 में तक बंद किए गए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के चलते बैकलॉग की स्थिति करीब 30 हजार तक पहुंच गई थी.

लैंडस्लाइड ने बढ़ाई श्रद्धालुओं की मुश्किलें: एक जून के बाद चारधाम यात्रा पटरी पर आई तो लैंडस्लाइड ने श्रद्धालुओं की दिक्कतें बढ़ानी शुरू कर दी. बदरीनाथ हाईवे पर 6 जुलाई को भूस्खलन के चलते श्रद्धालु करीब 84 घंटे तक बीच रास्ते में ही फंस रहे थे. हालांकि प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए तमाम व्यवस्थाएं की गई, लेकिन धीरे-धीरे यात्रियों की संख्या में और अधिक कमी आने लगी, जिसकी एक मुख्य वजह यह भी रही कि मानसून सीजन ने दस्तक दे दी थी.

31 जुलाई को केदार घाटी आपदा: मॉनसून सीजन के दौरान चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बेहद कम हो जाती है, लेकिन इस यात्रा सीजन में मानसून सीजन के दौरान भी चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं का जोश काम नहीं हुआ था, लेकिन 31 जुलाई को केदार घाटी में हुई भारी बारिश के चलते केदारनाथ यात्रा मार्ग काफी अधिक क्षतिग्रस्त हो गया, जिसके चलते करीब एक महीने तक केदारनाथ धाम की यात्रा बाधित रही.

इसके साथ ही इस आपदा के चलते केदारनाथ धाम यात्रा मार्गों पर करीब 18 हज़ार फंसे यात्रियों और स्थानीय निवासियों को सुरक्षित निकाला गया था. हालांकि, 15 से 20 दिन बाद ही प्रशासन ने केदारनाथ यात्रा को वैकल्पिक मार्ग के जरिए शुरू कर दिया था, उस दौरान धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक घट गई थी.

मॉनसून सीजन के बाद चार धाम की यात्रा ने पकड़ी रफ्तार: उत्तराखंड में इस बार मॉनसून सीजन का असर सितंबर के आखिर तक देखने को मिला, जिसके चलते भी श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से नहीं बढ़ पाई. हालांकि अक्टूबर महीने की शुरुआत से फिर से चारधाम यात्रा ने रफ्तार पकड़ी, लेकिन यह रफ्तार एतिहासिक रिकॉर्ड बनाने के लिए अभी भी काफी नहीं है, जबकि उत्तराखंड चार धाम के कपाट बंद होने का समय बेहद नजदीक आ गया है.

बता दें कि यमुनोत्री गंगोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज के मौके पर यानी 3 नवंबर को बंद हो रहे हैं. तो वही, 19 नवंबर को बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाएंगे. ऐसे में साल 2023 में बने ऐतिहासिक रिकॉर्ड को तोड़ना असंभव लग रहा है. क्योंकि अभी तक चारों धाम समेत हेमकुंड साहिब में 42,92,760 श्रद्धालुओं ने दर्शन कर लिया है, जबकि साल 2023 का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए 13 लाख श्रद्धालुओं के संख्या की कमी है, जो इन महज 20 दिन में पूरा होना संभव नहीं है.

अभी तक करीब 43 लाख श्रद्धालु कर चुके है दर्शन: शुरुआती दौर में बड़ी संख्या में चारधाम की यात्रा पर पहुंचे श्रद्धालुओं के आंकड़े को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि साल 2024 की यह यात्रा एक नया कीर्तिमान रिकॉर्ड हासिल करेगी. साथ ही इस पूरे सीजन श्रद्धालुओं के दर्शन करने का आंकड़ा 80 लाख के पार पहुंच जाएगा, लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है.

क्योंकि, धामों के कपाट खुलने के बाद 21 अक्टूबर 2024 तक उत्तराखंड चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा 42,92,760 के पार पहुंच गया है. आंकड़ों के अनुसार बदरीनाथ धाम में 11,76,622 श्रद्धालु, केदारनाथ धाम में 14,46,921 श्रद्धालु, गंगोत्री धाम में 7,86,415 श्रद्धालु, यमुनोत्री धाम में 6,89,366श्रद्धालु और हेमकुंड साहिब में 1,83,722 श्रद्धालु दर्शन कर चुके है.

साल 2023 में 56.13 लाख श्रद्धालुओं ने किए थे दर्शन: वैश्विक महामारी कोरोना काल के बाद से ही साल दर्शन चार धाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी होती रही है. यही वजह रहा कि हर साल चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं ने नए कीर्तिमान रिकॉर्ड बनाए थे. कोरोना काल के चलते साल 2020 और 2021 में यात्रा बाधित रही, लेकिन साल 2022 में चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. क्योंकि साल 2022 में यात्रा के दौरान 46.29 लाख श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे थे.

इसी क्रम में साल 2023 में चारधाम यात्रा के दौरान 56.13 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे. जिसने एक नया ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन इस साल 2024 में तमाम वजहों के चलते साल 2023 का आंकड़ा टूटना असंभव लग रहा है.

चारधाम में दिन प्रति दिन बढ़ रहा है श्रद्धालुओं की संख्या: मॉनसून सीजन समाप्त होने के बाद उत्तराखंड चार धाम की यात्रा ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ी 1 अक्टूबर के बाद से रोजाना चारों धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 10 से 15 हज़ार थी, लेकिन अब वर्तमान समय में चारों धामों में रोजाना 25 से 30 हजार श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं.

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार 21 अक्टूबर 2024 को 29427 श्रद्धालु ने धामों के दर्शन करने पहुंचे थे. बदरीनाथ धाम में 9073 श्रद्धालु, केदारनाथ में 14765 श्रद्धालु, गंगोत्री में 3564 श्रद्धालु और यमुनोत्री में 1965 श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे थे.

अगले सीजन चारधाम की यात्रा में नया कीर्तिमान रिकॉर्ड करेंगे हासिल: उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि कोरोना काल के बाद से ही लगातार चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु नया कीर्तिमान रिकॉर्ड बना रहे थे. लेकिन इस साल प्रदेश में आपदा बहुत अधिक प्रभावित रही, जिसे चलते यात्रा मार्गों को व्यवस्थित करने में समय लग गया, जिसके चलते चार धाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी गई है. लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि लोगों की आस्था और विश्वास चारधाम से जुड़ा हुआ है. हालांकि नवंबर महीने में चारों धाम की कपाट बंद हो जाएंगे लेकिन अगले सीजन चारधाम की यात्रा के दौरान नया कीर्तिमान रिकॉर्ड हासिल करेंगे.

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि इस बार चार धाम की यात्रा में नया कीर्तिमान रिकॉर्ड हासिल ना कर पाने के पीछे तमाम वजह है जिसमें मुख्य वजह प्राकृतिक आपदा है. केदार घाटी में बने आपदा जैसे हालात की वजह से कई दिनों तक यात्रा बाधित रही. इसके साथ ही इस आपदा के चलते तमाम श्रद्धालुओं की मौत भी हो गई थी.

दरअसल, पिछले कुछ सालों से केदारनाथ धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे है, जबकि पहले बदरीनाथ धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते थे. इसके अलावा शुरुआती दौर में जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु धर्मों में दर्शन करने पहुंचे तो उसे दौरान सरकार की व्यवस्थाएं चरमरा गई, जिसके चलते तमाम बंदिशे भी सरकार को लगानी पड़ी, जिसके चलते चार धाम में आने वाले यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, यही वजह रहा की चारधाम यात्रा पर श्रद्धालुओं की संख्या का काफी अधिक फर्क पड़ा.

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Last Updated : Oct 22, 2024, 4:27 PM IST
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