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वित्त मंत्री ने यूपीए के कुप्रबंधन पर लोकसभा में रखा श्वेत पत्र, जानिए क्या कहा

White Paper : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र रखा. 1 फरवरी को पेश किए गए केंद्रीय बजट में घोषणा की गई थी कि वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के 10 वर्षों के आर्थिक प्रदर्शन की तुलना भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के 10 वर्षों के आर्थिक प्रदर्शन से करने के लिए 'श्वेत पत्र' लाएंगी. जानिए श्वेत पत्र में क्या है.

Sitharaman to lay White Paper
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 8, 2024, 4:43 PM IST

Updated : Feb 8, 2024, 9:03 PM IST

नई दिल्ली : सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे लोकसभा में पटल पर रखा. श्वेत पत्र में अर्थव्यवस्था की चर्चा तीन भागों में की गई है. पहले भाग में यूपीए सरकार के दौरान 2004 से 2014 के बीच देश की अर्थव्यवस्था का ज़िक्र है. दूसरे भाग में यूपीए सरकार के दौरान हुए घोटालों का जिक्र है और तीसरे भाग में बताया गया है कि कैसे मोदी सरकार ने विरासत में मिली खराब अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे पिछले दस सालों में सुधारा है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे साल 2009 और 2014 के बीच मुद्रा स्फीति बढ़ी और कैसे इसका नुकसान आम आदमी को उठाना पड़ा. 'साल 2009 और 2014 के बीच छह वर्ष के लिए उच्च राजकोषीय घाटे ने आम और गरीब परिवार पर संकट का ढेर लगा दिया. 2010 से 2014 तक की पांच साल की अवधि में औसत वार्षिक मुद्रा स्फीति दर दोहरे अंक में थी. वित्त वर्ष 2004 और वित्त वर्ष 2014 के बीच अर्थव्यवस्था में औसत वार्षिक मुद्रास्फीति की दर 8.2 फीसदी थी.'

रिपोर्ट के मुताबिक 'यूपीए सरकार की सबसे बड़ी और अपयश विरासत बैंकिंग संकट थी. जब वाजपेयी जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने कार्यभार संभाला, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ग्रास एनपीए का अनुपात 16 फीसदी था. और जब यूपीए ने 2004 में कार्यभार संभाला तब यह 7.8 फीसदी था. सितंबर 2013 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कॉमर्शियल लोन्स देने के फैसलों में राजनैतिक हस्तक्षेप हुए और इससे ये अनुपात फिर 12.3 फीसदी तक बढ़ गया.'

15 घोटालों का जिक्र : इस पत्र में यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल में हुए 15 बड़े घोटालों का जिक्र किया गया है. निर्मला सीतारमण ने कोयला ब्लॉक आवंटन, राष्ट्रमंडल खेल, टू-जी टेलीकॉम, आईएनएक्स मीडिया घोटाला, एयरसेल-मैक्सिस घोटाला, एंट्रिक्स-देवास डील को लेकर निशाना साधा.

लालू का भी जिक्र : मोदी सरकार के श्वेत पत्र में जमीन के बदले नौकरी का जिक्र कर आरजेडी प्रमुख लालू यादव पर प्रहार किया गया है. वहीं, शारदा घोटाले को लेकर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन घोटाला में हुए करोड़ों के हेरफेर को लेकर फारूक अब्दुल्ला को भी निशाने पर लिया गया. बता दें कि मोदी सरकार के श्वेत पत्र से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ब्लैक पेपर जारी किया था.

इसके अलावा श्वेत पत्र में यूपीए सरकार के समय की कुछ खास बातों का जिक्र है-

  • गलत फैसलों से साल 2014 में बैंकिंग संकट विशाल था और दांव पर लगी पूर्ण राशि बहुत बड़ी थी.
  • यूपीए सरकार के तहत, सार्वजनिक वित्त को खतरनाक स्थिति में लाया गया.
  • बेलगाम राजकोषीय घाटे ने अर्थव्यवस्था को राजकोषीय संकट की ओर ढकेल दिया.
  • यूपीए सरकार के दस साल के 15 घोटालों का जिक्र
  • जमीन के बदले नौकरी देने का जिक्र कर लालू पर साधा निशाना

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नई दिल्ली : सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे लोकसभा में पटल पर रखा. श्वेत पत्र में अर्थव्यवस्था की चर्चा तीन भागों में की गई है. पहले भाग में यूपीए सरकार के दौरान 2004 से 2014 के बीच देश की अर्थव्यवस्था का ज़िक्र है. दूसरे भाग में यूपीए सरकार के दौरान हुए घोटालों का जिक्र है और तीसरे भाग में बताया गया है कि कैसे मोदी सरकार ने विरासत में मिली खराब अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे पिछले दस सालों में सुधारा है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे साल 2009 और 2014 के बीच मुद्रा स्फीति बढ़ी और कैसे इसका नुकसान आम आदमी को उठाना पड़ा. 'साल 2009 और 2014 के बीच छह वर्ष के लिए उच्च राजकोषीय घाटे ने आम और गरीब परिवार पर संकट का ढेर लगा दिया. 2010 से 2014 तक की पांच साल की अवधि में औसत वार्षिक मुद्रा स्फीति दर दोहरे अंक में थी. वित्त वर्ष 2004 और वित्त वर्ष 2014 के बीच अर्थव्यवस्था में औसत वार्षिक मुद्रास्फीति की दर 8.2 फीसदी थी.'

रिपोर्ट के मुताबिक 'यूपीए सरकार की सबसे बड़ी और अपयश विरासत बैंकिंग संकट थी. जब वाजपेयी जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने कार्यभार संभाला, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ग्रास एनपीए का अनुपात 16 फीसदी था. और जब यूपीए ने 2004 में कार्यभार संभाला तब यह 7.8 फीसदी था. सितंबर 2013 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कॉमर्शियल लोन्स देने के फैसलों में राजनैतिक हस्तक्षेप हुए और इससे ये अनुपात फिर 12.3 फीसदी तक बढ़ गया.'

15 घोटालों का जिक्र : इस पत्र में यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल में हुए 15 बड़े घोटालों का जिक्र किया गया है. निर्मला सीतारमण ने कोयला ब्लॉक आवंटन, राष्ट्रमंडल खेल, टू-जी टेलीकॉम, आईएनएक्स मीडिया घोटाला, एयरसेल-मैक्सिस घोटाला, एंट्रिक्स-देवास डील को लेकर निशाना साधा.

लालू का भी जिक्र : मोदी सरकार के श्वेत पत्र में जमीन के बदले नौकरी का जिक्र कर आरजेडी प्रमुख लालू यादव पर प्रहार किया गया है. वहीं, शारदा घोटाले को लेकर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन घोटाला में हुए करोड़ों के हेरफेर को लेकर फारूक अब्दुल्ला को भी निशाने पर लिया गया. बता दें कि मोदी सरकार के श्वेत पत्र से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ब्लैक पेपर जारी किया था.

इसके अलावा श्वेत पत्र में यूपीए सरकार के समय की कुछ खास बातों का जिक्र है-

  • गलत फैसलों से साल 2014 में बैंकिंग संकट विशाल था और दांव पर लगी पूर्ण राशि बहुत बड़ी थी.
  • यूपीए सरकार के तहत, सार्वजनिक वित्त को खतरनाक स्थिति में लाया गया.
  • बेलगाम राजकोषीय घाटे ने अर्थव्यवस्था को राजकोषीय संकट की ओर ढकेल दिया.
  • यूपीए सरकार के दस साल के 15 घोटालों का जिक्र
  • जमीन के बदले नौकरी देने का जिक्र कर लालू पर साधा निशाना

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Last Updated : Feb 8, 2024, 9:03 PM IST
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