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राम नवमी पर कीजिए मां शीतला देवी के दर्शन, काशी से लाई गई थी मूर्ति, नवरात्रि पर जानिए मंदिर से जुड़े रहस्य - Sheetla Mata Temple

Sheetla Mata Temple Uttarakhand उत्तराखंड में देवी देवताओं के कई मंदिर हैं. उनकी महिमा भी अलग-अलग है. ऐसा ही एक मंदिर नैनीताल जिले के काठगोदाम की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित है. इसे मां शीतला देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की महिमा भी खास है. किंवदंती है कि सपनों में मां शीतला ने दर्शन दिए थे. इतना ही नहीं मूर्ति जमीन में गड़ गई थी. जानिए मंदिर से जुड़े रहस्य...

Sheetla Mata Temple Uttarakhand
माता शीतला देवी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 17, 2024, 6:19 AM IST

हल्द्वानी: नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों में पूजा की गई. घरों में कलश स्थापना की गई, तो वहीं मंदिरों में श्रद्धालुओं ने मां भगवती की आराधना कर परिवार की सुख-शांति की कामना की. मान्यता है कि नवरात्रों में विधि विधान से मां शीतला की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शीतला मां शांति, सेहत और शीतलता प्रदान करती हैं. आज राम नवमी है. ऐसे में आज कीजिए मां शीतला देवी के दर्शन.

Sheetla Mata Temple Uttarakhand
शीतला देवी मंदिर में भीड़

काठगोदाम के रानीबाग में है मंदिर: उत्तराखंड का प्रसिद्ध शीतला देवी मंदिर नैनीताल जिले के काठगोदाम से 2 किलोमीटर दूर रानीबाग की पहाड़ी पर है. ये मंदिर चारों तरफ से हरियाली से घिरा हुआ है. माता शीतला मां दुर्गा का अवतार भी मानी जाती हैं. इस मंदिर में मां के दर्शन करने के लिए स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में आते हैं.

ऐसे स्थापित हुआ था मंदिर: पौराणिक मान्यता के अनुसार, नैनीताल जिले के भीमताल के पाण्डे लोग बनारस से माता शीतला देवी की मूर्ति लेकर वापस अपने गांव आ रहे थे. वो अपने गांव भीमताल में इस मूर्ति को स्थापित करना चाहते थे. लेकिन हल्द्वानी से रानीबाग गुलाब घाटी की ओर जब उन्होंने चढ़ाई की तो इसी जगह पर रात हो गई.

Sheetla Mata Temple Uttarakhand
माता शीतला देवी का मंदिर

काशी से लाई गई मूर्ति: कहा जाता है कि बनारस से माता की मूर्ति को लेकर आ रही टोली ने इसी जगह पर रात्रि विश्राम किया था. टोली में से एक शख्स को रात में मां ने सपने में दर्शन दिए और इसी स्थान पर मूर्ति को स्थापित करने की बात कही. जब उस शख्स ने सुबह अपने साथियों को सपने के बारे में बताया, तो उन्हें पहले तो यकीन ही नहीं हुआ. लेकिन जब लोगों ने मूर्ति उठाने की कोशिश की तो वो मूर्ति उसी जगह पर गड़ गई.

किंवदंती है कि मूर्ति एक इंच भी नहीं हिली. लोग उस मूर्ति को उठा ही नहीं पाए. इसके बाद पाण्डे लोगों ने मूर्ति की यहीं स्थापना कर दी. शीतला माता मंदिर को उत्तराखंड ही नहीं बल्कि, पूरे देश में प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है. यह मां दुर्गा के शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है.

Sheetla Mata Temple Uttarakhand
मां शीतला

शीतला माता मंदिर में उमड़ती है भीड़: शीतला माता मंदिर में हमेशा भीड़ रहती है. बाहर से भी बड़ी संख्या में आने वाले पर्यटक माता के दर्शन करते हैं. नवरात्रि में शीतला माता मंदिर का महत्व विशेष महत्व माना जाता है. नवरात्रि में मां के मंदिर में भक्तों की विशाल भीड़ उमड़ पड़ती है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पैदल यात्रा कर पहुंचते हैं.

चेचक की बीमारी हो जाती है छू मंतर! माता शीतला का मंदिर काफी आकर्षक है. इसके आसपास का वातावरण भी श्रद्धालुओं को काफी मोहित करता है. शीतला माता को चेचक आदि कई बीमारियों को ठीक कनरे वाली देवी भी बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि कि यहां दर्शन करने से चर्म रोगों से भी छुटकारा मिलता है. मां शीतला देवी को स्वच्छता की देवी भी कहा जाता है.

शीतला देवी की आराधना करने से सभी रोगों का होता है निवारण: स्कंद पुराण में शीतला देवी का वाहन गर्दभ बताया गया है. मां शीतला देवी अपने हाथों में सूप, कलश, झाड़ू और नीम के पत्ते धारण करती हैं. चेचक आदि रोगों की देवी भी शीतला देवी को ही कहा जाता है. मां शीतला देवी की आराधना करने से सभी तरह के रोगों से निवारण के साथ मनोवांछित फल मिलता है.

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हल्द्वानी: नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों में पूजा की गई. घरों में कलश स्थापना की गई, तो वहीं मंदिरों में श्रद्धालुओं ने मां भगवती की आराधना कर परिवार की सुख-शांति की कामना की. मान्यता है कि नवरात्रों में विधि विधान से मां शीतला की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शीतला मां शांति, सेहत और शीतलता प्रदान करती हैं. आज राम नवमी है. ऐसे में आज कीजिए मां शीतला देवी के दर्शन.

Sheetla Mata Temple Uttarakhand
शीतला देवी मंदिर में भीड़

काठगोदाम के रानीबाग में है मंदिर: उत्तराखंड का प्रसिद्ध शीतला देवी मंदिर नैनीताल जिले के काठगोदाम से 2 किलोमीटर दूर रानीबाग की पहाड़ी पर है. ये मंदिर चारों तरफ से हरियाली से घिरा हुआ है. माता शीतला मां दुर्गा का अवतार भी मानी जाती हैं. इस मंदिर में मां के दर्शन करने के लिए स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में आते हैं.

ऐसे स्थापित हुआ था मंदिर: पौराणिक मान्यता के अनुसार, नैनीताल जिले के भीमताल के पाण्डे लोग बनारस से माता शीतला देवी की मूर्ति लेकर वापस अपने गांव आ रहे थे. वो अपने गांव भीमताल में इस मूर्ति को स्थापित करना चाहते थे. लेकिन हल्द्वानी से रानीबाग गुलाब घाटी की ओर जब उन्होंने चढ़ाई की तो इसी जगह पर रात हो गई.

Sheetla Mata Temple Uttarakhand
माता शीतला देवी का मंदिर

काशी से लाई गई मूर्ति: कहा जाता है कि बनारस से माता की मूर्ति को लेकर आ रही टोली ने इसी जगह पर रात्रि विश्राम किया था. टोली में से एक शख्स को रात में मां ने सपने में दर्शन दिए और इसी स्थान पर मूर्ति को स्थापित करने की बात कही. जब उस शख्स ने सुबह अपने साथियों को सपने के बारे में बताया, तो उन्हें पहले तो यकीन ही नहीं हुआ. लेकिन जब लोगों ने मूर्ति उठाने की कोशिश की तो वो मूर्ति उसी जगह पर गड़ गई.

किंवदंती है कि मूर्ति एक इंच भी नहीं हिली. लोग उस मूर्ति को उठा ही नहीं पाए. इसके बाद पाण्डे लोगों ने मूर्ति की यहीं स्थापना कर दी. शीतला माता मंदिर को उत्तराखंड ही नहीं बल्कि, पूरे देश में प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है. यह मां दुर्गा के शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध है.

Sheetla Mata Temple Uttarakhand
मां शीतला

शीतला माता मंदिर में उमड़ती है भीड़: शीतला माता मंदिर में हमेशा भीड़ रहती है. बाहर से भी बड़ी संख्या में आने वाले पर्यटक माता के दर्शन करते हैं. नवरात्रि में शीतला माता मंदिर का महत्व विशेष महत्व माना जाता है. नवरात्रि में मां के मंदिर में भक्तों की विशाल भीड़ उमड़ पड़ती है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पैदल यात्रा कर पहुंचते हैं.

चेचक की बीमारी हो जाती है छू मंतर! माता शीतला का मंदिर काफी आकर्षक है. इसके आसपास का वातावरण भी श्रद्धालुओं को काफी मोहित करता है. शीतला माता को चेचक आदि कई बीमारियों को ठीक कनरे वाली देवी भी बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि कि यहां दर्शन करने से चर्म रोगों से भी छुटकारा मिलता है. मां शीतला देवी को स्वच्छता की देवी भी कहा जाता है.

शीतला देवी की आराधना करने से सभी रोगों का होता है निवारण: स्कंद पुराण में शीतला देवी का वाहन गर्दभ बताया गया है. मां शीतला देवी अपने हाथों में सूप, कलश, झाड़ू और नीम के पत्ते धारण करती हैं. चेचक आदि रोगों की देवी भी शीतला देवी को ही कहा जाता है. मां शीतला देवी की आराधना करने से सभी तरह के रोगों से निवारण के साथ मनोवांछित फल मिलता है.

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