नई दिल्ली: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा देने के बाद भारत आ चुकी हैं. उन्हें गाजियाबाद हिंडन एयरबेस के सेफ हाउस में रहते हुए आज तीसरा दिन है. लेकिन, इससे पहले भी शेख हसीना वर्ष 1975 में जब बांग्लादेश में उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान की सरकार का सैन्य तख्तापलट हुआ था तो शेख मुजीब सहित उनके परिवार के 18 लोगों की सेना के कुछ लोगों ने हत्या कर दी थी.
1975 में शेख मुजीबुर्रहमान की सरकार का सैन्य तख्तापलट के वक्त शेख हसीना अपनी बहन के साथ ब्रसेल्स में थीं. इस कारण उनकी जान बच गई थी. पिता और परिवार वालों की हत्या के बाद उनको भारत में शरण लेनी पड़ी थी. वह अपने पति और बच्चों के साथ यूरोप से भारत आई थीं. उन्हें शुरू में दिल्ली के लाजपत नगर स्थित बिल्डिंग नंबर 56, जो उस समय बांग्लादेश का दूतावास हुआ करता था, वहां ठहराया गया था. कुछ समय वहां रहने के बाद सुरक्षा कारणों से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनको पंडारा पार्क स्थित एक बंगले में शिफ्ट करा दिया था.
6 वर्ष परिवार के साथ नाम बदलकर दिल्ली में रही शेख हसीना: पंडारा पार्क स्थित बांग्ला नंबर सी-1/42 में शेख हसीना वर्ष 1975 से 1981 तक 6 वर्ष अपने परिवार के साथ नाम बदल कर रही. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उनके दिल्ली प्रवास को गुप्त रहा गया था. यहां तक की नाम भी बदला गया था. यहां उनके पति वाजिद मियां मिस्टर मजूमदार और शेख हसीना मिसेज मजूमदार बनकर रहीं थी. उसके बाद जब बांग्लादेश में हालात सामान्य हुए और आगामी लीग की जब नेता चुन ली गई तो वह 17 मई 1981 को बांग्लादेश वापसी लौट गईं. पंडारा पार्क वह बांग्ला अभी भी है. इस समय यह बांग्ला राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से दो बार के राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज कुमार झा का सरकारी आवास है.
बंगाली कुक को खाने बनाने के लिए बुलाया गया था: शेख हसीना के पंडारा पार्क स्थित बंगले में रहने के बारे में बताते हुए इतिहासकार एवं मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद के कुलाधिपति रहे प्रो. फिरोज बख्त अहमद ने बताया कि जब उनको सुरक्षा कारणों से पंडारा पार्क स्थित बंगले में शिफ्ट किया गया था तो उस समय उनके परिवार के लिए कोलकाता से एक बंगाली कुक को विशेष तौर पर बुलाया गया था. ताकि बंगाली डिशेज वह बना सके. उनके परिवार के लोग बंगाली खाना पसंद करते थे.
हसीना के भारत प्रवास की बातें दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा 'ड्रेमेटिक डिकेड' में भी लिखा है. उन्होंने लिखा है कि दोनों परिवार अक्सर मिला करते थे. पिकनिक के लिए दिल्ली से बाहर भी जाते थे.
शेख हसीना के परिवार के कई सदस्यों की हुई थी हत्या: 1975 में जब बांग्लादेश में शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान की सरकार का सैन्य तख्तापलट हुआ था तो शेख मुजीब सहित उनके परिवार के 18 लोगों की सेना के कुछ लोगों ने हत्या कर दी थी. इसलिए उस समय सुरक्षा कारणों से उनके परिवार के लोग ज्यादा बाहर नहीं निकलते थे. फिरोज बख्त अहमद ने बताया कि इसलिए उनकी पसंद की सारी चीजें बंगाली कुक के द्वारा घर पर ही बनाई जाती थी.
तीस्ता नदी जल बंटवारा मामले में भारत के साथ धोखेबाजी: भारत के साथ शुरू से ही शेख हसीना के अच्छे संबंध रहे हैं. उन्होंने अधिकतर मामलों में भारत का साथ दिया. शेख हसीना ने सिर्फ तीस्ता नदी के जल बंटवारे के मामले में भारत के साथ धोखेबाजी की. उस समय उन्होंने चीन के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ाई. लेकिन जब भारत की ओर से इस पर कड़ी आपत्ति जताई गई तो फिर से शेख हसीना भारत के पक्ष में ही रही. भारत शुरू से ही अमन पसंद देश रहा है. भारत में तिब्बतियों को भी यहां शरण दी है. इसी तरह से शेख हसीना को भी फिर से शरण दी गई और इस समय भी वह रुकी हुई हैं.