नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वाईएसआर कांग्रेस (YSR Congress) के विधायक पिन्नेल्ली रामकृष्ण रेड्डी द्वारा ईवीएम को क्षतिग्रस्त करने की कथित घटना को 'व्यवस्था का सरासर मजाक' करार दिया. उन्हें 4 जून को मतगणना के दिन माचेरला विधानसभा क्षेत्र में संबंधित मतगणना क्षेत्र और स्टेशन में प्रवेश करने से रोक दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों में अंतरिम संरक्षण कैसे प्रदान किया. मामला एक वायरल वीडियो से संबंधित है जिसमें विधायक माचेरला के मतदान केंद्र में ईवीएम मशीन को तोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ माचेरला निवासी टीडीपी कार्यकर्ता नंबूरी शेषगिरि राव की वाईएसआर कांग्रेस के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
राव टीडीपी के मतगणना एजेंट भी हैं. उन्होंने कहा कि विधायक ने मतदान के दिन माचेरला में ईवीएम को नष्ट कर दिया था. राव के वकील ने पीठ से घटना के वीडियो की जांच करने का आग्रह किया. घटना का वीडियो देखने के बाद न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, 'क्या मजाक उड़ाया जा रहा है. यह व्यवस्था का मजाक है. (व्यवस्था का) सरासर मजाक, मतदान केंद्र में कितने लोग प्रवेश कर सकते हैं.'
सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि हाईकोर्ट ने रेड्डी को पांच जून तक अग्रिम जमानत दे दी है. रेड्डी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि वह यह वचन देने के लिए तैयार हैं कि वह मतगणना केंद्र के पास नहीं जाएंगे और उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि हाईकोर्ट को छह जून को मामले की सुनवाई जारी रखने की अनुमति दी जाए.
पीठ ने सवाल किया कि ऐसे मामले में हाईकोर्ट ने अंतरिम संरक्षण क्यों दिया और कहा, 'इसे एक उदाहरण बनने दीजिए. हम हाईकोर्ट से कहेंगे कि वह अपने पहले के आदेश से प्रभावित हुए बिना गुण-दोष के आधार पर फैसला करे.' न्यायमूर्ति मेहता ने कहा कि यह केवल वीडियो के बारे में नहीं है, बल्कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर ईवीएम को क्षतिग्रस्त किए जाने की तस्वीरें हैं और ‘यह एक लाइव वेब टेलीकास्ट था.'
पीठ ने सिंह से कहा, 'हम वीडियो और तस्वीरों को नजरअंदाज कर सकते हैं. शिकायतकर्ता का कहना है कि ईवीएम और वीवीपैट दोनों को ले जाया गया और नष्ट कर दिया गया. आठ लोग मतदान केंद्र के अंदर घुस आए.' इस पर सिंह ने जवाब दिया कि बूथ के अंदर कौन घुसा, यह सवाल है.
पीठ ने रेड्डी को हाईकोर्ट से मिली राहत के बारे में यह टिप्पणी की, 'जमानत का सवाल ही कहां था. अगर हम इस आदेश पर रोक नहीं लगाते हैं, तो यह न्याय व्यवस्था का मजाक उड़ाने जैसा होगा. पीठ ने कहा कि वह शिकायत में लगाए गए आरोपों को प्रथम दृष्टया स्वीकार करने के लिए इच्छुक है.
सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल का नाम पहली एफआईआर में था और दस दिन बाद एफआईआर में उनका नाम दर्ज किया गया. घटना से संबंधित जो वीडियो रिकॉर्ड में लाए गए हैं, वे आधिकारिक नहीं हैं. पीठ ने सिंह से कहा कि उनका मुवक्किल यह वचन दे सकता है कि वह मतगणना क्षेत्र के आसपास नहीं दिखाई देगा. न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, 'सिंह, यह वीडियो छेड़छाड़ किया हुआ वीडियो नहीं है.'
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि प्रतिवादी की यह दलील कि वह माचेरला विधानसभा क्षेत्र में संबंधित मतगणना क्षेत्र और मतदान केंद्र में प्रवेश नहीं करेगा, इस चरण में पर्याप्त होगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट को अंतरिम संरक्षण के पहले दिए गए अनुदान से स्वतंत्र होकर 4 जून को जमानत याचिका के विस्तार पर फैसला करना चाहिए. 13 मई को एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें विधायक रामकृष्ण रेड्डी एक मतदान केंद्र पर ईवीएम तोड़ते नजर आ रहे थे. यह घटना 13 मई को आंध्र प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए एक साथ हो रहे मतदान के दौरान हुई थी. विधायक ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने पुलिस को 5 जून तक विधायक के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया और मामले की अगली सुनवाई 6 जून को तय की.