नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व विशेष पुलिस महानिदेशक (DGP) राजेश दास को यौन उत्पीड़न के एक मामले में आत्मसमर्पण करने से छूट दे दी है. बता दें कि उन्हें ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया था. न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने 17 मई को पारित एक आदेश में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और मामले को जुलाई में आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित की.
पीठ ने कहा कि दास को सुनवाई की अगली तारीख तक आत्मसमर्पण करने से छूट दी जाएगी. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी को नोटिस जारी किया जाए, जो 12 जुलाई, 2024 को वापस किया जाएगा. इस बीच, याचिकाकर्ता को सुनवाई की अगली तारीख तक आत्मसमर्पण करने से छूट दी जाएगी. शीर्ष अदालत ने दास द्वारा दायर याचिका पर आदेश पारित किया, जिसमें ड्यूटी के दौरान एक महिला पुलिस अधीक्षक के यौन उत्पीड़न के 2021 के मामले में आत्मसमर्पण से छूट की मांग की गई थी.
गौरतलब है कि इस साल फरवरी में मद्रास हाई कोर्ट ने सत्र अदालत के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसने दास को दोषी ठहराए जाने और तीन साल की सजा को बरकरार रखा था. यह घटना फरवरी 2021 में हुई जब दास और महिला अधिकारी एक चुनाव अभियान के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी की सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा थे. सत्र अदालत ने दास को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई दोषसिद्धि और सजा की पुष्टि की थी.
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