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अजित पवार गुट को 'सुप्रीम' झटका, कोर्ट का 19 मार्च के आदेश में संशोधन से इनकार - Supreme Court

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By Sumit Saxena

Published : Apr 4, 2024, 3:48 PM IST

Supreme Court : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजीत पवार गुट को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने पहले के आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

Supreme Court
अजित पवार गुट को 'सुप्रीम' झटका

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एमसीपी) के घड़ी चुनाव चिन्ह को लेकर अदालत में सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि दोनों गुट के नेता आने वाले आम चुनाव पर फोकस करें. सुप्रीम कोर्ट ने आज 4 अप्रैल गुरुवार को अजीत पवार और शरद पवार दोनों गुट को 19 मार्च, 2024 को पारित कोर्ट के पिछले अंतरिम आदेश का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया.

अजीत पवार गुट ने अदालत के समक्ष दलील दी कि शरद पवार गुट यह फैला रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही फैसला कर लिया था कि अजीत पवार गुट को घड़ी चुनाव चिन्ह देना अवैध है. बता दें, शरद पवार गुट ने अजित पवार पर 'घड़ी' चुनाव चिह्न पर अदालत के निर्देश का पालन न करने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

19 मार्च को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने अजित पवार के नेतृत्व वालेे एनसीपी को अंग्रेजी, मराठी और हिंदी में एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर यह बताने के लिए कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित कार्यवाही के अंतिम परिणाम तक वह 'घड़ी' चुनाव चिन्ह का उपयोग नहीं करेगी. पीठ ने निर्देश दिया था कि इस तरह की घोषणा अजित पवार की एनसीपी ओर से जारी प्रत्येक पर्चे, विज्ञापन, ऑडियो या वीडियो क्लिप में की जाएगी.

बुधवार 3 अप्रैल को सीनियर नेता शरद पवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अजीत पवार गुट द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन ना करने के मुद्दे का मुद्दा उठाया. सिंघवी ने न्यायमूर्ति कांत की अगुवाई वाली पीठ को बताया कि अजीत पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने अदालत के निर्देश के अनुपालन में किसी भी समाचार पत्र में अस्वीकरण प्रकाशित नहीं किया है, बल्कि 19 मार्च के कोर्ट के निर्देश में ढील के लिए आवेदन किया है. इस तरह के आवेदन पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि यह (19 मार्च का निर्देश) बदला नहीं जा सकता, हम चुनाव के बीच में हैं.

बता दें, शीर्ष अदालत दो आवेदनों पर सुनवाई कर रही थी: एक शरद पवार समूह द्वारा दायर किया गया था, जिसमें अजीत पवार समूह द्वारा अदालत के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया गया था. और दूसरा आवेदन अजीत पवार के गुट द्वारा.

शीर्ष अदालत ने 19 मार्च को अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट को अंग्रेजी, हिंदी और मराठी संस्करणों में समाचार पत्रों में एक सार्वजनिक नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था, जिसमें बताया गया था कि 'घड़ी' प्रतीक का आवंटन अदालत और प्रतिवादी के समक्ष विचाराधीन है. इन कार्यवाहियों के अंतिम परिणाम तक उसी विषय का उपयोग करने की अनुमति दी गई है. शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस तरह की घोषणा प्रतिवादी (एनसीपी) राजनीतिक दल द्वारा जारी किए जाने वाले प्रत्येक पर्चे, विज्ञापन, ऑडियो या वीडियो क्लिप में शामिल की जाएगी.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एमसीपी) के घड़ी चुनाव चिन्ह को लेकर अदालत में सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि दोनों गुट के नेता आने वाले आम चुनाव पर फोकस करें. सुप्रीम कोर्ट ने आज 4 अप्रैल गुरुवार को अजीत पवार और शरद पवार दोनों गुट को 19 मार्च, 2024 को पारित कोर्ट के पिछले अंतरिम आदेश का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया.

अजीत पवार गुट ने अदालत के समक्ष दलील दी कि शरद पवार गुट यह फैला रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही फैसला कर लिया था कि अजीत पवार गुट को घड़ी चुनाव चिन्ह देना अवैध है. बता दें, शरद पवार गुट ने अजित पवार पर 'घड़ी' चुनाव चिह्न पर अदालत के निर्देश का पालन न करने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

19 मार्च को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने अजित पवार के नेतृत्व वालेे एनसीपी को अंग्रेजी, मराठी और हिंदी में एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर यह बताने के लिए कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित कार्यवाही के अंतिम परिणाम तक वह 'घड़ी' चुनाव चिन्ह का उपयोग नहीं करेगी. पीठ ने निर्देश दिया था कि इस तरह की घोषणा अजित पवार की एनसीपी ओर से जारी प्रत्येक पर्चे, विज्ञापन, ऑडियो या वीडियो क्लिप में की जाएगी.

बुधवार 3 अप्रैल को सीनियर नेता शरद पवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अजीत पवार गुट द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन ना करने के मुद्दे का मुद्दा उठाया. सिंघवी ने न्यायमूर्ति कांत की अगुवाई वाली पीठ को बताया कि अजीत पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने अदालत के निर्देश के अनुपालन में किसी भी समाचार पत्र में अस्वीकरण प्रकाशित नहीं किया है, बल्कि 19 मार्च के कोर्ट के निर्देश में ढील के लिए आवेदन किया है. इस तरह के आवेदन पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि यह (19 मार्च का निर्देश) बदला नहीं जा सकता, हम चुनाव के बीच में हैं.

बता दें, शीर्ष अदालत दो आवेदनों पर सुनवाई कर रही थी: एक शरद पवार समूह द्वारा दायर किया गया था, जिसमें अजीत पवार समूह द्वारा अदालत के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया गया था. और दूसरा आवेदन अजीत पवार के गुट द्वारा.

शीर्ष अदालत ने 19 मार्च को अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट को अंग्रेजी, हिंदी और मराठी संस्करणों में समाचार पत्रों में एक सार्वजनिक नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था, जिसमें बताया गया था कि 'घड़ी' प्रतीक का आवंटन अदालत और प्रतिवादी के समक्ष विचाराधीन है. इन कार्यवाहियों के अंतिम परिणाम तक उसी विषय का उपयोग करने की अनुमति दी गई है. शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस तरह की घोषणा प्रतिवादी (एनसीपी) राजनीतिक दल द्वारा जारी किए जाने वाले प्रत्येक पर्चे, विज्ञापन, ऑडियो या वीडियो क्लिप में शामिल की जाएगी.

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