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नरेंद्रनगर राजमहल में सुहागिनों ने निकाला तिलों का तेल, बदरीनाथ के लिए रवाना हुई गाडू घड़ा कलश यात्रा - Chardham Yatra 2024

Gadu Ghada in Chardham Yatra, Sesame Oil For Badrinath Dham चारधाम यात्रा 2024 दस मई से शुरू होने जा रही है. बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खुलेंगे. बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तैयारियां जोरों पर हैं. आज टिहरी नरेश के नरेंद्रनगर राजमहल में भगवान बदरीनाथ के लिए तिलों का तेल निकाला गया. इसके बाद इस तेल को चांदी के कलश में रखकर गाडू घड़ा कलश यात्रा की शुरुआत हुई.

Gadu Ghada in Chardham Yatra
गाडू घड़ा कलश यात्रा
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 25, 2024, 8:59 AM IST

Updated : Apr 25, 2024, 10:44 PM IST

सुहागिनों ने निकाला तिलों का तेल

टिहरी: 12 मई को इस साल भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे. धरती पर बैकुंठ धाम कहे जाने वाले भगवान बदरी विशाल के अभिषेक के लिए नरेंद्रनगर के राजमहल में पौराणिक परंपरा अनुसार, पूजा अर्चना करने के पश्चात, आज गुरुवार 25 अप्रैल को, टिहरी की सांसद और महारानी राज्य लक्ष्मी शाह की अगुवाई में नगर की 60 से अधिक सुहागिन महिलाओं ने पीला वस्त्र धारण कर मूसल व सिलबट्टे से तिलों का तेल पिरोया.

नरेंद्रनगर राजमहल में पिरोया गया तिलों का तेल: राजपुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल ने पौराणिक परंपरानुसार, टिहरी की महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह के हाथों विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चना करवाते हुए तिलों का तेल पिरोने की शुरुआत की. पिरोये गए तिलों का तेल (गाडू घड़ा) तेल कलश में परिपूरित किया गया. तिलों के तेल से परिपूरित गाडू घड़े की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना डिम्मर समुदाय के ब्राह्मण(सरोला) द्वारा तैयार किए गए भोग लगाकर किया गया.

पूरा राजपरिवार रहा मौजूद: इस मौके पर महाराजा मनु जयेंद्र शाह, महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह व पुत्री श्रीजा सहित दोनों पोतियां सानवी अरोड़ा व अहाना अरोड़ा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे. महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह व महाराजा मनु जयेंद्र शाह ने विश्व शांति, समृद्धि की कामना करते हुए कहा सच्चे मन से जो भी श्रद्धालु भगवान बदरीनाथ के दर्शन करने जाते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों को भारी संख्या में चारों धाम की यात्रा करने की अपील की है.

बदरीनाथ के लिए रवाना गाडू घड़ा: तेल से परिपूरित गाडू घड़ा को श्री डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारियों को सौंप दिया जाएगा. शाम के समय गाडू घड़ा तेल कलश भव्य शोभा यात्रा ने हर्षोल्लास, उत्साह और वाद्य यंत्रों की ध्वनि के साथ बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया. बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉक्टर हरीश गौड़ ने बताया आज 25 अप्रैल रात्रि को गाडू घड़ा कलश शोभायात्रा श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के रेलवे रोड ऋषिकेश स्थित चेला चेतराम धर्मशाला में रात्रि विश्राम के लिए पहुंचेगी.

गाडू घड़ा तेल से होती है बदरीनाथ की पूजा: गाडू घड़ा तेल कलश शोभायात्रा शत्रुघ्न मंदिर राम झूला मुनि की रेती, डालमिया धर्मशाला श्रीनगर, डिम्मर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर, गरुड़ गंगा-पाखी गांव, नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बदरी पांडुकेश्वर से होते हुए गुरु शंकराचार्य गद्दी तथा 11 मई सायंकाल को श्री बदरीनाथ धाम पहुंचेगी. 12 मई को सुबह 6 बजे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट तीर्थ यात्रियों के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे.

क्या है गाडू घड़ा परंपरा: बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि टिहरी राजपरिवार के नरेंद्रनगर राजमहल में तय होती है. उसके बाद बदरीनाथ धाम की यात्रा से जुड़ी हर तैयारी भी यहीं से होती है. गाडू घड़ी नरेंद्रनगर में तिल का तेल निकालने की परंपरा है. इसी तेल से भगवान बदरीनाथ की पूजा होती है. सबसे पहले टिहरी की महारानी राज्य लक्ष्मी शाह की उपस्थिति में राज पुरोहित विधि-विधान से पूजा-अर्चना संपन्न करवाते हैं. इसके बाद सुहागिनें पीले वस्त्र पहनकर परंपरागत ढंग से तिलों का तेल पिरोती हैं. इस दौरान ढोल दमाऊं और मसकबीन की मधुर लहरियों गूंजती रहती हैं. भगवान बदरी विशाल का स्तुति गान भी होता है.

तिल के तेल को कलश में भरकर कपड़े से ढका दिया जाता है. कपाट खुलने पर सबसे पहले नरेंद्रनगर राजमहल में पिरोकर लाए गए तिलों के तेल से ही भगवान बदरी विशाल का अभिषेक किया जाता है. पुरानी परंपरा के अनुसार टिहरी रियासत के राजाओं को बोलांदा बदरी यानी बोलने वाले बदरी कहा जाता था. यही वजह है कि बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि एवं मुहूर्त टिहरी के राजा की कुंडली के हिसाब से आज भी तय होते हैं.
ये भी पढ़ें: बदरीनाथ-केदारनाथ धाम में पूजा अर्चना के लिए ऑनलाइन बुकिंग का सैलाब, यात्रा से पहले ही समिति ने 1 करोड़ से ज्यादा कमाए

सुहागिनों ने निकाला तिलों का तेल

टिहरी: 12 मई को इस साल भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे. धरती पर बैकुंठ धाम कहे जाने वाले भगवान बदरी विशाल के अभिषेक के लिए नरेंद्रनगर के राजमहल में पौराणिक परंपरा अनुसार, पूजा अर्चना करने के पश्चात, आज गुरुवार 25 अप्रैल को, टिहरी की सांसद और महारानी राज्य लक्ष्मी शाह की अगुवाई में नगर की 60 से अधिक सुहागिन महिलाओं ने पीला वस्त्र धारण कर मूसल व सिलबट्टे से तिलों का तेल पिरोया.

नरेंद्रनगर राजमहल में पिरोया गया तिलों का तेल: राजपुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल ने पौराणिक परंपरानुसार, टिहरी की महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह के हाथों विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चना करवाते हुए तिलों का तेल पिरोने की शुरुआत की. पिरोये गए तिलों का तेल (गाडू घड़ा) तेल कलश में परिपूरित किया गया. तिलों के तेल से परिपूरित गाडू घड़े की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना डिम्मर समुदाय के ब्राह्मण(सरोला) द्वारा तैयार किए गए भोग लगाकर किया गया.

पूरा राजपरिवार रहा मौजूद: इस मौके पर महाराजा मनु जयेंद्र शाह, महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह व पुत्री श्रीजा सहित दोनों पोतियां सानवी अरोड़ा व अहाना अरोड़ा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे. महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह व महाराजा मनु जयेंद्र शाह ने विश्व शांति, समृद्धि की कामना करते हुए कहा सच्चे मन से जो भी श्रद्धालु भगवान बदरीनाथ के दर्शन करने जाते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों को भारी संख्या में चारों धाम की यात्रा करने की अपील की है.

बदरीनाथ के लिए रवाना गाडू घड़ा: तेल से परिपूरित गाडू घड़ा को श्री डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारियों को सौंप दिया जाएगा. शाम के समय गाडू घड़ा तेल कलश भव्य शोभा यात्रा ने हर्षोल्लास, उत्साह और वाद्य यंत्रों की ध्वनि के साथ बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया. बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉक्टर हरीश गौड़ ने बताया आज 25 अप्रैल रात्रि को गाडू घड़ा कलश शोभायात्रा श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के रेलवे रोड ऋषिकेश स्थित चेला चेतराम धर्मशाला में रात्रि विश्राम के लिए पहुंचेगी.

गाडू घड़ा तेल से होती है बदरीनाथ की पूजा: गाडू घड़ा तेल कलश शोभायात्रा शत्रुघ्न मंदिर राम झूला मुनि की रेती, डालमिया धर्मशाला श्रीनगर, डिम्मर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर, गरुड़ गंगा-पाखी गांव, नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बदरी पांडुकेश्वर से होते हुए गुरु शंकराचार्य गद्दी तथा 11 मई सायंकाल को श्री बदरीनाथ धाम पहुंचेगी. 12 मई को सुबह 6 बजे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट तीर्थ यात्रियों के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे.

क्या है गाडू घड़ा परंपरा: बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि टिहरी राजपरिवार के नरेंद्रनगर राजमहल में तय होती है. उसके बाद बदरीनाथ धाम की यात्रा से जुड़ी हर तैयारी भी यहीं से होती है. गाडू घड़ी नरेंद्रनगर में तिल का तेल निकालने की परंपरा है. इसी तेल से भगवान बदरीनाथ की पूजा होती है. सबसे पहले टिहरी की महारानी राज्य लक्ष्मी शाह की उपस्थिति में राज पुरोहित विधि-विधान से पूजा-अर्चना संपन्न करवाते हैं. इसके बाद सुहागिनें पीले वस्त्र पहनकर परंपरागत ढंग से तिलों का तेल पिरोती हैं. इस दौरान ढोल दमाऊं और मसकबीन की मधुर लहरियों गूंजती रहती हैं. भगवान बदरी विशाल का स्तुति गान भी होता है.

तिल के तेल को कलश में भरकर कपड़े से ढका दिया जाता है. कपाट खुलने पर सबसे पहले नरेंद्रनगर राजमहल में पिरोकर लाए गए तिलों के तेल से ही भगवान बदरी विशाल का अभिषेक किया जाता है. पुरानी परंपरा के अनुसार टिहरी रियासत के राजाओं को बोलांदा बदरी यानी बोलने वाले बदरी कहा जाता था. यही वजह है कि बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि एवं मुहूर्त टिहरी के राजा की कुंडली के हिसाब से आज भी तय होते हैं.
ये भी पढ़ें: बदरीनाथ-केदारनाथ धाम में पूजा अर्चना के लिए ऑनलाइन बुकिंग का सैलाब, यात्रा से पहले ही समिति ने 1 करोड़ से ज्यादा कमाए

Last Updated : Apr 25, 2024, 10:44 PM IST
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