ETV Bharat / bharat

इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- सार्वजनिक रूप से की गई टिप्पणी पर ही लागू होगा एससीएसटी एक्ट - Allahabad High Court Order

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने एक आदेश में कहा कि सार्वजनिक रूप से की गई टिप्पणी पर एससीएसटी एक्ट ही लागू होगा.

Etv Bharat
सार्वजनिक रूप से की गई टिप्पणी पर ही लागू होगा एससीएसटी एक्ट (फोटो क्रेडिट- Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 21, 2024, 8:57 PM IST

Updated : May 21, 2024, 10:16 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने एक आदेश में कहा कि सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के लिए की गई टिप्पणी या धमकाने पर ही एससीएसटी एक्ट कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है. अपराध यदि सार्वजनिक रूप से नहीं किया गया है, तो एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(आर) के प्रावधान लागू नहीं होंगे. कोर्ट ने याची पर एससीएसटी एक्ट के तहत की गई कार्रवाई को रद्द कर दिया.

अदालत ने कहा है कि अन्य अपराधों में कार्रवाई जारी रहेगी. न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान की कोर्ट ने पिंटू सिंह उर्फ ​​राणा प्रताप सिंह व अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया. थाना नगरा, बलिया निवासी पिंटू सिंह उर्फ ​​राणा प्रताप सिंह व अन्य पर 2017 में एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(आर) के तहत व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था. आरोप लगाया गया कि नामजद आरोपियों ने शिकायतकर्ता के घर में घुसकर जातिसूचक टिप्पणी करते हुए मारपीट की.

​याची ने हाईकोर्ट में अर्जी दा​खिल कर एससीएसटी एक्ट के तहत की गई कार्रवाई को चुनौती दी. याची के अ​धिवक्ता ने कहा कि अपराध ​शिकायतकर्ता के घर में किया गया है, जो सार्वजनिक स्थान नहीं है. ऐसे में एससीएसटी अधिनियम की धारा 3(1)(आर) के तहत कोई अपराध नहीं बनता है. अपर शासकीय अ​धिवक्ता ने इस दलील का विरोध किया.

कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि सीआरपीसी की धारा 161 के बयान और एफआईआर के तहत क​थित घटना घर में हुई थी और घटना के दौरान वहां कोई बाहरी आदमी नहीं था. कोर्ट ने कहा कि ऐसे में इस मामले में एससीएसटी एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होंगे.

ये भी पढ़ें- मंच पर रो पड़े बीजेपी सांसद संगमलाल गुप्ता, कहा- क्या राजाओं के गढ़ में तेली सांसद नहीं बन सकता

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने एक आदेश में कहा कि सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के लिए की गई टिप्पणी या धमकाने पर ही एससीएसटी एक्ट कानून के तहत कार्रवाई की जा सकती है. अपराध यदि सार्वजनिक रूप से नहीं किया गया है, तो एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(आर) के प्रावधान लागू नहीं होंगे. कोर्ट ने याची पर एससीएसटी एक्ट के तहत की गई कार्रवाई को रद्द कर दिया.

अदालत ने कहा है कि अन्य अपराधों में कार्रवाई जारी रहेगी. न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान की कोर्ट ने पिंटू सिंह उर्फ ​​राणा प्रताप सिंह व अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया. थाना नगरा, बलिया निवासी पिंटू सिंह उर्फ ​​राणा प्रताप सिंह व अन्य पर 2017 में एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1)(आर) के तहत व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था. आरोप लगाया गया कि नामजद आरोपियों ने शिकायतकर्ता के घर में घुसकर जातिसूचक टिप्पणी करते हुए मारपीट की.

​याची ने हाईकोर्ट में अर्जी दा​खिल कर एससीएसटी एक्ट के तहत की गई कार्रवाई को चुनौती दी. याची के अ​धिवक्ता ने कहा कि अपराध ​शिकायतकर्ता के घर में किया गया है, जो सार्वजनिक स्थान नहीं है. ऐसे में एससीएसटी अधिनियम की धारा 3(1)(आर) के तहत कोई अपराध नहीं बनता है. अपर शासकीय अ​धिवक्ता ने इस दलील का विरोध किया.

कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि सीआरपीसी की धारा 161 के बयान और एफआईआर के तहत क​थित घटना घर में हुई थी और घटना के दौरान वहां कोई बाहरी आदमी नहीं था. कोर्ट ने कहा कि ऐसे में इस मामले में एससीएसटी एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होंगे.

ये भी पढ़ें- मंच पर रो पड़े बीजेपी सांसद संगमलाल गुप्ता, कहा- क्या राजाओं के गढ़ में तेली सांसद नहीं बन सकता

Last Updated : May 21, 2024, 10:16 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.