नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि लोकतंत्र के प्रति लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करना अनिवार्य है. सर्वोच्च अदालत ने 20 फरवरी को विवादास्पद निकाय चुनाव के परिणाम को पलटने के बाद आप-कांग्रेस गठबंधन के पराजित उम्मीदवार कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ का महापौर घोषित किया था.
इस सीट पर निर्वाचन अधिकारी द्वारा मतगणना प्रक्रिया में धांधली करने के आरोपों के बीच भाजपा उम्मीदवार अप्रत्याशित रूप से विजेता बनकर उभरा था. शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर गुरुवार को अपलोड किए गए फैसले में प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने लगातार माना है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संविधान की आधारभूत संरचना का हिस्सा है.
इसमें कहा गया है कि स्थानीय भागीदारी स्तर पर चुनाव देश में बड़े लोकतांत्रिक ढांचे के सूक्ष्म जगत के रूप में कार्य करते हैं और स्थानीय सरकारें, जैसे नगर निगम, मुद्दों से जुड़ी होती हैं, जो नागरिकों के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है और प्रतिनिधि लोकतंत्र के साथ संपर्क के प्राथमिक बिंदु के रूप में कार्य करता है.
पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे, जिन्होंने कहा कि 'नागरिकों द्वारा पार्षदों को चुनने की प्रक्रिया, जो बदले में महापौर का चुनाव करते हैं, आम नागरिकों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी शिकायतें व्यक्त करने के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करती है.
पीठ ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वह चंडीगढ़ नगर निगम के अनिल मसीह को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछे कि उनके खिलाफ खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 340 के तहत क्यों न मामला चलाया जाए. मसीह 30 जनवरी, 2024 को हुए चुनाव में निर्वाचन अधिकारी थे. पीठ ने कहा कि मसीह को जारी नोटिस का जवाब देने का अवसर मिलेगा. उनकी प्रतिक्रिया पर विचार करने के लिए मामले को 15 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया गया है.