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महिला आरक्षण विधेयक को तुरंत लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका पर कल सुनवाई

Women Reservation Bill : सुप्रीम कोर्ट महिला आरक्षण विधेयक को तुरंत लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा. जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि इसे लागू करने के लिए जनगणना और परिसीमन की कोई जरूरत नहीं थी.

SC to hear PIL
सुप्रीम कोर्ट
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By IANS

Published : Jan 21, 2024, 8:08 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू करने की मांग करने वाली कांग्रेस नेता जया ठाकुर की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा.

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ 22 जनवरी को मामले की सुनवाई फिर से शुरू करेगी. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से कोई वकील उपस्थित नहीं होने के बाद शीर्ष अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी थी.

नवंबर 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया था और टिप्पणी की थी कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक 2023 के प्रावधान को रद्द करना 'बहुत मुश्किल' होगा, जो महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत कोटा प्रदान करता है. जब तक दशकीय जनगणना और उसके बाद परिसीमन की कवायद नहीं हो जाती, विधायिका लागू नहीं की जाएगी.

जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि जनगणना और परिसीमन की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि सीटों की संख्या पहले ही घोषित की जा चुकी है और वर्तमान संशोधन मौजूदा सीटों के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण देता है. याचिका में कहा गया है कि हमारे देश में यह सर्वमान्य स्थिति है कि 50 प्रतिशत आबादी महिलाओं की है, लेकिन चुनावों में उनका प्रतिनिधित्व केवल 4 प्रतिशत है.

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शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ 22 जनवरी को मामले की सुनवाई फिर से शुरू करेगी. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से कोई वकील उपस्थित नहीं होने के बाद शीर्ष अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी थी.

नवंबर 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया था और टिप्पणी की थी कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक 2023 के प्रावधान को रद्द करना 'बहुत मुश्किल' होगा, जो महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत कोटा प्रदान करता है. जब तक दशकीय जनगणना और उसके बाद परिसीमन की कवायद नहीं हो जाती, विधायिका लागू नहीं की जाएगी.

जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि जनगणना और परिसीमन की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि सीटों की संख्या पहले ही घोषित की जा चुकी है और वर्तमान संशोधन मौजूदा सीटों के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण देता है. याचिका में कहा गया है कि हमारे देश में यह सर्वमान्य स्थिति है कि 50 प्रतिशत आबादी महिलाओं की है, लेकिन चुनावों में उनका प्रतिनिधित्व केवल 4 प्रतिशत है.

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