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रामचरित मानस पर टिप्पणी मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक

SC stays criminal proceedings against SP leader : रामचरित मानस के बारे में कथित आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने मौर्य के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है.

SC stays criminal proceedings
उच्चतम न्यायालय
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By PTI

Published : Jan 25, 2024, 8:34 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने रामचरित मानस के बारे में कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर गुरुवार को रोक लगा दी.

न्यायालय ने मौर्य की याचिका पर नोटिस भी जारी किया और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है. सपा नेता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की अदालत में लंबित कार्यवाही को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी.

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वकील से पूछा, 'आप इतने परेशान क्यों हो रहे हैं? यह व्याख्या का विषय है. यह अपराध कैसे है?'

पीठ ने कहा, 'नोटिस जारी किया जाए...कार्यवाही पर रोक लगाई जाए.' अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के कुछ दिन बाद शीर्ष अदालत का यह निर्देश आया है.

मौर्य ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष एक याचिका में, अपने खिलाफ दाखिल आरोपपत्र और निचली अदालत द्वारा मामले में पेश होने का निर्देश देते हुए जारी समन को चुनौती दी थी.

उच्च न्यायालय ने 31 अक्टूबर 2023 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी. मौर्य और चार अन्य के खिलाफ पिछले साल प्रतापगढ़ जिले में एक स्थानीय निवासी संतोष कुमार मिश्रा की शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. मौर्य का दावा है कि इस आरोप का समर्थन करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है कि उन्होंने हिंदू धर्म ग्रंथ का अपमान किया है.

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'हिंदू धर्म नहीं, धोखा है' वाले बयान पर अधिवक्ता ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने रामचरित मानस के बारे में कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर गुरुवार को रोक लगा दी.

न्यायालय ने मौर्य की याचिका पर नोटिस भी जारी किया और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है. सपा नेता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की अदालत में लंबित कार्यवाही को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी.

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वकील से पूछा, 'आप इतने परेशान क्यों हो रहे हैं? यह व्याख्या का विषय है. यह अपराध कैसे है?'

पीठ ने कहा, 'नोटिस जारी किया जाए...कार्यवाही पर रोक लगाई जाए.' अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के कुछ दिन बाद शीर्ष अदालत का यह निर्देश आया है.

मौर्य ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष एक याचिका में, अपने खिलाफ दाखिल आरोपपत्र और निचली अदालत द्वारा मामले में पेश होने का निर्देश देते हुए जारी समन को चुनौती दी थी.

उच्च न्यायालय ने 31 अक्टूबर 2023 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी. मौर्य और चार अन्य के खिलाफ पिछले साल प्रतापगढ़ जिले में एक स्थानीय निवासी संतोष कुमार मिश्रा की शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. मौर्य का दावा है कि इस आरोप का समर्थन करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है कि उन्होंने हिंदू धर्म ग्रंथ का अपमान किया है.

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