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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही रद्द की - SUPREME COURT

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को रद्द कर दिया.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 5, 2024, 3:37 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को रद्द कर दिया है.मुरुगन के खिलाफ दिसंबर 2020 में एक प्रेस वार्ता के दौरान उनके कथित मानवाधिकार बयानों के लिए चेन्नई स्थित मुरासलोली ट्रस्ट के द्वारा दायर की गई शिकायत पर आपराधिक मानहानि की कार्यवाही शुरू की गई थी. बता दें कि मुरुगन केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री हैं.

यह मामला न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष आया. इस दौरान मुरुगन के वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उनका कभी भी ट्रस्ट को बदनाम करने या उसकी प्रतिष्ठा को कोई नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं था.

पीठ ने दर्ज किया कि ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने दलील दी कि चूंकि मुरुगन ने स्पष्ट किया है कि उनका ट्रस्ट को बदनाम करने या नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था, इसलिए वे अभियोजन जारी रखने का इरादा नहीं रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के 5 सितम्बर, 2023 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था. पीठ ने कहा, "इस मामले को देखते हुए, आरोपित आदेश के साथ-साथ आपराधिक कार्यवाही को भी रद्द किया जाता है."

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश मुरुगन द्वारा हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में दायर याचिका पर पारित किया. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि राजनीति में प्रवेश करने के बाद व्यक्ति को सभी प्रकार की अनुचित और अनावश्यक प्रशंसा प्राप्त करने के लिए तैयार रहना चाहिए. पीठ ने ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से पूछा, ‘‘क्या आप यह बयान देने को तैयार हैं कि आपकी बदनामी करने की कोई मंशा नहीं थी?’’

वकील ने कहा कि पद पर आसीन व्यक्तियों को जिम्मेदार होना चाहिए. पीठ ने कहा, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर, आपको सांस लेने की जगह मिलनी चाहिए. जब आप राजनीति में प्रवेश करते हैं, तो आपको सभी प्रकार की अनुचित, अनावश्यक प्रशंसा प्राप्त करने के लिए तैयार रहना चाहिए." ट्रस्ट के वकील ने कहा कि वे राजनीति में शामिल नहीं हैं. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता यह बयान दे रहा है कि उसका इरादा आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था.

ट्रस्ट के वकील ने मुवक्किल से निर्देश लेने के लिए गुरुवार तक का समय मांगा. पीठ ने कहा कि उन्हें जनता के सामने लड़ाई लड़नी चाहिए और कहा, “आजकल, महाराष्ट्र में कहा जाता है कि अगर आपको राजनीति में रहना है, तो आपके पास गैंडे की खाल होनी चाहिए.” पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने चेन्नई स्थित मुरासोली ट्रस्ट की शिकायत पर मुरुगन के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. ट्रस्ट ने दिसंबर, 2020 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके कथित मानहानिकारक बयानों के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी.

ये भी पढ़ें- दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मनमोहन बने सुप्रीम कोर्ट के जज, CJI खन्ना ने दिलाई शपथ

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को रद्द कर दिया है.मुरुगन के खिलाफ दिसंबर 2020 में एक प्रेस वार्ता के दौरान उनके कथित मानवाधिकार बयानों के लिए चेन्नई स्थित मुरासलोली ट्रस्ट के द्वारा दायर की गई शिकायत पर आपराधिक मानहानि की कार्यवाही शुरू की गई थी. बता दें कि मुरुगन केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री हैं.

यह मामला न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष आया. इस दौरान मुरुगन के वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उनका कभी भी ट्रस्ट को बदनाम करने या उसकी प्रतिष्ठा को कोई नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं था.

पीठ ने दर्ज किया कि ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने दलील दी कि चूंकि मुरुगन ने स्पष्ट किया है कि उनका ट्रस्ट को बदनाम करने या नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था, इसलिए वे अभियोजन जारी रखने का इरादा नहीं रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के 5 सितम्बर, 2023 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था. पीठ ने कहा, "इस मामले को देखते हुए, आरोपित आदेश के साथ-साथ आपराधिक कार्यवाही को भी रद्द किया जाता है."

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश मुरुगन द्वारा हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में दायर याचिका पर पारित किया. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि राजनीति में प्रवेश करने के बाद व्यक्ति को सभी प्रकार की अनुचित और अनावश्यक प्रशंसा प्राप्त करने के लिए तैयार रहना चाहिए. पीठ ने ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से पूछा, ‘‘क्या आप यह बयान देने को तैयार हैं कि आपकी बदनामी करने की कोई मंशा नहीं थी?’’

वकील ने कहा कि पद पर आसीन व्यक्तियों को जिम्मेदार होना चाहिए. पीठ ने कहा, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर, आपको सांस लेने की जगह मिलनी चाहिए. जब आप राजनीति में प्रवेश करते हैं, तो आपको सभी प्रकार की अनुचित, अनावश्यक प्रशंसा प्राप्त करने के लिए तैयार रहना चाहिए." ट्रस्ट के वकील ने कहा कि वे राजनीति में शामिल नहीं हैं. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता यह बयान दे रहा है कि उसका इरादा आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था.

ट्रस्ट के वकील ने मुवक्किल से निर्देश लेने के लिए गुरुवार तक का समय मांगा. पीठ ने कहा कि उन्हें जनता के सामने लड़ाई लड़नी चाहिए और कहा, “आजकल, महाराष्ट्र में कहा जाता है कि अगर आपको राजनीति में रहना है, तो आपके पास गैंडे की खाल होनी चाहिए.” पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने चेन्नई स्थित मुरासोली ट्रस्ट की शिकायत पर मुरुगन के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. ट्रस्ट ने दिसंबर, 2020 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके कथित मानहानिकारक बयानों के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी.

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