नई दिल्ली: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल की उप सचिव रहीं सौम्या चौरसिया को अंतरिम जमानत दे दी. सौम्या चौरसिया कथित कोयला लेवी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी हैं. जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि चौरसिया एक साल और नौ महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं, उनके खिलाफ आरोप तय होना बाकी है और मुकदमा शुरू नहीं हुआ है. इसके साथ ही अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया है कि वह अगले आदेश तक सौम्या चौरसिया को सेवा में बहाल न करे.
"जब भी जरूरत हो ट्रायल कोर्ट में सौम्या चौरसिया पेश हों": अदालत ने कहा कि जब भी जरूरत हो ट्रायल कोर्ट में सौम्या चौरसिया पेश हो और गवाहों को प्रभावित न करें. शीर्ष अदालत में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 28 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गई है. जिसके तहत उच्च न्यायालय ने जमानत देने से इंकार किया था. जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि चूंकि उनकी याचिका पर सुनवाई में कुछ समय लगेगा, इसलिए वह उन्हें अंतरिम जमानत दे रहे हैं.
ईडी के वकील ने किया जमानत का विरोध: ईडी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में सौम्या चौरसिया की जमानत का विरोध किया. ईडी के वकील ने कहा कि सौम्या चौरसिया एक बहुत ही प्रभावशाली नागरिक सेवक हैं और उन्हें रिहा करने से मुकदमे को खतरा होगा. इस पर पीठ ने उनसे पूछा कि ईडी एक आरोपी को कितने समय तक हिरासत में रख सकता है, खासकर जब अपराध के लिए अधिकतम सजा सात साल है और एक साल और नौ महीने तक आरोप भी तय नहीं हुए हैं. इस केस में सौम्या चौरसिया की पैरवी कर रहे सीनियर वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि मामले में सभी सह-आरोपियों को जमानत दे दी गई है. इस केस में इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि मामले में मुकदमा कब शुरू होगा.
क्या है कथित कोल लेवी स्कैम ?: ईडी ने साल 2022 में आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ में कोयला लेवी घोटाला करने के लिए एक बड़ी साजिश रची गई. जिसमें बीते दो साल में कुल 540 करोड़ रुपये की जबरन वसूली की गई. इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला आयकर विभाग द्वारा दर्ज की गई शिकायत से उपजा है. ऐजेंसी ने कहा कि ईडी की जांच एक बड़े घोटाले से संबंधित है जिसमें सीनियर ब्यूरोक्रेट्स, कारोबारी, राजनेताओं और बिचौलियों से जुड़े एक कार्टेल की तरफ से छत्तीसगढ़ में कोयला परिवन में लेवी की अवैध वसूली की गई थी. प्रति टन कोयले के परिवहन के लिए 25 रुपये की अवैध वसूली की जा रही थी.
सोर्स: पीटीआई