नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को हैदराबाद के कारोबारी अभिषेक बोइनपल्ली को पांच सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी जिन्हें कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने विभिन्न बीमारियों से जूझ रहीं बोइनपल्ली की पत्नी के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी. पीठ ने इस बात पर गौर किया कि वह 18 महीने से हिरासत में हैं.
हालांकि, अदालत ने उनसे प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को एक फोन नंबर देने को कहा जिस पर उनसे संपर्क किया जा सके. पीठ ने बोइनपल्ली से उनका पासपोर्ट भी जमा करने को कहा और निर्देश दिया कि अपने गृहनगर हैदराबाद जाने के अलावा वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से कहीं नहीं जाएं.
बोइनपल्ली ने दिल्ली उच्च न्यायालय के तीन जुलाई, 2023 के आदेश को भी चुनौती दी है जिसने नौ अक्टूबर, 2022 को उनकी गिरफ्तारी की वैधानिकता पर सवाल खड़ा करने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. बोइनपल्ली ने धारा 19 का पालन न करने के आधार पर अपनी गिरफ्तारी को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी. धन शोधन निवारण (पीएमएलए) का, जो गिरफ्तारी की प्रक्रिया से संबंधित है. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को 2021-22 के लिए उत्पाद शुल्क नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया. सीबीआई और ईडी के अनुसार, उत्पाद शुल्क नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया. मनी-लॉन्ड्रिंग का मामला सीबीआई की एफआईआर से उपजा है, जो दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा उत्पाद शुल्क नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की जांच की सिफारिश के बाद दर्ज किया गया था.
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