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कॉलेजियम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से SC का इनकार - SC on collegium system

SC on collegium system : सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम खत्म करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. बेंच में सीजेआई चंद्रचूड़, न्यायमूर्तिजेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे.

SC on collegium system
सुप्रीम कोर्ट
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By Sumit Saxena

Published : Apr 29, 2024, 3:11 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम को खत्म करने की मांग वाली याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया.

अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्पारा ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष अपनी याचिका का उल्लेख किया. वकील ने कहा, कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने की मांग करने वाली उनकी रिट याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि 'मैंने कई बार इसका जिक्र किया है. रजिस्ट्री ने इसे खारिज कर दिया है और मेरी याचिका को सूचीबद्ध नहीं कर रही है.'

बेंच में न्यायमूर्तिजेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. बेंच ने कहा कि रजिस्ट्रार (सूचीबद्धता) ने कहा है कि एक बार जब संविधान पीठ ने किसी चीज पर फैसला सुनाया है तो अनुच्छेद 32 याचिका के तहत कोई याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. सीजेआई ने कहा कि रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अन्य उपाय भी हैं.

वकील ने जोरदार तर्क दिया कि एनजेएसी फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका चैंबर में खारिज कर दी गई थी. पीठ ने उनके तर्क पर विचार करने से इनकार कर दिया. वकील ने कहा कि यह संस्था की विश्वसनीयता के बारे में है और कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करना होगा.

17 अक्टूबर 2015 को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम और 99वें संवैधानिक संशोधन को असंवैधानिक करार दिया था और उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति में राजनेताओं और नागरिक समाज को अंतिम अधिकार देने की मांग की थी.

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कॉलेजियम ने उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के तौर पर पांच नामों की सिफारिश की

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अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्पारा ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष अपनी याचिका का उल्लेख किया. वकील ने कहा, कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने की मांग करने वाली उनकी रिट याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि 'मैंने कई बार इसका जिक्र किया है. रजिस्ट्री ने इसे खारिज कर दिया है और मेरी याचिका को सूचीबद्ध नहीं कर रही है.'

बेंच में न्यायमूर्तिजेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. बेंच ने कहा कि रजिस्ट्रार (सूचीबद्धता) ने कहा है कि एक बार जब संविधान पीठ ने किसी चीज पर फैसला सुनाया है तो अनुच्छेद 32 याचिका के तहत कोई याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. सीजेआई ने कहा कि रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अन्य उपाय भी हैं.

वकील ने जोरदार तर्क दिया कि एनजेएसी फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका चैंबर में खारिज कर दी गई थी. पीठ ने उनके तर्क पर विचार करने से इनकार कर दिया. वकील ने कहा कि यह संस्था की विश्वसनीयता के बारे में है और कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करना होगा.

17 अक्टूबर 2015 को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम और 99वें संवैधानिक संशोधन को असंवैधानिक करार दिया था और उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति में राजनेताओं और नागरिक समाज को अंतिम अधिकार देने की मांग की थी.

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