बेंगलुरु: कर्नाटक में मौजूदा और पूर्व सांसदों/विधायकों के खिलाफ मजिस्ट्रेट की ओर से दायर मामलों की सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत ने सोमवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन को पिछले साल सितंबर में सनातन धर्म पर कथित टिप्पणी पर एक शिकायत के संबंध में समन जारी किया.
तमिलनाडु सरकार के खेल विकास मंत्री स्टालिन की ओर से की गई कथित टिप्पणियों के संबंध में परमेशा नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज की थी. विशेष अदालत ने पहले समन जारी कर उन्हें 4 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया था. हालांकि, जब अदालत को सूचित किया गया कि आरोपी को एक पुलिस अधिकारी के माध्यम से समन भेजा जाना चाहिए था. अब अदालत ने क्षेत्राधिकार पुलिस अधिकारी के माध्यम से नए समन जारी करने का निर्देश दिया है.
अदालत ने दूसरे आरोपी तमिलनाडु के लेखक एस वेंकटेश, तीसरे आरोपी मधुकर रामलिंगम, तमिलनाडु राइटर्स के प्रदेश अध्यक्ष और चौथे आरोपी अदावन दिचन्या (आर्टिस्ट एसोसिएशन के सचिव) को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने के लिए समन जारी किया. कोर्ट ने सुनवाई 26 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी.
मामले की पृष्ठभूमि: सितंबर 2023 में एक सम्मेलन में बोलते हुए, उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है और इसका 'उन्मूलन' किया जाना चाहिए.
मंत्री ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना से की और कहा कि इसे पूरी तरह खत्म करना चाहिए. रिपोर्ट्स के आधार पर बेंगलुरु के परमेश ने मंत्री के खिलाफ निजी शिकायत दर्ज कराई है.
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सनातन धर्म को खत्म करने संबंधी टिप्पणी के लिए डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की आलोचना की. अदालत ने कहा कि उन्होंने अनुच्छेद 19(1)(ए) और अनुच्छेद 25 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है.
बता दें कि उदयनिधि स्टालिन की उपरोक्त टिप्पणी सामने आने के बाद उनके खिलाफ कई राज्यों में हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया है और मामले दर्ज किये गये हैं. उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट से अर्नब गोस्वामी, मोहम्मद जुबैर और नुपुर शर्मा से जुड़े मामलों का हवाला देते हुए एफआईआर को क्लब करने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च को अगली सुनवाई की तारीख दी है.