बस्तर/रायपुर: बस्तर लोकसभा चुनाव के रण में प्रकाश कुमार गोटा का नाम सुर्खियों में आ चुका है. प्रकाश कुमार गोटा सलवा जुडूम नेता चिन्ना राम गोटा के बेटे हैं. किर्गिस्तान से डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद प्रकाश गोटा ने नक्सलगढ़ में बदलाव लाने के मकसद से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. वे बताते हैं कि जब वह 19 साल के थे तब नक्सलियों ने उनके पिता की निर्मम ह्या कर दी थी. विपरीत हालात का सामना करते हुए उन्होंने पढ़ाई लिखाई कर अपना मुकाम बनाया. किर्गिस्तान से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर वह डॉक्टर बने और अब लीडर बनने के रास्ते पर चल पड़े हैं.ईटीवी भारत ने प्रकाश कुमार गोटा से खास बातचीत की है. उन्हें उच्च शिक्षा के लिए आखिर किर्गिस्तान क्यों जाना पड़ा. किर्गिस्तान से उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई की और नौकरी करने का विकल्प छोड़कर वह राजनीति में क्यों आ रहे हैं. इस सवाल का भी प्रकाश कुमार गोटा ने बखूबी जवाब दिया है. प्रकाश कुमार गोटा ने सियासत में अपनी एंट्री को लेकर भी ईटीवी भारत पर अपना स्टैंड क्लीयर किया है.
बस्तर में बदलाव लाना मुख्य मकसद: मीडिया से बात करते हुए प्रकाश कुमार गोटा ने चुनाव लड़ने की पूरी कहानी को बयां किया. प्रकाश कुमार गोटा का कहना है कि बस्तर में चुनाव जीतकर बदलाव लाना उनका मकसद है.
"आदिवासी राज्य की आबादी का 32 प्रतिशत हिस्सा हैं, फिर भी किसी तरह, वे विकास कार्यों और योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाए हैं.दोनों प्रमुख पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस ने हमेशा बस्तर के लोगों को निराश किया है. यही वजह है कि मैंने क्षेत्र में वास्तविक बदलाव लाने के लिए चुनावी लड़ाई में उतरने का फैसला लिया. साल 2012 में नक्सलियों ने मेरे पिता की फरसेगढ़ में गोली मारकर हत्या कर दी थी. उसके बाद मैंने तेंदुपत्ता संग्रहण करने का काम उप ठेकेदार के रूप में किया. उससे जो पैसे की कमाई हुई उन पैसों से मुझे किर्गिस्तान में अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने में मदद मिली. साल 2016 में मैं एमबीबीएस के लिए किर्गिस्तान गया. मुझे एजुकेशन लोन भी नहीं मिला. कोरोना काल में मुझे वापस बस्तर आना पड़ा. कोरोना खत्म होने के बाद मैं दोबारा किर्गिस्तान गया और एमबीबीएस पूरा करने के बाद जून 2023 में भारत लौटा": प्रकाश कुमार गोटा, बस्तर लोकसभा सीट से प्रत्याशी
नक्सलियों ने मेरे परिवार को बर्बाद कर दिया: प्रकाश कुमार गोटा ने कहा कि नक्सलियों ने मेरे परिवार को बर्बाद कर दिया. मैं जब 19 साल का था तब मेरे पिता की हत्या कर दी गई. उसके बाद साल 2023 में मेरे बड़े भाई महेश कुमार का अपहरण कर लिया. वे भाजपा की बीजापुर जिला इकाई के प्रचार विंग के अध्यक्ष पद पर कार्यरत थे. बाद में खोजबीन करने पर उन्हें जंगल से बरामद किया गया. तब से मेरे बड़े भाई महेश कुमार गोटा कोमा में हैं. मेरे चार भाई दो बहनें हैं और मेरी मां एक गृहिणी हैं.
"मैं राजनीति में नहीं आना चाहता था. मैं नौकरी करना चाहता था लेकिन मैं मौजूदा सिस्टम से निराश हो गया. माओवादी हिंसा के पीड़ितों के लिए जो पुनर्वास योजना है उसके तहत न तो हमें सुरक्षित घर मिला और न ही सरकारी नौकरी मिली. इस तरह की घटना के बाद से मैं बीजेपी और कांग्रेस से निराश हो गया. बीते कई सालों में बड़े पैमाने पर गरीबी, अशिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण बस्तर नक्सलियों का गढ़ बन गया है. चुनाव लड़ने का फैसला मैंने अचानक लिया है. मेरे पिता ने नक्सलियों से बस्तर को मुक्त कराने के लिए अपनी जान दी. अब मैं बस्तर में बदलाव लाना चाहता हूं इसलिए मैंने चुनाव लड़ने का फैसला किया है. मेरे दोस्तों ने भी चुनाव लड़ने के लिए मुझे प्रोत्साहित किया है. लोग मुझे इस चुनाव में लड़ने के लिए अपनी इच्छा से मदद दे रहे हैं और मेरे दोस्त वाहन उपलब्ध करा रहे हैं. मैं बड़े राजनीतिक दलों के जैसे चुनाव प्रचार में पैसा खर्च नहीं कर सकता. मेरे पास पहले की जो सेविंग है उससे मैं यह चुनाव लड़ रहा हूं": प्रकाश कुमार गोटा, बस्तर लोकसभा सीट से प्रत्याशी
प्रकाश कुमार गोटा का बीजेपी और कांग्रेस पर अटैक: प्रकाश कुमार गोटा ने बीजेपी और कांग्रेस पर हमला किया है. उनका आरोप है कि" बीजेपी उम्मीदवार महेश कश्यप एक सांप्रदायिक शख्स है और वह सभी धर्मों को साथ लेकर नहीं चलते हैं, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार कवासी लखमा लखमा एक्टिव शख्स नहीं हैं. दोनों दलों और उनके नेताओं ने बस्तर के लोगों, कार्यकर्ताओं और नेताओं की अनदेखी की है"
सलवा जुडूम क्या है: सलवा जुडूम बस्तर में शुरू किया गया एक ऐसा अभियान था जो नक्सलियों के खिलाफ चलाया गया. सलवा जुडूम शब्द गोंडी भाषा का शब्द है. इसका अर्थ शांति यात्रा या शांति का कारवां है. इस आंदोलन की शुरुआत साल 2005 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के समर्थन से की गई थी. जिसकी अगुवाई महेंद्र कर्मा ने की थी. जिन्हें बस्तर टाइगर के रूप में भी जाना जाता था. राज्य सरकार ने इस आंदोलन में शामिल ग्रामीणों को कई चीजें मुहैया कराई थी. जिसमें सामरिक चीजों के साथ साथ अन्य दूसरी साहयता भी शामिल थी. सलवा जुडूम से कई तरह की परेशानियां भी पैदा हुई.
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव तीन चरणों में कराए जा रहे हैं. पहले फेज में 19 अप्रैल को बस्तर लोकसभा सीट के लिए मतदान होगा. उसके बाद 26 अप्रैल को महासमुंद, कांकेर और राजनांदगांव लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी. जबकि 7 मई को बचे हुई सात सीटों पर वोटिंग होगी. चार जून 2024 को लोकसभा चुनाव का परिणाम आएगा.