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सैफई मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का कमाल; पसली से बना दिया 10 साल के लड़के के लिए कान - Ear Reconstruction for Microtia - EAR RECONSTRUCTION FOR MICROTIA

सैफई मेडिकल कॉलेज में एक 10 साल के बच्चे का सफल ऑपरेशन किया गया है. इस बच्चे का जन्म से ही एक कान नहीं था. इसे माइक्रोटिया (जन्मजात विकृति) कहा जाता है. डॉक्टरों ने पसली की कार्टिलेज (उपास्थि) निकालकर कान पुनर्निर्माण किया है.

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सैफई मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने कान का पुनर्निर्माण किया (फोटो क्रेडिट- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 14, 2024, 5:34 PM IST

इटावा: विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस हर वर्ष 15 जुलाई को मनाया जाता है. समय के साथ प्लास्टिक सर्जरी और कॉस्मेटिक सर्जरी का चलन बढ़ा है. प्लास्टिक सर्जरी के अंतर्गत अंगों के पुनर्निर्माण जलने वाले मरीज का उपचार चेहरे व अंगों के जन्मजात विकार और सौंदर्यीकरण संबंधित सर्जरी की जाती है. उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में अब यह सुविधाएं मिल रही हैं. बच्चों की जन्मजात विकृत अंगों की प्लास्टिक सर्जरी अब संस्थान में की जा रही है. इसके लिए कुलपति प्रो. डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने भी विभाग की सरहाना की.

प्लास्टिक सर्जरी कर कान का किया पुनर्निर्माण: 10 साल के लड़के के पिता सुधीर ने बताया कि बच्चे के जन्म से ही कान नहीं था. उन्होंने कानपुर और लखनऊ के कई अस्पतालों में दिखाया. वहां इस तरह के ऑपरेशन का खर्चा 4 से 5 लाख रुपये बताया गया. इतना पैसा उनके पास नहीं था. तब उनको पता चला कि इस तरह की सर्जरी सैफई मेडिकल कॉलेज में होती है. यहां उनके बेटे की सफल सर्जरी डॉक्टर्स ने की. इसमें करीब चार हजार रुपये ही खर्च हुए.

प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अतुल सक्सेना ने बताया कि माइक्रोटिया एक जन्मजात विकृति है. माइक्रोटिया से पीड़ित अधिकांश बच्चों के कान को फिर से बनाने के लिए आखिर में सर्जरी की आवश्यकता होती है. माइक्रोटिया पुनर्निर्माण दो चरणबद्ध ऑपरेशन किए जाते हैं. इसमें पहले कान को फिर से बनाया जाता है और बाद में कान को सिर के किनारे से अलग करके त्वचा का ग्राफ्ट लगाने की आवश्यकता होती है.

उन्होंने बताया कि इस तरह की सर्जरी भारत में बहुत ही सीमित केंद्रों में की जाती है, क्योंकि इसमें रोगी के कान के समान कान बनाने के लिए कौशल और अभ्यास की आवश्यकता होती है. लगभग हर महीने दो से तीन बच्चों की सर्जरी की जा रही है. प्लास्टिक सर्जन डॉ. तंजूम कंबोज ने कहा कि कान के पुनर्निर्माण के लिए मरीज की पसली उपास्थि का प्रयोग किया जाता है. इससे कान का निर्माण होता है.

पसली उपास्थि ऑपरेशन से पहले की तरह फिर से विकसित हो जाती है. इसीलिए माइक्रोटिया रोगी के लिए पुननिर्माण की सही उम्र 10 वर्ष है. तब तक रोगी की पसली विकसित हो जाती है. उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन दो चरणों में किया जाता है. पहले चरण में पसली उपास्थि के साथ कान का पुनर्निर्माण किया जाता है और सामान्य स्थान पर रखा जाता है. दूसरे चरण में कान के पीछे जगह बनाने के लिए कान को ऊपर उठाया जाता है. इस कठिन ऑपरेशन में दो-तीन पसलियों का हिस्सा निकाल लिया जाता है. सामान्य कान के आकार और आकार की तुलना करने के बाद कान को तराश दिया जाता है.

ये भी पढ़ें- विरोधी साजिश करने में सफल हो गए, हम अपनी उपलब्धि को मुद्दा नहीं बना पाए: सीएम योगी - BJP MEETING IN UP

इटावा: विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस हर वर्ष 15 जुलाई को मनाया जाता है. समय के साथ प्लास्टिक सर्जरी और कॉस्मेटिक सर्जरी का चलन बढ़ा है. प्लास्टिक सर्जरी के अंतर्गत अंगों के पुनर्निर्माण जलने वाले मरीज का उपचार चेहरे व अंगों के जन्मजात विकार और सौंदर्यीकरण संबंधित सर्जरी की जाती है. उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में अब यह सुविधाएं मिल रही हैं. बच्चों की जन्मजात विकृत अंगों की प्लास्टिक सर्जरी अब संस्थान में की जा रही है. इसके लिए कुलपति प्रो. डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने भी विभाग की सरहाना की.

प्लास्टिक सर्जरी कर कान का किया पुनर्निर्माण: 10 साल के लड़के के पिता सुधीर ने बताया कि बच्चे के जन्म से ही कान नहीं था. उन्होंने कानपुर और लखनऊ के कई अस्पतालों में दिखाया. वहां इस तरह के ऑपरेशन का खर्चा 4 से 5 लाख रुपये बताया गया. इतना पैसा उनके पास नहीं था. तब उनको पता चला कि इस तरह की सर्जरी सैफई मेडिकल कॉलेज में होती है. यहां उनके बेटे की सफल सर्जरी डॉक्टर्स ने की. इसमें करीब चार हजार रुपये ही खर्च हुए.

प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अतुल सक्सेना ने बताया कि माइक्रोटिया एक जन्मजात विकृति है. माइक्रोटिया से पीड़ित अधिकांश बच्चों के कान को फिर से बनाने के लिए आखिर में सर्जरी की आवश्यकता होती है. माइक्रोटिया पुनर्निर्माण दो चरणबद्ध ऑपरेशन किए जाते हैं. इसमें पहले कान को फिर से बनाया जाता है और बाद में कान को सिर के किनारे से अलग करके त्वचा का ग्राफ्ट लगाने की आवश्यकता होती है.

उन्होंने बताया कि इस तरह की सर्जरी भारत में बहुत ही सीमित केंद्रों में की जाती है, क्योंकि इसमें रोगी के कान के समान कान बनाने के लिए कौशल और अभ्यास की आवश्यकता होती है. लगभग हर महीने दो से तीन बच्चों की सर्जरी की जा रही है. प्लास्टिक सर्जन डॉ. तंजूम कंबोज ने कहा कि कान के पुनर्निर्माण के लिए मरीज की पसली उपास्थि का प्रयोग किया जाता है. इससे कान का निर्माण होता है.

पसली उपास्थि ऑपरेशन से पहले की तरह फिर से विकसित हो जाती है. इसीलिए माइक्रोटिया रोगी के लिए पुननिर्माण की सही उम्र 10 वर्ष है. तब तक रोगी की पसली विकसित हो जाती है. उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन दो चरणों में किया जाता है. पहले चरण में पसली उपास्थि के साथ कान का पुनर्निर्माण किया जाता है और सामान्य स्थान पर रखा जाता है. दूसरे चरण में कान के पीछे जगह बनाने के लिए कान को ऊपर उठाया जाता है. इस कठिन ऑपरेशन में दो-तीन पसलियों का हिस्सा निकाल लिया जाता है. सामान्य कान के आकार और आकार की तुलना करने के बाद कान को तराश दिया जाता है.

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