सागर: वैसे तो मेडिकल साइंस की हिस्ट्री में ये कोई पहला मामला नहीं है, लेकिन जो मामला बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में सामने आया है वो अपने आप में दुर्लभ है. 5 लाख केस में एक ही मामला ऐसा सामने आता है और मेडिकल साइंस के इतिहास में दुनिया में अब तक ऐसे 200 मामले ही दर्ज किए गए हैं. दरअसल इस मामले में एक गर्भवती महिला के यहां जन्मे बच्चे के पेट में भी एक बच्चा पल रहा है. डॉक्टर का कहना है कि नवजात शिशु को बचाने के लिए अब सर्जरी ही एकमात्र उपाय है. बच्चे के जन्म के बाद महिला को फॉलो अप के लिए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज बुलाया गया है.
गर्भ में पल रहे बच्चे के पेट में बच्चा
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर पी पी सिंह के कार्यकाल का यह पहला मामला है. करीब 15 दिन पहले एक गर्भवती महिला उनकी निजी क्लीनिक पर सोनोग्राफी के लिए पहुंची और रिपोर्ट देखकर वे हैरान रह गए. केसली निवासी एक गर्भवती महिला गर्भावस्था के 9 वें माह में जांच के लिए पहुंची थी. डॉक्टर पी पी सिंह ने बताया कि "गर्भवती महिला की जांच के दौरान महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के अंदर भी एक शिशु होने का संदेह अल्ट्रासाउंड के दौरान हुआ. इसके बाद महिला को जांच के लिए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज बुलाया और विधिवत जांच के बाद पाया गया कि महिला के गर्भ के अंदर पल रहे बच्चे के पेट के अंदर भी एक बच्चा या टेराटोमा मौजूद है. ये तय हो जाने के बाद डॉक्टरों ने महिला को मेडिकल कॉलेज में ही डिलीवरी कराने की सलाह दी."
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सामान्य प्रसव
आशा कार्यकर्ता के साथ आई यह महिला वापस गांव चली गई और फिर केसली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सामान्य प्रसव के दौरान बच्चे को जन्म दिया. एक तरह से दुर्लभ मामला होने की वजह से नवजात शिशु को फिलहाल जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है. शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात शिशु के जीवन को बचाने का एकमात्र उपाय सर्जरी ही है. सर्जरी को लेकर डॉक्टर विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं और आपस में विचार विमर्श कर रहे हैं, तब जाकर शिशु की सर्जरी की जाएगी. डॉक्टर के अनुसार लाखों महिलाओं में से किसी एक में इस तरह का केस मिलता है.
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'5 लाख मामलों में सामने आता है एक केस'
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष और प्राध्यापक डॉक्टर पी पी सिंह ने बताया कि "मेडिकल भाषा में इस स्थिति को फीटस इन फीटू विथ टेराटोमा कहा जाता है. मैंने अपने जीवन में पहली बार ऐसा केस देखा है. दुनिया में 5 लाख मामलों में इस तरह का एक केस सामने आता है. हालांकि अब तक दुनिया में 200 केस ही रिपोर्ट हुए हैं. फिलहाल नवजात शिशु को डॉक्टर्स की विशेष देखरेख में रखा गया है. डॉक्टर नवजात शिशु की सर्जरी की तैयारी कर रहे हैं. सर्जरी को लेकर दूसरे डॉक्टर विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं और आपस में विचार विमर्श कर रहे हैं, तब जाकर शिशु की सर्जरी की जाएगी."