सागर: सर्दी का मौसम आते ही ठंडी हवाएं घर में दुबकने के लिए मजबूर कर रही है. ऐसे मौसम में किसी जिस व्यक्ति की उम्र इस पड़ाव पर पहुंच चुकी है कि नौकरी से रिटायरमेंट की प्लानिंग शुरू हो जाए, लेकिन पंजाब के मुक्तसर साहिब के रहने वाले हरभजन सिंह ने 50 साल की उम्र का आंकड़ा पार करने के बाद भी ऐसा संकल्प लिया है कि हर कोई उनकी कोशिश की सराहना कर रहा है.
दरअसल हरभजन सिंह टीबी लैब में सुपरवाइजर पद पर कार्यरत है. टीबी के कारण जा रही हजारों जानों को लेकर चिंतित है. ऐसे में उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा का संकल्प लिया है. इस यात्रा के जरिए वो टीबी को लेकर जन जागरूकता का प्रयास कर रहे हैं.
बदलते मौसम के बीच कठिन चुनौती
पंजाब के मुक्तसर साहिब के रहने वाले सीनियर टीबी लैब सुपरवाइजर हरभजन सिंह की बात करें, तो हरभजन सिंह इन दिनों नेशनल हाइवे 44 को नापने के लिए साइकिल से चल पडे़ हैं, जो देश का सबसे लंबा हाइवे है. ये हाइवे कश्मीर से शुरू होकर कन्याकुमारी में खत्म होता है. जबकि मौसम धीरे-धीरे ठंडा होने लगा है और खुले इलाकों में ठंडी हवाएं अपने तेवर दिखाने लगी है, लेकिन अपने देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए हरभजन सिंह कश्मीर से कन्याकुमारी तक की 3 हजार 690 किलोमीटर लंबी साइकिल यात्रा कर रहे हैं. इसी कड़ी में हरभजन सिंह सागर पहुंचे. जहां स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने उनका स्वागत किया और उनकी पहल की सराहना की.
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भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए शुरू की गई हरभजनसिंह की साइकिल यात्रा 3 नवम्बर को श्रीनगर के लाल चौक से शुरू हुई थी. उनकी कोशिश है कि 31 दिसम्बर को वो कन्याकुमारी पहुंचकर यात्रा को विराम दें और टीबी मुक्त भारत का संदेश दें. हरभजन सिंह अब तक साइकिल से करीब 1600 किमी की यात्रा कर चुके हैं. अभी उन्हें करीब 2100 किमी और साइकिल यात्रा करना है. उनका कहना है कि ये दूरी करीब 3690 किलोमीटर है. हरभजन सिंह इस बीच रास्ते में पड़ने वाले गांव, कस्बों और शहरों में लोगों को टीबी जैसी बीमारी के लक्षण, होने वाले नुकसान के बारे में बता रहे हैं. उनका मकसद है कि इस रोग को लेकर लोग खुद जागरूक हों और सावधानी बरतें.
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क्या कहना है हरभजन सिंह
करीब 18 साल से जिला अस्पताल मुक्तसर साहेब लैब टेक्नीशियन के तौर पर काम कर रहे हरभजन सिंह फिलहाल सीनियर लैब सुपरवाइजर पद पर हैं. उनका कहना है कि सरकार टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है और अच्छा खाना देती है. सरकार 1 हजार रुपए सेहतमंद खाने के लिए देती है. उन्होंने पंजाब सरकार से आग्रह किया है कि जिन लोगों के पास पैसा है, वो लोग टीबी का बेहतर और अच्छा इलाज कहीं भी करा लेते हैं, लेकिन हमारे देश की तीन चौथाई आबादी गांव में बसती है, जहां ज्यादातर लोग गरीब हैं.
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उन्हें ना तो योजनाओं की जानकारी है और ना ही टीबी से बचाव के उपाय के बारे में जानते हैं. इसे मामूली बीमारी समझकर गरीब लोग इलाज में लापरवाही करते हैं और आगे चलकर बीमारी जानलेवा बन जाती है. इसीलिए उन्होंने जनजागरूकता के लिए ये पहल की है.
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टीबी हारेगा, भारत जीतेगा
अपनी मुहिम को सफल बनाने उन्होंने तय किया है कि 31 दिसंबर को साइकिल यात्रा के समापन पर वो नए साल 2025 के लिए लोगों के टीबी हारेगा भारत जीतेगा का संकल्प लेने का आग्रह करेंगे. उन्होंने कहा कि लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि अगर खांसी, बलगम आना, बुखार और कम भूख लगने जैसे लक्षण अगर दो हफ्ते तक लगातार रहते हैं, तो लोगों को तत्काल टीबी के संक्रमण की जांच कराना चाहिए. खास बात ये ध्यान रखना चाहिए कि टीबी संक्रामक रोग है, इसलिए इस तरह के लक्षण वाले लोगों को मुंह पर मास्क लगाना चाहिए.