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जया किशोरी और धीरेंद्र शास्त्री ना कर सके जो काम, 23 साल की कथावाचक ने कर दिया कमाल - Musical Shrimad Bhagwat Puran

मध्य प्रदेश के सागर जिले की 23 साल की कथावाचिका ने वह काम कर दिया, जो अभी तक कोई कथावाचक नहीं कर पाया. राजराजेश्वरी देवी ने श्रीमद् भागवत कथा को संगीतमय किया है. जल्द ही इस संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का विमोचन होने ज रहा है. राजराजेश्वरी देवी ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी इसके लिए दावा पेश किया है.

MUSICAL SHRIMAD BHAGWAT PURAN
23 साल की इस कथावाचक ने कर दिया कमाल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 25, 2024, 5:05 PM IST

सागर। टेलीविजन और सोशल मीडिया पर कई कथा वाचकों को देखा होगा. उनको सुनने हजारों की भीड़ पहुंचती है और कथा को पसंद करने वाले लोग लाखों की संख्या में हैं. इनमें पंडित धीरेंद्र शास्त्री, जया किशोरी जैसे मशहूर कथावाचकों के अलावा और भी बड़े नाम शामिल हैं, लेकिन इन कथावाचकों ने आज तक वह काम नहीं किया है. जो सागर की 23 साल की राजराजेश्वरी देवी ने किया है. महज 6 साल की उम्र से श्रीमद् भागवत कथा और राम कथा का वाचन करती आ रही राज्यराजेश्वरी देवी ने श्रीमद् भागवत पुराण कथा के सभी 18 हजार श्लोकों को संगीतबद्ध किया है. इस काम में उन्हें ढाई साल से ज्यादा समय लगा और आगामी 30 जून को संगीतमय श्रीमद् भागवत पुराण का विमोचन होने जा रहा है. खास बात ये है कि इंटरनेट के माध्यम से जुटाई जानकारी में ऐसा काम किसी दूसरे साधु संत और कथा वाचक ने अभी तक नहीं किया. इस आधार पर राजराजेश्वरी देवी ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दावा पेश किया है.

23 साल की इस कथावाचक ने कर दिया कमाल (ETV Bharat)

बचपन से मिले सनातनी संस्कार

राजराजेश्वरी देवी ने अन्य कथा वाचकों की तरह भले ही प्रसिद्ध नहीं हैं, लेकिन उन्होंने जो काम कर दिखाया. वह बड़े-बड़े कथावाचकों ने अभी तक नहीं किया है. बचपन से ही श्रीमद् भागवत और राम कथा का वाचन करती आ रही राजराजेश्वरी देवी बताती हैं कि जिस तरह विद्या अध्ययन के लिए बच्चों को पाठशाला भेजा जाता है. वहीं संस्कारों की पाठशाला परिवार होता है. मुझे बचपन से ही धर्म और सनातन संस्कृति से परिपूर्ण परिवार मिला. लगभग 6 साल की पहली बार व्यासपीठ पर बैठकर श्रीमद् भागवत कथा का वाचन किया.

अब तक राजराजेश्वरी देवी श्रीमद् भागवत कथा और रामकथा का करीब 100 बार वाचन कर चुकी हैं. उनका कहना है कि मेरे पिता धर्म श्री संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य रहे हैं. बचपन से ही संतों की प्रेरणा और धर्ममय वातावरण मुझे घर पर ही मिला. इसी का परिणाम है कि मैंने 6 साल की उम्र से ही कथा का वाचन शुरू कर दिया और लगातार 17 साल से जारी है.

KATHAVACHAK RAJ RAJESHWARI DEVI
कथावाचक राजराजेश्वरी देवी (ETV Bharat)

देवभाषा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास

राजराजेश्वरी देवी कहती हैं कि हर कार्य के पीछे भगवत प्रेरणा ही रहती है. इस काम को करने की ना कोई योजना थी और ना ही कभी दिमाग में आया था. स्वतः अंतः प्रेरणा से मेरे मन में लगा कि ये काम करना चाहिए, क्योंकि संस्कृत को देव भाषा कहा गया है, लेकिन कहीं ना कहीं युवा पीढ़ी हमारी सनातन संस्कृति के पीछे हट रही है. यदि हम अन्य समुदाय को देखें, तो युवा पीढ़ी अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति सचेत है. बचपन से ही अपनी भाषा को सीखना शुरू कर देते हैं. लेकिन सनातन धर्म और संस्कृति से हमारे युवा पीढ़ी दूर होती जा रही है. इसका मुख्य कारण यही है कि देव भाषा को जन-जन तक पहुंचाना है और प्रचार करना है. इसी भावनाओं को लेकर मैंने श्रीमद् भागवत पुराण कथा के 18 हजार श्लोकों को संगीतबद्ध किया है.

RAJ RAJESHWARI DEVI INTERVIEW
राजराजेश्वरी देवी ने संगीतमय किया श्रीमद् भागवत (ETV Bharat)

ढाई साल के कठिन परिश्रम का फल

राजराजेश्वरी देवी का कहना है कि ये काफी कठिन कार्य था. संस्कृत के 18 हजार श्लोकों को लयबद्ध और संगीतबद्ध करना मुश्किल था. कोई उच्चारण पर सवाल खड़े ना कर दे और संस्कृत में श्लोक उच्चारण में कोई गलती ना हो जाए. इन सब बातों का भी ध्यान रखना था. राजराजेश्वरी देवी बताती हैं कि इस काम को करने में मुझे दो से ढाई साल लगे. ओरिजिनल रिकॉर्डिंग तो एक साल में ही पूरी हो गयी, लेकिन जहां पर संशोधन और समीक्षा जरूरी लगी. तकनीकी त्रुटियां के कारण जहां उच्चारण में दोष आया, उसे हमने फिर से बारीकी से सुना और फिर स्टूडियो जाकर सुधार किया. इस संपूर्ण प्रक्रिया में हमें दो से ढाई साल लग गए.

पहली बार संपूर्ण श्री मदभागवत कथा संगीतबद्ध

राजराजेश्वरी देवी का कहना है कि हमने इंटरनेट के माध्यम से पता लगाने की कोशिश की कि क्या किसी और ने इस तरह श्रीमद् भागवत पुराण को संगीतबद्ध किया है. हमें इंटरनेट पर ऐसी जानकारी नहीं मिली. मेरा कहना है कि ऐसा नहीं है कि विश्व में ऐसा किसी ने नहीं किया, क्योंकि विश्व में कोई ऐसा कार्य नहीं है कि जो कोई और ना कर सके. आजकल इंटरनेट एक ऐसा माध्यम है, जिससे हम सभी परिचित थे. इंटरनेट पर हम लोगों को कहीं पर संपूर्ण भागवत पुराण का संगीतमय पाठ नहीं मिला. यदि हो भी, तो मेरी जानकारी में नहीं है. इसके पीछे मेरी मंशा ये नहीं है कि मैंने केवल ये कार्य किया और विश्व में किसी और ने नहीं किया.

Rajeshwari Musical Shrimad Bhagwat
कथा सुनातीं राजराजेश्वरी देवी (ETV Bharat)

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गिनीज बुक के लिए पेश किया दावा

राजराजेश्वरी देवी कहते हैं कि श्रीमद् भागवत पुराण कथा को संगीतबद्ध करने के बाद मैंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए दावा पेश किया है. हमें बताया गया है कि इसमें करीब 6 हफ्ते का समय लगता है. फिलहाल हमने आवेदन दिया है. आगे की प्रक्रिया के बारे में गिनीज बुक वाले बताएंगे.

सागर। टेलीविजन और सोशल मीडिया पर कई कथा वाचकों को देखा होगा. उनको सुनने हजारों की भीड़ पहुंचती है और कथा को पसंद करने वाले लोग लाखों की संख्या में हैं. इनमें पंडित धीरेंद्र शास्त्री, जया किशोरी जैसे मशहूर कथावाचकों के अलावा और भी बड़े नाम शामिल हैं, लेकिन इन कथावाचकों ने आज तक वह काम नहीं किया है. जो सागर की 23 साल की राजराजेश्वरी देवी ने किया है. महज 6 साल की उम्र से श्रीमद् भागवत कथा और राम कथा का वाचन करती आ रही राज्यराजेश्वरी देवी ने श्रीमद् भागवत पुराण कथा के सभी 18 हजार श्लोकों को संगीतबद्ध किया है. इस काम में उन्हें ढाई साल से ज्यादा समय लगा और आगामी 30 जून को संगीतमय श्रीमद् भागवत पुराण का विमोचन होने जा रहा है. खास बात ये है कि इंटरनेट के माध्यम से जुटाई जानकारी में ऐसा काम किसी दूसरे साधु संत और कथा वाचक ने अभी तक नहीं किया. इस आधार पर राजराजेश्वरी देवी ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दावा पेश किया है.

23 साल की इस कथावाचक ने कर दिया कमाल (ETV Bharat)

बचपन से मिले सनातनी संस्कार

राजराजेश्वरी देवी ने अन्य कथा वाचकों की तरह भले ही प्रसिद्ध नहीं हैं, लेकिन उन्होंने जो काम कर दिखाया. वह बड़े-बड़े कथावाचकों ने अभी तक नहीं किया है. बचपन से ही श्रीमद् भागवत और राम कथा का वाचन करती आ रही राजराजेश्वरी देवी बताती हैं कि जिस तरह विद्या अध्ययन के लिए बच्चों को पाठशाला भेजा जाता है. वहीं संस्कारों की पाठशाला परिवार होता है. मुझे बचपन से ही धर्म और सनातन संस्कृति से परिपूर्ण परिवार मिला. लगभग 6 साल की पहली बार व्यासपीठ पर बैठकर श्रीमद् भागवत कथा का वाचन किया.

अब तक राजराजेश्वरी देवी श्रीमद् भागवत कथा और रामकथा का करीब 100 बार वाचन कर चुकी हैं. उनका कहना है कि मेरे पिता धर्म श्री संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य रहे हैं. बचपन से ही संतों की प्रेरणा और धर्ममय वातावरण मुझे घर पर ही मिला. इसी का परिणाम है कि मैंने 6 साल की उम्र से ही कथा का वाचन शुरू कर दिया और लगातार 17 साल से जारी है.

KATHAVACHAK RAJ RAJESHWARI DEVI
कथावाचक राजराजेश्वरी देवी (ETV Bharat)

देवभाषा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास

राजराजेश्वरी देवी कहती हैं कि हर कार्य के पीछे भगवत प्रेरणा ही रहती है. इस काम को करने की ना कोई योजना थी और ना ही कभी दिमाग में आया था. स्वतः अंतः प्रेरणा से मेरे मन में लगा कि ये काम करना चाहिए, क्योंकि संस्कृत को देव भाषा कहा गया है, लेकिन कहीं ना कहीं युवा पीढ़ी हमारी सनातन संस्कृति के पीछे हट रही है. यदि हम अन्य समुदाय को देखें, तो युवा पीढ़ी अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति सचेत है. बचपन से ही अपनी भाषा को सीखना शुरू कर देते हैं. लेकिन सनातन धर्म और संस्कृति से हमारे युवा पीढ़ी दूर होती जा रही है. इसका मुख्य कारण यही है कि देव भाषा को जन-जन तक पहुंचाना है और प्रचार करना है. इसी भावनाओं को लेकर मैंने श्रीमद् भागवत पुराण कथा के 18 हजार श्लोकों को संगीतबद्ध किया है.

RAJ RAJESHWARI DEVI INTERVIEW
राजराजेश्वरी देवी ने संगीतमय किया श्रीमद् भागवत (ETV Bharat)

ढाई साल के कठिन परिश्रम का फल

राजराजेश्वरी देवी का कहना है कि ये काफी कठिन कार्य था. संस्कृत के 18 हजार श्लोकों को लयबद्ध और संगीतबद्ध करना मुश्किल था. कोई उच्चारण पर सवाल खड़े ना कर दे और संस्कृत में श्लोक उच्चारण में कोई गलती ना हो जाए. इन सब बातों का भी ध्यान रखना था. राजराजेश्वरी देवी बताती हैं कि इस काम को करने में मुझे दो से ढाई साल लगे. ओरिजिनल रिकॉर्डिंग तो एक साल में ही पूरी हो गयी, लेकिन जहां पर संशोधन और समीक्षा जरूरी लगी. तकनीकी त्रुटियां के कारण जहां उच्चारण में दोष आया, उसे हमने फिर से बारीकी से सुना और फिर स्टूडियो जाकर सुधार किया. इस संपूर्ण प्रक्रिया में हमें दो से ढाई साल लग गए.

पहली बार संपूर्ण श्री मदभागवत कथा संगीतबद्ध

राजराजेश्वरी देवी का कहना है कि हमने इंटरनेट के माध्यम से पता लगाने की कोशिश की कि क्या किसी और ने इस तरह श्रीमद् भागवत पुराण को संगीतबद्ध किया है. हमें इंटरनेट पर ऐसी जानकारी नहीं मिली. मेरा कहना है कि ऐसा नहीं है कि विश्व में ऐसा किसी ने नहीं किया, क्योंकि विश्व में कोई ऐसा कार्य नहीं है कि जो कोई और ना कर सके. आजकल इंटरनेट एक ऐसा माध्यम है, जिससे हम सभी परिचित थे. इंटरनेट पर हम लोगों को कहीं पर संपूर्ण भागवत पुराण का संगीतमय पाठ नहीं मिला. यदि हो भी, तो मेरी जानकारी में नहीं है. इसके पीछे मेरी मंशा ये नहीं है कि मैंने केवल ये कार्य किया और विश्व में किसी और ने नहीं किया.

Rajeshwari Musical Shrimad Bhagwat
कथा सुनातीं राजराजेश्वरी देवी (ETV Bharat)

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गिनीज बुक के लिए पेश किया दावा

राजराजेश्वरी देवी कहते हैं कि श्रीमद् भागवत पुराण कथा को संगीतबद्ध करने के बाद मैंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए दावा पेश किया है. हमें बताया गया है कि इसमें करीब 6 हफ्ते का समय लगता है. फिलहाल हमने आवेदन दिया है. आगे की प्रक्रिया के बारे में गिनीज बुक वाले बताएंगे.

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