सागर। एमपी की इकलौती सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मानव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर केके एन शर्मा को कुलपति ने विभागाध्यक्ष पद से हटा दिया है. पूर्व प्रोफेसर ने विभागाध्यक्ष का रूम खाली नहीं करने पर प्रोफेसर केके एन शर्मा अपना दफ्तर विभाग के बाहर सड़क पर संचालित कर रहे थे. कुलपति ने इसके चलते नाराजगी जताई थी. दरअसल 14 फरवरी से यूनिवर्सटी के मानव विज्ञान (Anthropology) विभाग के प्रोफेसर के के एन शर्मा विभाग के बाहर अपना दफ्तर संचालित कर रहे थे. प्रोफेसर की नाराजगी की वजह ये थी कि उन्हें सितम्बर 2023 में विभागाध्यक्ष बनाया गया, लेकिन पूर्व विभागाध्यक्ष ने कक्ष खाली नहीं किया.इस बात को लेकर दोनों प्रोफेसर में ठन गयी और मामला कुलपति तक पहुंचा.
3 साल के लिए होती है विभागाध्यक्ष पद की नियुक्ति
सागर के डाॅ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में रोटेशन सिस्टम के तहत 3 साल के लिए किसी भी डिपार्टमेंट में एचओडी की नियुक्ति होती है. इसी प्रक्रिया के तहत यूनिवर्सटी के मानव विज्ञान (Anthropology) विभाग के प्रोफेसर के के एन शर्मा को 1 सितंबर 2023 को मानव विज्ञान विभाग का विभागाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. इसके पहले प्रोफेसर राजेश गौतम विभागाध्यक्ष थे. विभागाध्यक्ष बनते ही जब पूर्व विभागाध्यक्ष से प्रोफेसर केके एन शर्मा ने कक्ष की मांग की तो उन्होंने कक्ष खाली नहीं किया.इस बात को लेकर एप्लाइड साइंस के डीन से लेकर कुलपति तक शिकायत की गई लेकिन बात नहीं बनी और पांच महीने में ना तो पूर्व विभागाध्यक्ष ने कक्ष खाली किया और ना ही नए विभागाध्यक्ष को कक्ष दिया. इसी बात से नाराज विभागाध्यक्ष प्रोफेसर के के एन शर्मा डिपार्टमेंट के बाहर 14 फरवरी को दफ्तर लगाकर बैठ गए थे.
डीन भी नहीं सुलझा पाए विवाद
इस मामले में प्रोफेसर के के एन शर्मा ने एप्लाइड साइंस के डीन प्रोफेसर देवाशीष घोष से शिकायत की, तो डीन ने प्रोफेसर राजेश कुमार गौतम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. प्रोफेसर राजेश गौतम ने डीन के समक्ष पक्ष रखा कि विभाग में कोई भी कक्ष विशेष रूप से एचओडी के लिए आवंटित नहीं है. प्रोफेसर के के एन शर्मा अपना पहले आवंटित कक्ष भी अपने पास रखना चाहते हैं और मेरे लिए आवंटित कक्ष की भी मांग रहे हैं. उन्होंने डीन से मांग की कि यूनिवर्सिटी के हर डिपार्टमेंट में एक काउसिंल होती है जो डिपार्टमेंट के संसाधन का उपयोग कैसे हो, ये बैठकर तय करती है. काउसिंल की बैठक बुलाकर फैसला किया जाए,तो मुझे एतराज नहीं है.
दोनों प्रोफेसर के बीच पुराना विवाद
ऐसा नहीं है प्रोफेसर के के एन शर्मा और प्रोफेसर राजेश कुमार गौतम के बीच पहली बार विवाद हुआ हो. इसके पहले कोरोनाकाल में विभाग में आयोजित इंटरनेशन सेमीनार में प्रोफेसर गौहर रजा को आमंत्रित किए जाने पर के के एन शर्मा ने विरोध शुरू कर दिया था और इसी बात को लेकर पूरे देश में यूनिवर्सटी की फजीहत हुई थी. अब जब रोटेशन पद्धति में प्रोफेसर के के एन शर्मा को विभागाध्यक्ष बनाया गया, तो दोनों में फिर ठन गई.
कुलपति ने भी दोनों को समझाया
मामला जब कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता के पास पहुंचा तो उन्होंने दोनों प्रोफेसर को तलब किया और आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की कोशिश की, लेकिन जब दोनों प्रोफेसर अपनी बात पर अड़े रहे, तो कुलपति ने विवाद सुलझाने के लिए एक कमेटी बना दी. कमेटी को दो हफ्ते में रिपोर्ट सौंपना के लिए कहा. इस बीच कुलपति भारतीय विश्वविद्यालय संघ की अधिकारिक यात्रा पर नेपाल चली गयी और इसी दौरान यहां विवाद देखने मिला जो पूरे देश में चर्चा का विषय बना.
प्रोफेसर शर्मा पर गिरी गाज
सागर यूनिवर्सिटी की जगहंसाई कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता को नागवार गुजरी और जब वो वापिस आयी, तो उन्होंने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की. जिसमें सामने आया कि विवाद सुलझाने गठित कमेटी की रिपोर्ट 14 दिन में पेश होनी थी लेकिन प्रोफेसर के के एन शर्मा ने 14 दिन के पहले ही विभाग के बाहर अपना दफ्तर संचालित कर बवाल खड़ा कर दिया. इस बात से कुलपति जमकर नाराज हुई और उन्होंने आते ही प्रोफेसर के के एन शर्मा को विभागाध्यक्ष पद से हटाने के निर्देश दे दिए.
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प्रोफेसर अजीत जायसवाल की नियुक्ति
विश्वविद्यालय के मीडिया अधिकारी डाॅ विवेक जायसवाल ने बताया कि "विश्वविद्यालय प्रशासन ने मानव विज्ञान विभाग में नए विभागाध्यक्ष के रूप में प्रोफेसर अजीत जायसवाल की नियुक्ति के आदेश जारी किए हैं, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं. विभागाध्यक्ष प्रोफेसर के के एन शर्मा को प्रोफेसर अजीत जायसवाल को प्रभार देने के लिए कहा गया है."