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विदेशी भी मान रहे श्राद्ध की मान्यता, रूसी नागरिकों ने बदरीनाथ के ब्रह्मकपाल पर किया पूर्वजों का पिंडदान - Pitru Paksha 2024

Russian People Perform Pind Daan in Brahma Kapal of Badrinath श्राद्ध और तर्पण की क्रियाओं से पितरों को संतुष्ट किया जाता है. उत्तराखंंड के बदरीनाथ धाम में पितरों के तर्पण और पिंडदान के लिए सर्वश्रेष्ठ जगह ब्रह्मकपाल तीर्थ मौजूद है. मान्यता है कि ब्रह्मकपाल में विधि पूर्वक पिंडदान करने से पितरों को नरक लोक से मोक्ष मिल जाता है. यही वजह है कि भारतीयों के साथ विदेशी भी यहां पिंडदान समेत तमाम कर्मकांड कराने पहुंच रहे हैं.

Russian People Pind Daan in Badrinath Dham
रशियन लोगों ने किया पिंडदान (फोटो- ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 24, 2024, 4:37 PM IST

Updated : Sep 24, 2024, 7:12 PM IST

देहरादून (उत्तराखंंड): हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष के सोलह दिनों तक लोग अपने पितरों को याद करते हैं. इस दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं, लेकिन लोग सनातन हिंदू धर्म के कितने मुरीद हैं, इसका अंदाजा विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम पहुंचे विदेशियों से लगाया जा सकता है. ये विदेशी सात समंदर पार से आकर अपने पितरों को याद करने के लिए बदरीनाथ में स्थित ब्रह्मकपाल तीर्थ पहुंचे. जहां पर वे पूरी रीति रिवाज से अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण करते दिखाई दिए.

रूस से पहुंचे बदरीनाथ: भारत के बिहार के गया जी, हरिद्वार की नारायणी शिला और बदरीनाथ के ब्रह्मकपाल तीर्थ में इन दिनों श्राद्ध करने वालों की भीड़ लगी हुई है. श्राद्ध पक्ष के चलते भारत ही नहीं विदेशों से भी सनातन संस्कृति को समझने वाले लोग बदरीनाथ धाम पहुंच कर अलकनंदा नदी के पावन तट पर स्थित ब्रह्मकपाल तीर्थ में अपने पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान करने पहुंच रहे हैं. इसी कड़ी में 16 सदस्यीय रशियन तीर्थ यात्रियों का दल बदरीनाथ के ब्रह्मकपाल तीर्थ पहुंचा. जहां उन्होंने पारंपरिक तरीके से पुरोहित और ब्राह्मणों की मौजूदगी में अपने पितरों के निमित्त पिंडदान किया.

रूसी नागरिकों ने किया पूर्वजों का पिंडदान (वीडियो- ETV Bharat)

भारतीय संस्कृति के प्रति बढ़ रही विदेशियों की उत्सुकता: हमेशा से ही विदेशी पर्यटकों में भारतीय संस्कृति, हिंदू धर्म, मंदिर, सनातन धार्मिक मान्यता को जानने में बेहद रुचि रही है, लेकिन अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध पक्ष में पिंडदान और तर्पण करना अद्भुत है. रशियन यात्रियों के समूह के पूजा, पिंडदान अन्य कर्मकांड करवाने वाले ब्रह्मकपाल तीर्थ के वरिष्ठ पुरोहित ऋषि प्रसाद सती ने बताया कि मोक्ष धाम में आजकल श्राद्ध पक्ष के चलते भारतीय श्रद्धालु पिंडदान करने पहुंच रहे हैं. अच्छी बात है कि अब विदेशी लोगों का भी सनातन संस्कृति और धर्म के प्रति झुकाव देखने को मिल रहा है.

उन्होंने बताया कि 23 सितंबर को ब्रह्मकपाल तीर्थ में उनके पास रूस के 16 यात्रियों का एक समूह आया था. ये लोग अपने पुरखों और पितरों के लिए सनातन संस्कृति परंपरा के तहत श्राद्ध पक्ष में पिंडदान करना चाहते थे. लिहाजा, तीर्थ पुरोहित होने के नाते उन्होंने अपने विदेशी यजमानों के लिए पूरी तत्परता के साथ सामूहिक रूप से पिंडदान पूजन कार्य संपन्न करवाए. इस दौरान बदरीनाथ की खूबसूरत आबोहवा और धार्मिक मान्यता को देखकर सभी विदेशी मेहमान खुश नजर आए.

Braham Kapal Pind Daan
रशियन दल ने किया अपने पूर्वजों का पिंडदान (फोटो- ETV Bharat)

पुराणों में मिलता है वर्णन: स्कंद पुराण के मुताबिक, बदरीनाथ के पवित्र ब्रह्मकपाल तीर्थ को गया जी से आठ गुणा अधिक फलदायी और पितृ कारक तीर्थ स्थल माना गया है. यहां विधि-विधान के साथ पिंडदान आदि करने से पितरों को नरक लोक से मोक्ष मिल जाता है. सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का काफी महत्व होता है. पितरों को समर्पित ये पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक मनाया जाता है.

Braham Kapal Pind Daan
ब्रह्मकपाल तीर्थ में पिंडदान कर्मकांड (फोटो- ETV Bharat)

ऐसी मान्यता है कि इन दिनों पितर पितृ लोक से मृत्युलोक में अपने वंशजों से अल्प अवधि में मिलने आते हैं. ऐसे में इस दौरान पूरे सम्मान के साथ सत्कार करते हैं. इसके परिणामस्वरूप सभी पितर अपनी आस्था, इच्छा वाला सात्विक भोजन, आदर और सम्मान पाकर प्रसन्न व संतुष्ट होते हैं. माना जाता है कि पितर खुश होने पर बाकी परिवार के सदस्यों को खुशहाली, स्वास्थ्य, दीर्घायु, वंशवृद्धि के आशीष देकर पितृ लोक लौट जाते हैं.

Braham Kapal Pind Daan
बदरीनाथ के ब्रह्मकपाल का महत्व (फोटो- ETV Bharat GFX)

आप भी ब्रह्मकपाल तीर्थ में करा सकते हैं पिंडदान और तर्पण: अगर आप भी पितृ पक्ष के दिनों में अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति और पिंडदान के लिए इस धार्मिक स्थान पर जाना चाहते हैं, तो आपको उत्तराखंड आना होगा. उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम में अलकनंदा नदी के तट पर यह पवित्र स्थल है. इस स्थान पर कर्मकांड से संबंधित सभी धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग के साथ हेलीकॉप्टर की भी सुविधा है.

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देहरादून (उत्तराखंंड): हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष के सोलह दिनों तक लोग अपने पितरों को याद करते हैं. इस दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं, लेकिन लोग सनातन हिंदू धर्म के कितने मुरीद हैं, इसका अंदाजा विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम पहुंचे विदेशियों से लगाया जा सकता है. ये विदेशी सात समंदर पार से आकर अपने पितरों को याद करने के लिए बदरीनाथ में स्थित ब्रह्मकपाल तीर्थ पहुंचे. जहां पर वे पूरी रीति रिवाज से अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण करते दिखाई दिए.

रूस से पहुंचे बदरीनाथ: भारत के बिहार के गया जी, हरिद्वार की नारायणी शिला और बदरीनाथ के ब्रह्मकपाल तीर्थ में इन दिनों श्राद्ध करने वालों की भीड़ लगी हुई है. श्राद्ध पक्ष के चलते भारत ही नहीं विदेशों से भी सनातन संस्कृति को समझने वाले लोग बदरीनाथ धाम पहुंच कर अलकनंदा नदी के पावन तट पर स्थित ब्रह्मकपाल तीर्थ में अपने पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान करने पहुंच रहे हैं. इसी कड़ी में 16 सदस्यीय रशियन तीर्थ यात्रियों का दल बदरीनाथ के ब्रह्मकपाल तीर्थ पहुंचा. जहां उन्होंने पारंपरिक तरीके से पुरोहित और ब्राह्मणों की मौजूदगी में अपने पितरों के निमित्त पिंडदान किया.

रूसी नागरिकों ने किया पूर्वजों का पिंडदान (वीडियो- ETV Bharat)

भारतीय संस्कृति के प्रति बढ़ रही विदेशियों की उत्सुकता: हमेशा से ही विदेशी पर्यटकों में भारतीय संस्कृति, हिंदू धर्म, मंदिर, सनातन धार्मिक मान्यता को जानने में बेहद रुचि रही है, लेकिन अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध पक्ष में पिंडदान और तर्पण करना अद्भुत है. रशियन यात्रियों के समूह के पूजा, पिंडदान अन्य कर्मकांड करवाने वाले ब्रह्मकपाल तीर्थ के वरिष्ठ पुरोहित ऋषि प्रसाद सती ने बताया कि मोक्ष धाम में आजकल श्राद्ध पक्ष के चलते भारतीय श्रद्धालु पिंडदान करने पहुंच रहे हैं. अच्छी बात है कि अब विदेशी लोगों का भी सनातन संस्कृति और धर्म के प्रति झुकाव देखने को मिल रहा है.

उन्होंने बताया कि 23 सितंबर को ब्रह्मकपाल तीर्थ में उनके पास रूस के 16 यात्रियों का एक समूह आया था. ये लोग अपने पुरखों और पितरों के लिए सनातन संस्कृति परंपरा के तहत श्राद्ध पक्ष में पिंडदान करना चाहते थे. लिहाजा, तीर्थ पुरोहित होने के नाते उन्होंने अपने विदेशी यजमानों के लिए पूरी तत्परता के साथ सामूहिक रूप से पिंडदान पूजन कार्य संपन्न करवाए. इस दौरान बदरीनाथ की खूबसूरत आबोहवा और धार्मिक मान्यता को देखकर सभी विदेशी मेहमान खुश नजर आए.

Braham Kapal Pind Daan
रशियन दल ने किया अपने पूर्वजों का पिंडदान (फोटो- ETV Bharat)

पुराणों में मिलता है वर्णन: स्कंद पुराण के मुताबिक, बदरीनाथ के पवित्र ब्रह्मकपाल तीर्थ को गया जी से आठ गुणा अधिक फलदायी और पितृ कारक तीर्थ स्थल माना गया है. यहां विधि-विधान के साथ पिंडदान आदि करने से पितरों को नरक लोक से मोक्ष मिल जाता है. सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का काफी महत्व होता है. पितरों को समर्पित ये पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक मनाया जाता है.

Braham Kapal Pind Daan
ब्रह्मकपाल तीर्थ में पिंडदान कर्मकांड (फोटो- ETV Bharat)

ऐसी मान्यता है कि इन दिनों पितर पितृ लोक से मृत्युलोक में अपने वंशजों से अल्प अवधि में मिलने आते हैं. ऐसे में इस दौरान पूरे सम्मान के साथ सत्कार करते हैं. इसके परिणामस्वरूप सभी पितर अपनी आस्था, इच्छा वाला सात्विक भोजन, आदर और सम्मान पाकर प्रसन्न व संतुष्ट होते हैं. माना जाता है कि पितर खुश होने पर बाकी परिवार के सदस्यों को खुशहाली, स्वास्थ्य, दीर्घायु, वंशवृद्धि के आशीष देकर पितृ लोक लौट जाते हैं.

Braham Kapal Pind Daan
बदरीनाथ के ब्रह्मकपाल का महत्व (फोटो- ETV Bharat GFX)

आप भी ब्रह्मकपाल तीर्थ में करा सकते हैं पिंडदान और तर्पण: अगर आप भी पितृ पक्ष के दिनों में अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति और पिंडदान के लिए इस धार्मिक स्थान पर जाना चाहते हैं, तो आपको उत्तराखंड आना होगा. उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम में अलकनंदा नदी के तट पर यह पवित्र स्थल है. इस स्थान पर कर्मकांड से संबंधित सभी धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग के साथ हेलीकॉप्टर की भी सुविधा है.

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Last Updated : Sep 24, 2024, 7:12 PM IST
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