नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच मचे घमासान के बीच संघ के नेता इंद्रेश कुमार बयान ने हलचल मचा दी है. सूत्रों के मुताबिक, संघ के नेता का बीजेपी को लेकर दिए गए बयान के बाद आरएसएस ने साफ कर दिया कि, इंद्रेश का बयान संघ का आधिकारिक बयान नहीं है. इंद्रेश कुमार के बयान से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दूरी बना ली है. वहीं, संघ के सूत्र बता रहे हैं कि, बीजेप और संघ के बीच सबकुछ सामान्य है. मगर ये बात साफ जरूर कर दी गई है की मोहन भागवत के बयान सिर्फ पार्टी या भाजपा सरकार के लिए नहीं था.
आरएसएस सूत्रों के मुताबिक, संघ का साफ कहना है कि, इंद्रेश का बयान आरएसएस का आधिकारिक स्टैंड नहीं है. वहीं, संघ शिक्षा वर्ग की बैठक के सिलसिले में मोहन भागवत गोरखपुर में हैं और यहा इलाका मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र भी है. सूत्रों के मुताबिक, गोरखपुर में शनिवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच मुलाकात होगी. सूत्र ने बताया कि, आरएसएस का यह भी कहना है कि, संघ प्रमुख का बयान सरकार पर टिप्पणी नहीं थी. संघ का कहना है कि, मोहन भागवत के अहंकार पर दिए गए बयानों का लक्ष्य पीएम मोदी नहीं थे. उनका गलत अर्थ निकाला गया. सेवक से उनका मतलब स्वयंसेवक था, किसी और से नहीं.
सूत्र ने कहा, जेपी नड्डा का यह बयान कि बीजेपी को आरएसएस की जरूरत नहीं है, गलत समय पर आया. स्वयंसेवक भी इंसान हैं, उन्हें अपमानित महसूस हुआ, लेकिन स्पष्टीकरण से चीजें स्पष्ट हो गईं. हालांकि, जिस अखबार में साक्षात्कार प्रकाशित हुआ, उसमें स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया. संघ का कहना है कि, आरएसएस-भाजपा में सत्ता संतुलन नहीं बदलेगा. बीजेपी अपने फैसले लेती रहेगी. संघ की भूमिका व्यक्ति निर्माण में जारी रहेगी. अच्छा है कि मनोहर लाल और शिवराज जैसे अनुभवी लोग सरकार का हिस्सा हैं. भारतीय मतदाता विकसित हो रहा है. इसे समझना जरूरी है.
आरएसएस सूत्रों के मुताबिक,, 'विपक्ष का यह कथन कि आरक्षण नीति में बदलाव किया जाएगा, इससे काफी हद तक वोटर प्रभावित हुआ. यूपी में उम्मीदवारों और ठाकुरों के गुस्से ने भी समस्याएं पैदा कीं. यह सच नहीं है कि आरएसएस कार्यकर्ताओं ने काम नहीं किया. मतदाताओं में रुचि की कमी की आम भावना थी। गर्मी और लंबे समय तक चले चुनाव ने इसमें भूमिका निभाई.' बीजेपी द्वारा अन्य दलों से लोगों को शामिल करने पर आरएसएस सूत्रों ने कहा कि पार्टी को सोच-समझकर फ़ैसला लेना चाहिए. एक राजनीतिक दल के रूप में विस्तार करना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह जानना भी ज़रूरी है कि हम किसे शामिल कर रहे हैं. बता दें कि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को अहंकारी बताया था.
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