श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) को कश्मीर में अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की बड़ी बगावत का सामना करना पड़ रहा है. दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा और शोपियां जिलों को पीडीपी का गढ़ माना जाता था. पार्टी नेतृत्व ने सोमवार को विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की. जिनमें इन क्षेत्रों के पूर्व विधायकों और डीडीसी सदस्यों के नाम गायब हैं. उम्मीदवारों की घोषणा के बाद पार्टी को इन क्षेत्रों में बड़ी बगावत का सामना करना पड़ रहा है.
सूत्रों ने बताया कि करीब 12 डीडीसी सदस्य और एक पूर्व विधायक एजाज मीर ने पार्टी छोड़ दी है और वे आज जेल में बंद सांसद इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) में शामिल होने वाले हैं. पीडीपी के प्रमुख डीडीसी सदस्यों में त्राल से डॉ. हरबख्श सिंह, जो पार्टी के प्रवक्ता भी हैं, शोपियां से राजा वहीद, काकपोरा (पंपोर) से कयूम मीर, पुलवामा के डीडीसी चेयरमैन बारी अंद्राबी शामिल हैं. गंदेरबल से एक और डीडीसी सदस्य बिलाल अहमद भी एआईपी में शामिल हो रहे हैं और चुनाव लड़ेंगे.
बिलाल अहमद टिकट न मिलने से नाराज
सूत्रों ने बताया कि बिलाल अहमद पीडीपी द्वारा गंदेरबल सीट पर कंगन के निवासी बशीर मीर को मैदान में उतारने के फैसले से नाराज हैं. मीर कंगन क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ सकते, क्योंकि यह सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित है. डॉ. हरबख्श सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि वे एक-दो दिनों में एआईपी में शामिल होंगे और चुनाव लड़ेंगे.
सूत्रों ने बताया कि इन नेताओं ने श्रीनगर में एआईपी नेताओं के साथ कई दौर की बैठकें की हैं और एआईपी के साथ चुनाव मैदान में उतरने और दक्षिण कश्मीर में अपना आधार बढ़ाने का फैसला किया है.
एआईपी के प्रवक्ता ने क्या कहा...
एआईपी प्रवक्ता फिरदौस बाबा ने ईटीवी भारत को बताया कि पुलवामा, शोपियां और अनंतनाग के कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी में शामिल होने के लिए संपर्क किया है. उन्होंने कहा, "हम आगामी विधानसभा चुनाव में दक्षिण कश्मीर में अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं."
अब्दुर रहमान वीरी की जगह इल्तिजा मुफ्ती को टिकट
पीडीपी में बगावत सोमवार से शुरू हुई, जब पार्टी ने दक्षिण कश्मीर की आठ सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की. इस सूची में पीडीपी प्रमुख महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती का भी नाम शामिल है. इल्तिजा को वरिष्ठ नेता और चार बार के विधायक अब्दुर रहमान वीरी की जगह बिजबेहरा से टिकट दिया गया है. वीरी 1998 से नेशनल कॉन्फ्रेंस के खिलाफ इस विधानसभा सीट पर जीतते आ रहे थे. वीरी के करीबी सूत्रों ने बताया कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ने या किसी अन्य पार्टी में जाने के विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं.
एजाज मीर ने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ दिया इस्तीफा
इसके अलावा, पीडीपी ने पूर्व विधायक वाची एजाज मीर की जगह महबूबा के पूर्व पीए गुलाम मोहिद्दीन को टिकट दिया गया है. एजाज मीर ने मंगलवार को अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उनमें से कई महबूबा के वफादार थे, लेकिन मीर को टिकट न दिए जाने से नाराज हैं.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चुनाव के अहम समय में पीडीपी में बगावत से विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है.
2020 में अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में पीडीपी में हुई थी बगावत
पीडीपी को 2020 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद बड़ी बगावत का सामना करना पड़ा था, जब इसके 40 नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी थी और अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी का गठन किया था.
हाल में हुए लोकसभा चुनाव में, अनंतनाग-राजौरी से पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और श्रीनगर से वहीद पारा को हार का सामना करना पड़ा था. इन सीटों से नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवारों मियां अल्ताफ और आगा रूहुल्लाह ने जीत दर्ज की थी.
लोकसभा चुनाव में पीडीपी दक्षिण कश्मीर में केवल तीन विधानसभा क्षेत्रों में ही मामूली अंतर से बढ़त बना पाई थी, जिसे पार्टी अपना गढ़ मानती थी. पर्यवेक्षकों का कहना है कि डीडीसी सदस्यों के विद्रोह से विधानसभा चुनावों में पीडीपी के वोटों में और गिरावट आएगी.
अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष ने दिया इस्तीफा
वहीं, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष जफर इकबाल मन्हास ने मंगलवार को अपने बेटे इरफान मन्हास के साथ पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. दोनों के बुधवार को कांग्रेस में शामिल होने की उम्मीद है. मन्हास ने अपनी पार्टी छोड़ने की पुष्टि करते हुए कहा कि वह अपने सहयोगियों से सलाह-मशविरा करने के बाद भविष्य के राजनीतिक रुख पर फैसला लेंगे. घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मन्हास बुधवार को राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.
पीडीपी से अलग होने के बाद अपनी पार्टी के संस्थापक सदस्य जफर मन्हास ने अनंतनाग-पुंछ-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव 2024 लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. भाजपा के समर्थन के बावजूद उनकी जमानत जब्त हो गई थी. उनके बेटे इरफान मन्हास वर्तमान में शोपियां में जिला विकास परिषद के उपाध्यक्ष हैं.
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