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दो कांवड़ियों के बहने के बाद गंगोत्री-गौमुख ट्रेक पर SDRF का ऑपरेशन, 38 फंसे लोगों का सफल रेस्क्यू - Gangotri Gaumukh Trek Kanwadia - GANGOTRI GAUMUKH TREK KANWADIA

Rescue operation on Gangotri Gaumukh trek in Uttarkashi उत्तराखंड में मानसून का कहर जमकर बरप रहा है. नदी नाले उफान पर हैं. लैंडस्लाइड भी हो रहा है. गौमुख ट्रेक पर दो कांवड़िए बह गए थे. इस बीच एक वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में गौमुख से आगे चीड़बासा में बाकी के लोगों के रेस्क्यू की तस्वीरें हैं. कहां फंसे थे ये कांवड़िए और कैसे रेस्क्यू किया गया, जानिए इस खबर में.

Rescue operation on Gangotri Gaumukh trek
एसडीआरएफ का रेस्क्यू अभियान (Photo- SDRF)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 5, 2024, 2:21 PM IST

गंगोत्री गौमुख ट्रेक पर कांवड़ियों का रेस्क्यू अभियान. (SDRF)

देहरादून: उत्तरकाशी के गंगोत्री गौमुख ट्रेक पर दो कांवड़ियों के बहने के बाद एसडीआरएफ की टीम ने गौमुख गए तमाम कांवड़ियों का रेस्क्यू अभियान पूरा कर लिया है. आज शुक्रवार सुबह SDRF की एक टीम उसी जगह पर पहुंची, जहां पर लकड़ी का पुल गुरुवार को पानी के तेज बहाव में बह गया था, जिसके साथ दो कांवड़िए भी बह गए थे. वहां फंसे तमाम कांवड़ियों को आज एक-एक करके निकालने का काम शुरू किया गया.

उत्तरकाशी रेस्क्यू टीम प्रभारी ने बताया है कि SDRF रेस्क्यू टीम ने सभी 38 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है, जिसमें 25 कावड़िए, 5 महिला यात्री (वाडिया इंस्टीट्यूट, देहरादून), 8 यात्री शामिल हैं. वहीं कल बहे दो कांवड़ियों को अभी भी लापता हैं.

गौर हो कि, गंगोत्री और गौमुख के रास्ते पर कई जगहों पर ऐसे स्थान मौजूद हैं, जहां पर पानी का तेज बहाव किसी के लिए भी मुसीबत बन सकता है. बावजूद इसके कांवड़िए ऐसी जगह पर जा रहे हैं. लगातार पुलिस प्रशासन और सरकार अपील कर रही है कि कोई भी व्यक्ति ऐसे स्थान पर न जाए, जहां पर उनकी जान को खतरा हो सकता है. लिहाजा अब मानसून और हादसों को देखते हुए उत्तरकाशी प्रशासन ने गौमुख जाने वाले कांवड़ियों को आगे जाने से मना कर दिया गया है. जितने कांवड़िए गौमुख में गए हुए थे, आज उनको निकालने का सिलसिला शुरू किया गया है. सावन के महीने में शिव भक्त गौमुख से जल लेकर अपने-अपने गंतव्य को जाते हैं.

खतरनाक लहरों और बढ़ते पानी के बीच एसडीआरएफ के जवानों ने सभी कावड़ियों को सकुशल निकालने का ऑपरेशन चलाया. अब उन दो कांवड़ियों की तलाश की जा रही है, जो गुरुवार 4 जुलाई को पानी के तेज बहाव में बह गए थे. एसडीआरएफ के उप निरीक्षक सावर सिंह ने बताया कि, हमें यह सूचना मिली थी कि गोमुख के रास्ते पर 40 कांवड़िए फंसे हुए हैं. इनके रेस्क्यू के लिए हमारी टीम तत्काल वहां पर पहुंची. 8 किलोमीटर पैदल चलने के बाद हमने कांवड़ियों को निकालना शुरू किया गया.

ये भी पढ़ें: गंगोत्री-गौमुख ट्रेक पर चीड़वासा नाले में बहे दो कांवड़िए, सर्च अभियान जारी

गंगोत्री गौमुख ट्रेक पर कांवड़ियों का रेस्क्यू अभियान. (SDRF)

देहरादून: उत्तरकाशी के गंगोत्री गौमुख ट्रेक पर दो कांवड़ियों के बहने के बाद एसडीआरएफ की टीम ने गौमुख गए तमाम कांवड़ियों का रेस्क्यू अभियान पूरा कर लिया है. आज शुक्रवार सुबह SDRF की एक टीम उसी जगह पर पहुंची, जहां पर लकड़ी का पुल गुरुवार को पानी के तेज बहाव में बह गया था, जिसके साथ दो कांवड़िए भी बह गए थे. वहां फंसे तमाम कांवड़ियों को आज एक-एक करके निकालने का काम शुरू किया गया.

उत्तरकाशी रेस्क्यू टीम प्रभारी ने बताया है कि SDRF रेस्क्यू टीम ने सभी 38 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है, जिसमें 25 कावड़िए, 5 महिला यात्री (वाडिया इंस्टीट्यूट, देहरादून), 8 यात्री शामिल हैं. वहीं कल बहे दो कांवड़ियों को अभी भी लापता हैं.

गौर हो कि, गंगोत्री और गौमुख के रास्ते पर कई जगहों पर ऐसे स्थान मौजूद हैं, जहां पर पानी का तेज बहाव किसी के लिए भी मुसीबत बन सकता है. बावजूद इसके कांवड़िए ऐसी जगह पर जा रहे हैं. लगातार पुलिस प्रशासन और सरकार अपील कर रही है कि कोई भी व्यक्ति ऐसे स्थान पर न जाए, जहां पर उनकी जान को खतरा हो सकता है. लिहाजा अब मानसून और हादसों को देखते हुए उत्तरकाशी प्रशासन ने गौमुख जाने वाले कांवड़ियों को आगे जाने से मना कर दिया गया है. जितने कांवड़िए गौमुख में गए हुए थे, आज उनको निकालने का सिलसिला शुरू किया गया है. सावन के महीने में शिव भक्त गौमुख से जल लेकर अपने-अपने गंतव्य को जाते हैं.

खतरनाक लहरों और बढ़ते पानी के बीच एसडीआरएफ के जवानों ने सभी कावड़ियों को सकुशल निकालने का ऑपरेशन चलाया. अब उन दो कांवड़ियों की तलाश की जा रही है, जो गुरुवार 4 जुलाई को पानी के तेज बहाव में बह गए थे. एसडीआरएफ के उप निरीक्षक सावर सिंह ने बताया कि, हमें यह सूचना मिली थी कि गोमुख के रास्ते पर 40 कांवड़िए फंसे हुए हैं. इनके रेस्क्यू के लिए हमारी टीम तत्काल वहां पर पहुंची. 8 किलोमीटर पैदल चलने के बाद हमने कांवड़ियों को निकालना शुरू किया गया.

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