नई दिल्ली : हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 104 साल के रसिक चंद मंडल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आया जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार शामिल थे. मामले में अधिवक्ता आस्था शर्मा ने पीठ के समक्ष पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व किया.
मामले में पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हम एक अंतरिम आदेश के रूप में निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता रसिक चंद्र मंडल को वर्तमान रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान ट्रायल कोर्ट द्वारा तय की जाने वाली शर्तों पर अंतरिम जमानत/पैरोल पर रिहा किया जाएगा. बता दें कि मंडल का जन्म 1920 में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में हुआ था. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष शुक्रवार को मंडल की याचिका सूचीबद्ध की गई थी.
इस पर पीठ ने पश्चिम बंगाल के वकील से मंडल की मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी. अधिवक्ता आस्था शर्मा ने पीठ के समक्ष दलील दी कि मंडल को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, जो उम्र से संबंधित हैं, लेकिन अन्यथा उनकी हालत स्थिर है. शर्मा ने पीठ को बताया कि वह जल्द ही अपना 104वां जन्मदिन मनाएंगे. उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए पीठ ने कहा कि वह उन्हें अंतरिम जमानत देगी.
मंडल को 1988 के एक हत्या के मामले में 1994 में दोषी ठहराया गया था. उस समय मंडल की उम्र 68 साल थी. वर्तमान वह आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हत्या के मामले में उनकी दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली उनकी अपील को 2018 में खारिज कर दिया था. बाद में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इतना ही नहीं मंडल 2020 में जब 99 साल के थे, तब भी उन्होंने रिहाई की मांग को लेकर याचिका दायर की थी. इसमें मंडल ने अपनी बढ़ती उम्र के साथ उससे जुड़ी बीमारियों का हवाला दिया गया था. इस पर मई 2021 में शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था.
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