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सेवा के दौरान मौत होने पर अग्निवीरों के परिवारों को नियमित लाभ दिए जाने चाहिए : रक्षा अग्निवीर संसदीय समिति

Raksha Agniveer Parliamentary Committee : संसद की एक स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अग्निवीरों' के परिवारों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को प्रत्येक श्रेणी में 10 लाख रुपये तक बढ़ाया जाना चाहिए. पढ़ें पूरी खबर...

Raksha Agniveer Parliamentary Committee
रक्षा अग्निवीर
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 10, 2024, 1:58 PM IST

नई दिल्ली : संसद की एक स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले 'अग्निवीरों' के परिवारों को वही लाभ मिलना चाहिए जो नियमित सैन्य कर्मियों के परिजनों को मिलता है. मौजूदा प्रावधानों के तहत, सर्वोच्च बलिदान देने वाले अग्निवीरों के परिवार पेंशन जैसे नियमित लाभ के पात्र नहीं हैं. रक्षा मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि परिवार के सदस्यों या निकटतम संबंधियों की हालत को ध्यान में रखते हुए, समिति चाहती है कि अग्निवीर के बलिदान के बाद उनके परिवार के सदस्यों को वही लाभ प्रदान किए जाएं जो एक नियमित सैनिक के परिवार को प्रदान किए जाते हैं.

बता दें, सरकार ने जून 2022 में, तीनों सेवाओं में कर्मियों की अल्पकालिक भर्ती के लिए 'अग्निपथ' भर्ती योजना शुरू की थी. इसमें साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं को चार साल के लिए भर्ती करने का प्रावधान है. इनमें से 25 प्रतिशत कर्मियों की सेवा आगे 15 और वर्षों तक बनाए रखने का प्रावधान है. इन कर्मियों को 'अग्निवीर' कहा जाता है.

समिति ने ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सैनिकों के परिवारों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को प्रत्येक श्रेणी में 10 लाख रुपये तक बढ़ाने की भी सिफारिश की. रक्षा मंत्रालय की ओर से समिति को बताया गया कि सैनिक की मृत्यु की विभिन्न श्रेणियों के लिए अनुग्रह राशि अलग-अलग होती है. कर्तव्य पालन के दौरान दुर्घटनाओं या आतंकवादियों, असामाजिक तत्वों की हिंसा के कारण मृत्यु होने पर 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि सीमा पर होने वाली झड़पों और उग्रवादियों, आतंकवादियों, चरमपंथियों, समुद्री डाकुओं आदि के खिलाफ कार्रवाई में होने वाली मौत के मामले में 35 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है. इसके अलावा, युद्ध में दुश्मन की कार्रवाई के दौरान मृत्यु होने पर मुआवजे के रूप में 45 लाख रुपये की राशि दी जाती है. रिपोर्ट के अनुसार, 'समिति यह दोहराना चाहती है कि सरकार को उपरोक्त प्रत्येक श्रेणी में अनुग्रह राशि को 10 लाख रुपये तक बढ़ाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. किसी भी श्रेणी के तहत न्यूनतम राशि 35 लाख रुपये और अधिकतम 55 लाख रुपये होगी.'

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नई दिल्ली : संसद की एक स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले 'अग्निवीरों' के परिवारों को वही लाभ मिलना चाहिए जो नियमित सैन्य कर्मियों के परिजनों को मिलता है. मौजूदा प्रावधानों के तहत, सर्वोच्च बलिदान देने वाले अग्निवीरों के परिवार पेंशन जैसे नियमित लाभ के पात्र नहीं हैं. रक्षा मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि परिवार के सदस्यों या निकटतम संबंधियों की हालत को ध्यान में रखते हुए, समिति चाहती है कि अग्निवीर के बलिदान के बाद उनके परिवार के सदस्यों को वही लाभ प्रदान किए जाएं जो एक नियमित सैनिक के परिवार को प्रदान किए जाते हैं.

बता दें, सरकार ने जून 2022 में, तीनों सेवाओं में कर्मियों की अल्पकालिक भर्ती के लिए 'अग्निपथ' भर्ती योजना शुरू की थी. इसमें साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं को चार साल के लिए भर्ती करने का प्रावधान है. इनमें से 25 प्रतिशत कर्मियों की सेवा आगे 15 और वर्षों तक बनाए रखने का प्रावधान है. इन कर्मियों को 'अग्निवीर' कहा जाता है.

समिति ने ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सैनिकों के परिवारों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को प्रत्येक श्रेणी में 10 लाख रुपये तक बढ़ाने की भी सिफारिश की. रक्षा मंत्रालय की ओर से समिति को बताया गया कि सैनिक की मृत्यु की विभिन्न श्रेणियों के लिए अनुग्रह राशि अलग-अलग होती है. कर्तव्य पालन के दौरान दुर्घटनाओं या आतंकवादियों, असामाजिक तत्वों की हिंसा के कारण मृत्यु होने पर 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि सीमा पर होने वाली झड़पों और उग्रवादियों, आतंकवादियों, चरमपंथियों, समुद्री डाकुओं आदि के खिलाफ कार्रवाई में होने वाली मौत के मामले में 35 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है. इसके अलावा, युद्ध में दुश्मन की कार्रवाई के दौरान मृत्यु होने पर मुआवजे के रूप में 45 लाख रुपये की राशि दी जाती है. रिपोर्ट के अनुसार, 'समिति यह दोहराना चाहती है कि सरकार को उपरोक्त प्रत्येक श्रेणी में अनुग्रह राशि को 10 लाख रुपये तक बढ़ाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. किसी भी श्रेणी के तहत न्यूनतम राशि 35 लाख रुपये और अधिकतम 55 लाख रुपये होगी.'

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