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चुनावी बांड रिजेक्ट होने पर विपक्षी नेताओं और वकीलों ने दी ऐसी प्रतिक्रियाएं

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 15, 2024, 12:09 PM IST

Updated : Feb 15, 2024, 2:31 PM IST

Reaction Of Lawyers : आज सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है. पढ़ें इस फैसले पर याचिकाकर्ता की प्रतिक्रिया.

Reaction Of Lawyers
प्रतिकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने गुरुवार को सर्वसम्मति से फैसला सुनाया, जिसमें चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया गया. पीठ केंद्र सरकार की चुनावी बांड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला दे रही थी, जो राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति देती है.

फैसले की शुरुआत में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि दो राय हैं, एक उनकी और दूसरी जस्टिस संजीव खन्ना की और दोनों एक ही निष्कर्ष पर पहुंचे हैं. पीठ ने कहा कि याचिकाओं में दो मुख्य मुद्दे उठाए गए हैं; क्या संशोधन अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है और क्या असीमित कॉर्पोरेट फंडिंग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का उल्लंघन किया है. सीजेआई ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि गुमनाम चुनावी बांड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है.

वकील प्रशांत भूषण ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इसे लागू करने के लिए किए गए सभी प्रावधानों को रद्द कर दिया है. प्रशांत किशोर ने कहा कि कोर्ट ने माना कि यह नागरिकों के जानने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है कि कौन राजनीतिक दलों को धन का योगदान दे रहा है. उन्होंने कंपनियों की ओर से राजनीतिक दलों को दिए जा रहे असीमित योगदान को भी खत्म कर दिया है.

चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने कहा कि अदालत ने कहा कि यह पारदर्शी होना चाहिए. आरटीआई हर नागरिक का अधिकार है. कितना पैसा और कौन लोग देते हैं इसका खुलासा होना चाहिए. 2018 में जब यह चुनावी बॉन्ड योजना प्रस्तावित की गई थी तो इस योजना में कहा गया था कि आप बैंक से बॉन्ड खरीद सकते हैं और पैसा पार्टी को दे सकते हैं. आपका नाम उजागर नहीं किया जाएगा, जो कि सूचना के अधिकार के खिलाफ है और इसका खुलासा किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैंने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की थी उसमें यही मांग की गई थी कि इसे पारदर्शी होना चाहिए.

चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर, वकील शादान फरासत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉन्ड संशोधनों को रद्द कर दिया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमारी दलीलों से सहमत है. योजना की गुमनामी सुनिश्चित करने के लिए जो संशोधन पेश किए गए थे, उन्हें रद्द कर दिया गया है और उसके परिणामस्वरूप, योजना को ही रद्द कर दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वकील वरुण ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया है. पीठ (जिसमें पांच न्यायाधीश शामिल हैं) ने कहा है कि चुनावी बांड योजना असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बांड योजना को संसद की ओर से पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान दोनों का उल्लंघन माना है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा कि लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला बेहद स्वागत योग्य है. यह नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा. कांग्रेस नेता ने लिखा कि मोदी सरकार चंदादाताओं को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर किसी भी तरह का अत्याचार कर रही है. हमें यह भी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर ध्यान देगा कि चुनाव आयोग लगातार वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मिलने से भी इनकार कर रहा है. यदि मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 'एक्स' पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा कि चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराने का उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक एवं स्वागतयोग्य है. उन्होंने दावा किया कि चुनावी बॉन्ड ने भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम किया. इसने राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता को खत्म किया और सत्ताधारी पार्टी भाजपा को सीधे लाभ पहुंचाया.

गहलोत ने लिखा कि मैंने बार-बार कहा कि चुनावी बॉन्ड आजाद भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है. आज उच्चतम न्यायालय के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि चुनावी बॉन्ड राजग सरकार का एक बड़ा घोटाला है. उन्होंने कहा कि यह फैसला देर से आया, पर यह देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए बेहद जरूरी फैसला है. उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद.

कांग्रेस नेता डॉ. उदितराज ने चुनावी बांड पर SC के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर कोई किसी राजनीतिक दल को दान देता था तो मतदाता दानकर्ता का नाम और नंबर जानने के हकदार नहीं थे. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह अनुच्छेद 19 (सूचना का अधिकार) का उल्लंघन है.

चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिव सेना (यूबीटी) नेता आनंद दुबे ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि चुनावी बांड योजना के तहत यह छिपाया जाता था कि राजनीतिक दलों और सरकार को कहां से फंड मिल रहा है, लेकिन आज से चुनाव आयोग को सब कुछ बताना होगा. यह बहुत बड़ा फैसला है.

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2018 में योजना शुरू करने के बाद से ही वामपंथी नेता चुनावी बांड नीति के खिलाफ मुखर थे. पूर्व सांसद और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने ईटीवी भारत से कहा कि जब स्वर्गीय अरुण जेटली मोदी सरकार में वित्त मंत्री थे, तब मैं इस मुद्दे को उठाता रहा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ, मुझे यकीन है कि यह निर्देश भ्रष्टाचार को खत्म करने में काफी मदद करेगा. यह कहते हुए कि सत्तारूढ़ दल शीर्ष कॉरपोरेट्स से धन प्राप्त करने के लिए चुनावी बांड योजना की की मदद ले रहे हैं, राजा ने कहा कि राजनीतिक दल 'पिछले दरवाजे' से दान लेने से डरेंगे.

सीपीआई (एम) की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की सराहना करता है, जिसने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया है. सीपीआई (एम) ने कहा कि इस फैसले से, गुमनाम कॉर्पोरेट दानदाताओं की ओर से सत्तारूढ़ पार्टी को वित्त पोषित करने के लिए बनाई गई इस बेईमान योजना को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है.

पार्टी ने शुरुआत में ही घोषणा कर दी थी कि वह चुनावी बांड स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि यह योजना भ्रष्टाचार को वैध बनाती है. सीपीआई (एम) ने अन्य याचिकाकर्ताओं के साथ चुनावी बांड योजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. यह संतुष्टि की बात है कि योजना के खिलाफ याचिका में दिए गए मुख्य तर्कों को बरकरार रखा गया है. पार्टी की ओर से कहा गया है कि अब यह जरूरी है कि पारदर्शिता, स्वच्छ फंडिंग और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक और चुनावी फंडिंग के लिए सुधार पेश किए जाएं.

इसी विचार को दोहराते हुए, पूर्व सांसद और सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य, हन्नान मोल्लाह ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र से चुनावी भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकेगा. उन्होंने कहा कि हालांकि यह निश्चित नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त बना देगा या नहीं, फिर भी, यह भ्रष्टाचार के प्रमुख स्रोतों में से एक था. यह भ्रष्टाचार को रोकने में सक्षम होगा.

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि उनकी पार्टी लंबे समय से प्रतीक्षित फैसले का स्वागत करती है जो नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा. खेड़ा ने कहा कि भाजपा सरकार की ओर से कॉरपोरेट से फंडिंग हासिल करने के लिए शुरू की गई नीति को खत्म करना बेहद स्वागत योग्य है.

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नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने गुरुवार को सर्वसम्मति से फैसला सुनाया, जिसमें चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया गया. पीठ केंद्र सरकार की चुनावी बांड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला दे रही थी, जो राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति देती है.

फैसले की शुरुआत में सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि दो राय हैं, एक उनकी और दूसरी जस्टिस संजीव खन्ना की और दोनों एक ही निष्कर्ष पर पहुंचे हैं. पीठ ने कहा कि याचिकाओं में दो मुख्य मुद्दे उठाए गए हैं; क्या संशोधन अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है और क्या असीमित कॉर्पोरेट फंडिंग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का उल्लंघन किया है. सीजेआई ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि गुमनाम चुनावी बांड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है.

वकील प्रशांत भूषण ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इसे लागू करने के लिए किए गए सभी प्रावधानों को रद्द कर दिया है. प्रशांत किशोर ने कहा कि कोर्ट ने माना कि यह नागरिकों के जानने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है कि कौन राजनीतिक दलों को धन का योगदान दे रहा है. उन्होंने कंपनियों की ओर से राजनीतिक दलों को दिए जा रहे असीमित योगदान को भी खत्म कर दिया है.

चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने कहा कि अदालत ने कहा कि यह पारदर्शी होना चाहिए. आरटीआई हर नागरिक का अधिकार है. कितना पैसा और कौन लोग देते हैं इसका खुलासा होना चाहिए. 2018 में जब यह चुनावी बॉन्ड योजना प्रस्तावित की गई थी तो इस योजना में कहा गया था कि आप बैंक से बॉन्ड खरीद सकते हैं और पैसा पार्टी को दे सकते हैं. आपका नाम उजागर नहीं किया जाएगा, जो कि सूचना के अधिकार के खिलाफ है और इसका खुलासा किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैंने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की थी उसमें यही मांग की गई थी कि इसे पारदर्शी होना चाहिए.

चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर, वकील शादान फरासत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉन्ड संशोधनों को रद्द कर दिया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमारी दलीलों से सहमत है. योजना की गुमनामी सुनिश्चित करने के लिए जो संशोधन पेश किए गए थे, उन्हें रद्द कर दिया गया है और उसके परिणामस्वरूप, योजना को ही रद्द कर दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वकील वरुण ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया है. पीठ (जिसमें पांच न्यायाधीश शामिल हैं) ने कहा है कि चुनावी बांड योजना असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बांड योजना को संसद की ओर से पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान दोनों का उल्लंघन माना है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा कि लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला बेहद स्वागत योग्य है. यह नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा. कांग्रेस नेता ने लिखा कि मोदी सरकार चंदादाताओं को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर किसी भी तरह का अत्याचार कर रही है. हमें यह भी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर ध्यान देगा कि चुनाव आयोग लगातार वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से मिलने से भी इनकार कर रहा है. यदि मतदान प्रक्रिया में सब कुछ पारदर्शी है तो फिर इतनी जिद क्यों?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 'एक्स' पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा कि चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराने का उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक एवं स्वागतयोग्य है. उन्होंने दावा किया कि चुनावी बॉन्ड ने भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम किया. इसने राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता को खत्म किया और सत्ताधारी पार्टी भाजपा को सीधे लाभ पहुंचाया.

गहलोत ने लिखा कि मैंने बार-बार कहा कि चुनावी बॉन्ड आजाद भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है. आज उच्चतम न्यायालय के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि चुनावी बॉन्ड राजग सरकार का एक बड़ा घोटाला है. उन्होंने कहा कि यह फैसला देर से आया, पर यह देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए बेहद जरूरी फैसला है. उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद.

कांग्रेस नेता डॉ. उदितराज ने चुनावी बांड पर SC के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर कोई किसी राजनीतिक दल को दान देता था तो मतदाता दानकर्ता का नाम और नंबर जानने के हकदार नहीं थे. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह अनुच्छेद 19 (सूचना का अधिकार) का उल्लंघन है.

चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिव सेना (यूबीटी) नेता आनंद दुबे ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि चुनावी बांड योजना के तहत यह छिपाया जाता था कि राजनीतिक दलों और सरकार को कहां से फंड मिल रहा है, लेकिन आज से चुनाव आयोग को सब कुछ बताना होगा. यह बहुत बड़ा फैसला है.

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2018 में योजना शुरू करने के बाद से ही वामपंथी नेता चुनावी बांड नीति के खिलाफ मुखर थे. पूर्व सांसद और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने ईटीवी भारत से कहा कि जब स्वर्गीय अरुण जेटली मोदी सरकार में वित्त मंत्री थे, तब मैं इस मुद्दे को उठाता रहा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ, मुझे यकीन है कि यह निर्देश भ्रष्टाचार को खत्म करने में काफी मदद करेगा. यह कहते हुए कि सत्तारूढ़ दल शीर्ष कॉरपोरेट्स से धन प्राप्त करने के लिए चुनावी बांड योजना की की मदद ले रहे हैं, राजा ने कहा कि राजनीतिक दल 'पिछले दरवाजे' से दान लेने से डरेंगे.

सीपीआई (एम) की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की सराहना करता है, जिसने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया है. सीपीआई (एम) ने कहा कि इस फैसले से, गुमनाम कॉर्पोरेट दानदाताओं की ओर से सत्तारूढ़ पार्टी को वित्त पोषित करने के लिए बनाई गई इस बेईमान योजना को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है.

पार्टी ने शुरुआत में ही घोषणा कर दी थी कि वह चुनावी बांड स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि यह योजना भ्रष्टाचार को वैध बनाती है. सीपीआई (एम) ने अन्य याचिकाकर्ताओं के साथ चुनावी बांड योजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. यह संतुष्टि की बात है कि योजना के खिलाफ याचिका में दिए गए मुख्य तर्कों को बरकरार रखा गया है. पार्टी की ओर से कहा गया है कि अब यह जरूरी है कि पारदर्शिता, स्वच्छ फंडिंग और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक और चुनावी फंडिंग के लिए सुधार पेश किए जाएं.

इसी विचार को दोहराते हुए, पूर्व सांसद और सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य, हन्नान मोल्लाह ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र से चुनावी भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकेगा. उन्होंने कहा कि हालांकि यह निश्चित नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त बना देगा या नहीं, फिर भी, यह भ्रष्टाचार के प्रमुख स्रोतों में से एक था. यह भ्रष्टाचार को रोकने में सक्षम होगा.

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि उनकी पार्टी लंबे समय से प्रतीक्षित फैसले का स्वागत करती है जो नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा. खेड़ा ने कहा कि भाजपा सरकार की ओर से कॉरपोरेट से फंडिंग हासिल करने के लिए शुरू की गई नीति को खत्म करना बेहद स्वागत योग्य है.

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Last Updated : Feb 15, 2024, 2:31 PM IST
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