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400 आत्माओं की अस्थियों का वारिस रतलाम का सुरेश, हरिद्वार हर की पौड़ी पर दिलाएगा मोक्ष - Haridwar Unclaimed Asthi Visarjan

मध्य प्रदेश के रतलाम के रहने वाले शख्स सुरेश तंवर लावारिश शवों के लिए मसीहा बने हुए हैं. सुरेश तंवर लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराते हैं और उनकी अस्थियां पवित्र नदियों में प्रवाहित करते हैं. सुरेश पिछले 28 सालों से अब तक 2800 अनजान लोगों का अस्थि विसर्जन कर चुके हैं. अपने बड़े भाई के लापता हो जाने की घटना ने उन्हें अस्थि विसर्जन के लिए प्रेरित किया.

Suresh Tanwar Asthi Visarjan
लावारिश लोगों की अस्थियों का विसर्जन (ETV Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 26, 2024, 9:57 PM IST

Updated : Sep 27, 2024, 11:25 AM IST

रतलाम: रतलाम में एक अनोखा आयोजन इन दिनों में जवाहर नगर मुक्तिधाम परिसर में हो रहा है. यहां 400 मृत आत्माओं के मोक्ष के लिए भगवत गीता पाठ के साथ 400 कलश में रखी अस्तियों का विसर्जन हरिद्वार में पवित्र गंगा नदी में किया जाएगा. लावारिस और अनजान लोगों की अस्थियों को विधि विधान के साथ पवित्र नदियों में विसर्जित करते आ रहे सुरेश सिंह तंवर यह कार्य पिछले 28 सालों से निरंतर कर रहे हैं. इसके पीछे दो भाइयों के बीच के जुड़ाव और स्नेह की कहानी है.

भाई हुआ लापता, अस्थियां विसर्जित करने लगा शख्स
सुरेश सिंह 28 साल पहले लापता हो गए अपने बड़े भाई सोहन सिंह की खैरियत और मानसिक शांति के लिए अनजान लोगों के मोक्ष का माध्यम बन रहे हैं. इस पुनीत कार्य के लिए अब उन्हें जन सहयोग भी मिल रहा है. इस वर्ष 400 से अधिक अस्थि कलश को हरिद्वार ले जाकर उनका विसर्जन और तर्पण विधि अनुसार किया जा रहा है. दरअसल इस अनोखी मुहिम की शुरुआत 28 साल पहले सुरेश सिंह तंवर ने की थी. उन्हीं दिनों उनके बड़े भाई सोहन सिंह अचानक घर से लापता हो गए थे. इसके बाद बड़े भाई को लेकर सुरेश सिंह चिंतित रहने लगे. हर समय उन्हें भाई किस हाल में होंगे वह जीवित है भी या नहीं जैसे ख्याल परेशान करते थे.

सुरेश तंवर ने कायम की इंसानियत की मिसाल (ETV Bharat)

सुरेश को मिल रहा आमजन का सहयोग
बड़े भाई की खैरियत और मानसिक शांति के लिए सुरेश तंवर ने जवाहर नगर मुक्तिधाम में आने वाले ऐसे मृतक लोगों की अस्थियां विसर्जित करने का निर्णय लिया. जिनके परिवार का कोई अता-पता नहीं होता था या उनके परिजन अस्थियां लेने नहीं आते थे. 28 साल पहले शुरू हुआ या सिलसिला अब तक लगातार जारी है. इस पवित्र मुहिम का फल भी उन्हें मिला और 24 साल के बाद उनके भाई सोहन सिंह सकुशल वापस घर लौट आए. हालांकि कोरोना काल के बाद उनकी मृत्यु हो गई. लेकिन सुरेश सिंह को अब समाज के अन्य लोगों का भी सहयोग मिलने लगा है.

Suresh Tanwar Asthi Visarjan
अब तक 2800 की अस्थियों का विसर्जन कर चुके सुरेश (ETV Bharat)

हरिद्वार में गंगा नदी में 400 अस्थियां की जाएंगी विसर्जित
इस बार जन सहयोग से 400 अस्थि कलश को हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित किया जाएगा. इसके पूर्व श्राद्ध पक्ष में यहां भागवत कथा पाठ का आयोजन भी किया जा रहा है. सुरेश सिंह ने बताया कि, ''पूरे विधि विधान के साथ इन सभी अनजान मृत आत्माओं का तर्पण किया जाएगा. विसर्जन के पूर्व अस्थि कलश यात्रा भी निकली जाएगी.''

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अब तक 2800 अनजान लोगों का अस्थि विसर्जन
सुरेश सिंह और उनके साथियों ने मिलकर बीते 28 सालों में 2800 से अधिक अमृत व्यक्तियों की अस्थियों को मां गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में विसर्जित किया है. सुरेश सिंह के अनुसार, ''कई बीमार लाचार और लावारिस लोगों के शो की अंत्येष्टि यहां होती है. जिनकी अस्थियां यहीं पर पड़ी रहती थीं. लेकिन अब समाजसेवियों की मदद से इन अस्थियों को पवित्र नदियों में विसर्जित किया जा रहा है.'' बहरहाल कोरोना काल में कई लोगों के अपने परिजन भी अस्थि लेने के लिए वापस लौटकर नहीं आए. लेकिन रतलाम में समाज सेवा का कार्य कर रहे यह लोग अनजान लोगों के तर्पण और अस्थि विसर्जन का पुनीत कार्य कर रहे हैं.

रतलाम: रतलाम में एक अनोखा आयोजन इन दिनों में जवाहर नगर मुक्तिधाम परिसर में हो रहा है. यहां 400 मृत आत्माओं के मोक्ष के लिए भगवत गीता पाठ के साथ 400 कलश में रखी अस्तियों का विसर्जन हरिद्वार में पवित्र गंगा नदी में किया जाएगा. लावारिस और अनजान लोगों की अस्थियों को विधि विधान के साथ पवित्र नदियों में विसर्जित करते आ रहे सुरेश सिंह तंवर यह कार्य पिछले 28 सालों से निरंतर कर रहे हैं. इसके पीछे दो भाइयों के बीच के जुड़ाव और स्नेह की कहानी है.

भाई हुआ लापता, अस्थियां विसर्जित करने लगा शख्स
सुरेश सिंह 28 साल पहले लापता हो गए अपने बड़े भाई सोहन सिंह की खैरियत और मानसिक शांति के लिए अनजान लोगों के मोक्ष का माध्यम बन रहे हैं. इस पुनीत कार्य के लिए अब उन्हें जन सहयोग भी मिल रहा है. इस वर्ष 400 से अधिक अस्थि कलश को हरिद्वार ले जाकर उनका विसर्जन और तर्पण विधि अनुसार किया जा रहा है. दरअसल इस अनोखी मुहिम की शुरुआत 28 साल पहले सुरेश सिंह तंवर ने की थी. उन्हीं दिनों उनके बड़े भाई सोहन सिंह अचानक घर से लापता हो गए थे. इसके बाद बड़े भाई को लेकर सुरेश सिंह चिंतित रहने लगे. हर समय उन्हें भाई किस हाल में होंगे वह जीवित है भी या नहीं जैसे ख्याल परेशान करते थे.

सुरेश तंवर ने कायम की इंसानियत की मिसाल (ETV Bharat)

सुरेश को मिल रहा आमजन का सहयोग
बड़े भाई की खैरियत और मानसिक शांति के लिए सुरेश तंवर ने जवाहर नगर मुक्तिधाम में आने वाले ऐसे मृतक लोगों की अस्थियां विसर्जित करने का निर्णय लिया. जिनके परिवार का कोई अता-पता नहीं होता था या उनके परिजन अस्थियां लेने नहीं आते थे. 28 साल पहले शुरू हुआ या सिलसिला अब तक लगातार जारी है. इस पवित्र मुहिम का फल भी उन्हें मिला और 24 साल के बाद उनके भाई सोहन सिंह सकुशल वापस घर लौट आए. हालांकि कोरोना काल के बाद उनकी मृत्यु हो गई. लेकिन सुरेश सिंह को अब समाज के अन्य लोगों का भी सहयोग मिलने लगा है.

Suresh Tanwar Asthi Visarjan
अब तक 2800 की अस्थियों का विसर्जन कर चुके सुरेश (ETV Bharat)

हरिद्वार में गंगा नदी में 400 अस्थियां की जाएंगी विसर्जित
इस बार जन सहयोग से 400 अस्थि कलश को हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित किया जाएगा. इसके पूर्व श्राद्ध पक्ष में यहां भागवत कथा पाठ का आयोजन भी किया जा रहा है. सुरेश सिंह ने बताया कि, ''पूरे विधि विधान के साथ इन सभी अनजान मृत आत्माओं का तर्पण किया जाएगा. विसर्जन के पूर्व अस्थि कलश यात्रा भी निकली जाएगी.''

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अब तक 2800 अनजान लोगों का अस्थि विसर्जन
सुरेश सिंह और उनके साथियों ने मिलकर बीते 28 सालों में 2800 से अधिक अमृत व्यक्तियों की अस्थियों को मां गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में विसर्जित किया है. सुरेश सिंह के अनुसार, ''कई बीमार लाचार और लावारिस लोगों के शो की अंत्येष्टि यहां होती है. जिनकी अस्थियां यहीं पर पड़ी रहती थीं. लेकिन अब समाजसेवियों की मदद से इन अस्थियों को पवित्र नदियों में विसर्जित किया जा रहा है.'' बहरहाल कोरोना काल में कई लोगों के अपने परिजन भी अस्थि लेने के लिए वापस लौटकर नहीं आए. लेकिन रतलाम में समाज सेवा का कार्य कर रहे यह लोग अनजान लोगों के तर्पण और अस्थि विसर्जन का पुनीत कार्य कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 27, 2024, 11:25 AM IST
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