रतलाम। एमपी की रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के तीन कैबिनेट मंत्रियों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है. कांग्रेस और भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर टक्कर कांटे की बताई जा रही है. ऐसे में मध्य प्रदेश कैबिनेट के तीन नए नवेले मंत्रियों की साख दांव पर लगी हुई है. कांग्रेस के दबदबे वाली रही इस सीट को जीतने की रणनीति के तहत ही संसदीय क्षेत्र में आने वाले रतलाम, झाबुआ और अलीराजपुर जिले से एक-एक विधायक को मंत्री बनाया गया था. वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता नागर सिंह चौहान को यहां से भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है. वन मंत्री नागर सिंह के साथ महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया और एमएसएमई मंत्री चेतन्य काश्यप की प्रतिष्ठा दांव पर है.
इन मंत्रियों के लिए पहली चुनौती मतदान प्रतिशत बढ़ाने की है. इसके बारे में अमित शाह पहले ही मध्य प्रदेश के मंत्रियों और विधायकों को चेतावनी दे चुके हैं. वहीं, इन मंत्रियों को अपने-अपने क्षेत्र में विधानसभा चुनाव में मिली लीड को बरकरार रखने की कठिन चुनौती भी है. झाबुआ लोकसभा सीट का नतीजा ही इन मंत्रियों का आगे का भविष्य तय करेगा.
कांतिलाल भूरिया और अनिता चौहान के बीच टक्कर
रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर एक उपचुनाव सहित कुल 18 चुनाव हुए हैं. जिसमें से बीजेपी केवल 3 बार ही यहां जीत दर्ज कर सकी है. 2014 में भाजपा के दिलीप सिंह भूरिया यहां से चुनाव जीते थे. दिलीप सिंह भूरिया की मृत्यु के पश्चात हुए उपचुनाव में 2015 कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने चुनाव जीता था, लेकिन 2019 में एक बार फिर भाजपा के गुमान सिंह डामोर को यहां 90 हजार वोट से जीत मिली थी. इस बार फिर कांग्रेस की तरफ से कांतिलाल भूरिया चुनाव मैदान में हैं. भाजपा ने वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता चौहान को उम्मीदवार बनाया है.
पति नागर सिंह चौहान पर पत्नी को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी
अलीराजपुर जिले में नागर सिंह चौहान की साख दांव पर लगी है. नागर सिंह चौहान के सामने पत्नी अनीता चौहान को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी है. वहीं, जिले की जोबट विधानसभा सीट पर कांग्रेस की करीब 38 हजार वोट की लीड कम करवाने की अहम जिम्मेदारी है. भीषण गर्मी, आदिवासियों के पलायन के चलते मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कठिन चुनौती भी है.
मंत्री निर्मला भूरिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर
इसके बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया पर भी झाबुआ जिले की थांदला, झाबुआ और पेटलावद विधानसभा सीटों पर भाजपा को लीड दिलवाने की जिम्मेदारी है. झाबुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस को 15 हजार वोट से जीत मिली थी. थांदला विधानसभा सीट पर कांग्रेस को 1300 वोट से जीत मिली थी. निर्मला भूरिया के लिए खुद के विधानसभा क्षेत्र की लीड बरकरार रखने के अलावा कांग्रेस के कब्जे वाले झाबुआ और थांदला विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का प्रदर्शन सुधारने और लीड दिलवाने की चुनौती है.
मंत्री चेतन्य कश्यप के लिए भी साख का सवाल
रतलाम जिले से एमएसएमई मंत्री चैतन्य काश्यप मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. रतलाम जिले की तीन विधानसभा क्षेत्र में रतलाम ग्रामीण और रतलाम शहर पर भाजपा का कब्जा है, जबकि सैलाना में बाप (भारतीय आदिवासी पार्टी) पार्टी के उम्मीदवार को जीत मिली थी. यहां वोटों के मामले में भाजपा तीसरे नंबर पर है. एमएसएमई मंत्री चेतन्य कश्यप के सामने सैलाना क्षेत्र में पार्टी को लीड दिलवाने के साथ मतदान प्रतिशत भी बेहतर करवाने की चुनौती है. वहीं, भाजपा की सबसे बड़ी उम्मीद रतलाम शहर विधानसभा सीट पर विधानसभा चुनाव के दौरान मिली 60 हजार वोटों की लीड को बरकरार रखना भी चेतन्य काश्यप के लिए साख का सवाल बना हुआ है.
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एड़ी चोटी का जोर लगा रहे तीनों मंत्री
लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मालवा-निमाड़ की 8 सीटों पर चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच रहा है. दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत यहां झोंक दी है. मालवा निमाड़ की इन 8 सीटों में सबसे ज्यादा कांटे की टक्कर रतलाम झाबुआ लोकसभा सीट पर ही है. कांग्रेस से कांटे की टक्कर वाली इस सीट पर जीत के लिए वन मंत्री नागर सिंह चौहान, महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया और एमएसएमई मंत्री चेतन्य काश्यप को मंत्री बनाया गया था. अब इन तीनों कैबिनेट मंत्रियों के लिए अपने अपने क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाना और विधानसभा चुनाव में मिली लीड को बरकरार रखना नाक का सवाल बन गया है. बता दें रतलाम-झाबुआ सीट से कांग्रेस ने कद्दावर नेता कांतिलाला भूरिया को प्रत्याशी बनाया है. इस सीट पर आने वाला नतीजा ही तीनों कैबिनेट मंत्रियों का भविष्य भी तय करेगा.