रामनगर (उत्तराखंड): विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क के लैंडस्केप में 15 साल बाद दुर्लभ प्रजाति का सालाजार पिट वाइपर सांप (Salazar Pit Viper Snake) मिला है. यह काफी जहरीला और दुर्लभ प्रजाति का सांप है. जिसे प्रसिद्ध शेव द स्नेक सोसाइटी के अध्यक्ष चंद्रसेन कश्यप ने कॉर्बेट लैंडस्केप से लगते आबादी वाले क्षेत्र से रेस्क्यू किया है. वहीं, कॉर्बेट क्षेत्र में इस सांप की मौजूदगी देख कॉर्बेट पार्क प्रशासन गदगद नजर आ रहा है.
कॉर्बेट पार्क में मिला दुर्लभ प्रजाति का सांप सालाजर पिट वाइपर: बता दें कि उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जंगल और जैव विविधता के लिए देश-दुनिया में विख्यात है. जहां कई प्रकार के वन्यजीवों के साथ ही जीव जंतु और पक्षी की भरमार है. यहां सांपों की भी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें से कुछ ऐसी प्रजातियां हैं, जो लगातार दिखाई देती है. लेकिन कुछ प्रजातियां ऐसी हैं, जो दुर्लभ होती हैं और कभी कभार ही यानी कई सालों बाद नजर आती है. जिसमें एक दुर्लभ प्रजाति का सांप सालाजर पिट वाइपर शामिल है.
15 साल पहले भी दिखा था सालाजर पिट वाइपर सांप: गौर हो कि कॉर्बेट पार्क में यह सांप करीब 15 साल पहले दिखा था. यह दुर्लभ प्रजाति का सांप वाइपर प्रजाति के हरे रंग के सांपों के समान है, लेकिन इसका रंग हरे के साथ हल्का गोल्डन या पीला नजर आता है. यह सांप काफी दुर्लभ और ज्यादा विषैला होता है. जिसका रेस्क्यू नैनीताल जिले के रामनगर के सर्प विशेषज्ञ चंद्रसेन कश्यप ने किया है. यह सांप ग्रीन वाइपर श्रेणी में आता है.
काफी जहरीला होता है यह सांप: वैज्ञानिकों ने इस सांप का नाम 'हैरी पॉटर' मूवी के विलेन सालाजार स्लीथेरिन के नाम पर त्रिमरेसुरस सालाजार (Trimeresurus Salazar) रखा है. हरे रंग का ये सांप काफी जहरीला होता है, इसके जहर की एक बूंद इंसान को कुछ ही सेकंड में मौत की नींद सुला सकती है. जो हरे पिट वाइपर की एक प्रजाति है, जिसे पहली बार साल 2019 में भारत के अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी भाग के निचले इलाकों में खोजा गया था.
मानव गतिविधियों से सांप के आवास पर मंडराया खतरा: साल 2019 में इस क्षेत्र में खोजी जाने वाली पांचवीं नई सरीसृप प्रजाति थी. इसका सिर गहरा हरा और शरीर के बाकी हिस्से पर पीले हरे रंग की पृष्ठीय शल्कें होती हैं. यह प्रजाति लैंगिक रूप से द्विवर्णी होती है. नर में लाल-नारंगी और पीली-नारंगी धारियां होती है. जबकि, एक जंग लगी लाल-नारंगी पूंछ होती है, जो मादाओं में नहीं होती है. इस सांप के आवास पर भी मानव विकास की गतिविधियों से खतरा पैदा हो गया है.
क्या बोले सीटीआर के डायरेक्टर धीरज पांडे? वहीं, कॉर्बेट नेशनल पार्क के डायरेक्टर धीरज पांडे कहते हैं कि इसका दिखना अच्छा संकेत है. सालाजार पिट वाइपर सांप पहले से ही कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में डॉक्यूमेंट है. जिसे टाइगर कंजर्वेशन प्लान में पहले ही डॉक्यूमेंट किया गया है. इसकी मौजूदगी कॉर्बेट पार्क के आसपास देखी गई है, जो अच्छे संकेत हैं. उनका कहना है कि इसकी ज्यादा फोटो या वीडियो नहीं है, काफी सीमित संख्या में इस क्षेत्र में इसकी फोटो उपलब्ध हैं.
सांप का नाम पिट क्यों है? सीटीआर के डायरेक्टर धीरज पांडे ने बताया कि इसका नाम पिट इसलिए रखा गया. क्योंकि, इसके मुंह के पास दो पिट्स बने होते हैं और उन पिट्स पर सेंसर ऑर्गन्स होते हैं. उन सेंसरी ऑर्गन्स के जरिए यूनिक तरीके से सेंस कर यह सांप शिकार करता है. उनका कहना है कि जैव विविधता के हिसाब यह काफी अच्छा संकेत है.
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