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बनारस से शुरू होगा राम पंथ, देश के अलग-अलग गांवों में बनेगा श्रीराम परिवार का मंदिर, किन्नर-दलित होंगे पुजारी - Varanasi Ram Panth - VARANASI RAM PANTH

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने भगवान राम के आदर्शों को लोगों तक पहुंचाने के लिए राम पंथ योजना की शुरुआत की है. पूरे देश में श्रीराम परिवार का मंदिर बनाया जाएगा.

VARANASI RAM PANT
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 31, 2024, 10:03 AM IST

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वाराणसी : मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बनारस में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने एक नई शुरुआत की है. यह नई शुरुआत राम पंथ की है. इसके तहत 'श्रीराम परिवार मंदिर' की स्थापना की जा रही है. इस मंदिर में मुख्य पुजारी दलित और किन्नर होंगी. यही नहीं राम पंथ योजना के तहत देश के अलग-अलग गांव में भी इस मंदिर को बनाया जाएगा. इसके साथ ही विदेशों में इस मंदिर की स्थापना कर एक आदर्श परिवार का उदाहरण प्रस्तुत किया जाएगा. इन मंदिरों में पुजारी बनने के लिए किसी खास डिग्री की नहीं बल्कि राम नाम की दीक्षा की जरूरत होगी.

भारत में एक संयुक्त परिवार, एक आदर्श परिवार और एक आज्ञाकारी परिवार की अगर बात होगी तो उसमें सबसे पहला नाम भगवान राम के परिवार का आता है. भगवान राम का परिवार एक ऐसे परिवार का उदाहरण है जहां पर न कोई द्वेष भाव की जगह रही और न ही माता-पिता की अवहेलना की. न ही भाई-भाई के विवाद की कोई जगह रही.

ऐसे में पूरे विश्व को आदर्श परिवार की सीख देने के लिए श्रीराम का परिवार श्रेष्ठ साबित होता है. इसी संदेश को लेकर बीएचयू में इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने राम पंथ की शुरुआत की है. इसके तहत 'श्रीराम परिवार मंदिर' की स्थापना की जा रही है.

गांव-गांव में मंदिर की होगी स्थापना : बीएचयू में इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि टूटते संयुक्त परिवार को बचाने के लिए श्रीराम परिवार मंदिर की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है. देश ही नहीं दुनियाभर में भगवान राम के परिवार से बड़ा आदर्श दूसरा कोई नहीं है. जाति, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर मंदिर को तैयार किए जाने का प्रयास किया जा रहा है. यूरोपीय देशों में भी मंदिर स्थापित करने की हमारी कार्ययोजना है. उन्होंने बताया कि देश के गांव-गांव में श्रीराम मंदिर परिवार का मंदिर स्थापित होगा. इस मंदिर में दर्शन के लिए किसी भी प्रकार की जाति या धर्म की रोक-टोक नहीं होगी.

आदिवासी, दलित, महिला व किन्नर बनेंगे पुजारी : उन्होंने बताया कि श्रीराम परिवार मंदिर का मुख्यालय श्रीराम संबंध मंदिर बनारस के लमही में बन रहा है. मंदिर में आदिवासी, दलित, महिला व किन्नर पुजारी होंगे. इसके साथ ही मंदिर में पुजारी बनने के लिए इन्हें किसी खास डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी. बल्कि भगवान राम के दर्शन करने के साथ ही उनके नाम की दीक्षा लेनी होगी. श्रीराम परिवार मंदिर संयुक्त परिवार का एक श्रेष्ठ उदाहरण बनकर पूरे विश्व का मार्गदर्शन करेगा. इसके साथ ही देश के सांस्कृतिक मूल्यों को विदेशों में भी स्थापित करने का कार्य करेगा. इन मंदिरों में रामचरितमानस को केंद्र में रखकर राम नाम जप से ही पूजा, पाठ और अनुष्ठान होंगे.

पुजारियों को दी जाएगी राम नाम की दीक्षा : प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि रामनवमी पर 17 अप्रैल को पुजारियों को राम नाम की दीक्षा दी जाएगी. उन्होंने बताया कि श्रीराम परिवार मंदिर में भगवान राम-सीता, लक्ष्मण-उर्मिला, भरत-मांडवी और शत्रुघ्न-श्रुतिकीर्ति की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इनके साथ ही भगवान हनुमान भी विराजमान रहेंगे. इनके साथ ही भगवान राम की सहायता करने वाले सभी पात्रों की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी. पहले चरण में पूर्वी यूपी और मध्य प्रदेश के 1100 दलित, आदिवासी, किन्नर और महिलाओं को पुजारियों के रूप में दीक्षित किया जाएगा. इन सभी की नियुक्ति देश भर में बनने वाले मंदिरों में की जाएगी. मंदिर की स्थापना पहले चरण में सोनभद्र, बनारस, जौनपुर और अमेरिका के कंसास में होगी.

यह भी पढ़ें : पीएम मोदी के हर घर सोलर योजना को साकार कर रहा बनारस, यूपी में सोलर प्रोजेक्ट में बना नंबर वन

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वाराणसी : मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए बनारस में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने एक नई शुरुआत की है. यह नई शुरुआत राम पंथ की है. इसके तहत 'श्रीराम परिवार मंदिर' की स्थापना की जा रही है. इस मंदिर में मुख्य पुजारी दलित और किन्नर होंगी. यही नहीं राम पंथ योजना के तहत देश के अलग-अलग गांव में भी इस मंदिर को बनाया जाएगा. इसके साथ ही विदेशों में इस मंदिर की स्थापना कर एक आदर्श परिवार का उदाहरण प्रस्तुत किया जाएगा. इन मंदिरों में पुजारी बनने के लिए किसी खास डिग्री की नहीं बल्कि राम नाम की दीक्षा की जरूरत होगी.

भारत में एक संयुक्त परिवार, एक आदर्श परिवार और एक आज्ञाकारी परिवार की अगर बात होगी तो उसमें सबसे पहला नाम भगवान राम के परिवार का आता है. भगवान राम का परिवार एक ऐसे परिवार का उदाहरण है जहां पर न कोई द्वेष भाव की जगह रही और न ही माता-पिता की अवहेलना की. न ही भाई-भाई के विवाद की कोई जगह रही.

ऐसे में पूरे विश्व को आदर्श परिवार की सीख देने के लिए श्रीराम का परिवार श्रेष्ठ साबित होता है. इसी संदेश को लेकर बीएचयू में इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने राम पंथ की शुरुआत की है. इसके तहत 'श्रीराम परिवार मंदिर' की स्थापना की जा रही है.

गांव-गांव में मंदिर की होगी स्थापना : बीएचयू में इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि टूटते संयुक्त परिवार को बचाने के लिए श्रीराम परिवार मंदिर की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है. देश ही नहीं दुनियाभर में भगवान राम के परिवार से बड़ा आदर्श दूसरा कोई नहीं है. जाति, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर मंदिर को तैयार किए जाने का प्रयास किया जा रहा है. यूरोपीय देशों में भी मंदिर स्थापित करने की हमारी कार्ययोजना है. उन्होंने बताया कि देश के गांव-गांव में श्रीराम मंदिर परिवार का मंदिर स्थापित होगा. इस मंदिर में दर्शन के लिए किसी भी प्रकार की जाति या धर्म की रोक-टोक नहीं होगी.

आदिवासी, दलित, महिला व किन्नर बनेंगे पुजारी : उन्होंने बताया कि श्रीराम परिवार मंदिर का मुख्यालय श्रीराम संबंध मंदिर बनारस के लमही में बन रहा है. मंदिर में आदिवासी, दलित, महिला व किन्नर पुजारी होंगे. इसके साथ ही मंदिर में पुजारी बनने के लिए इन्हें किसी खास डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी. बल्कि भगवान राम के दर्शन करने के साथ ही उनके नाम की दीक्षा लेनी होगी. श्रीराम परिवार मंदिर संयुक्त परिवार का एक श्रेष्ठ उदाहरण बनकर पूरे विश्व का मार्गदर्शन करेगा. इसके साथ ही देश के सांस्कृतिक मूल्यों को विदेशों में भी स्थापित करने का कार्य करेगा. इन मंदिरों में रामचरितमानस को केंद्र में रखकर राम नाम जप से ही पूजा, पाठ और अनुष्ठान होंगे.

पुजारियों को दी जाएगी राम नाम की दीक्षा : प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि रामनवमी पर 17 अप्रैल को पुजारियों को राम नाम की दीक्षा दी जाएगी. उन्होंने बताया कि श्रीराम परिवार मंदिर में भगवान राम-सीता, लक्ष्मण-उर्मिला, भरत-मांडवी और शत्रुघ्न-श्रुतिकीर्ति की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इनके साथ ही भगवान हनुमान भी विराजमान रहेंगे. इनके साथ ही भगवान राम की सहायता करने वाले सभी पात्रों की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी. पहले चरण में पूर्वी यूपी और मध्य प्रदेश के 1100 दलित, आदिवासी, किन्नर और महिलाओं को पुजारियों के रूप में दीक्षित किया जाएगा. इन सभी की नियुक्ति देश भर में बनने वाले मंदिरों में की जाएगी. मंदिर की स्थापना पहले चरण में सोनभद्र, बनारस, जौनपुर और अमेरिका के कंसास में होगी.

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