वाराणसी: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी. प्राण प्रतिष्ठा के लिए आकाशमंडल में ग्रह गोचर भी उत्साहित प्रतीत हो रहे हैं. तिथि विशेष पर ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग बना रहा है, जो त्रेता युग में बना था. अद्भुत संयोग से युक्त तिथि में ग्रहों की चाल प्रतिष्ठान में पूर्ण रूप से दोषमुक्त रखेगी.
तिथि की विशेषता के बारे में ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया कि 500 वर्षों के बाद एक बार पुन: भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ समय 22 जनवरी, तदनुसार, संवत 2080, पौष मास, शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि सोमवार को होना सुनिश्चित है. यह शुभ योग मध्याह्न 12 बजकर 29 मिनट 08 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड अर्थात 84 सेकेंड का है. ऐसा शुभ मुहूर्त सैकड़ों वर्षों बाद देखने को मिला है. जिस प्रकार त्रेता युग भगवान राम के जन्म के समय नौ ग्रहों में से पांच ग्रह अपने-अपने उच्च स्थान पर थे, उसी प्रकार रामलला प्राण प्रतिष्ठा काल 22 जनवरी को भी 84 सेकेंड के शुभ मुहूर्त में बन रहा है.
पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि क्षितिज पर ग्रहों की उछाल की स्थिति है. 22 जनवरी को प्रतिष्ठान मुहूर्त के समय क्षितिज पर मेष लग्न, मिथुन राशि तथा मृगशिरा नक्षत्र पर देवग्रह चंद्रमा का संचरण होता रहेगा. वहीं, आनंदादि योग में आनंद योग की उपस्थिति तथा ब्रह्म योग का संधि काल चारों चांद लगाने वाला होगा. इन दोनों बड़े योग के साथ ही और भी कई शुभ योग का साथ रहेगा. इनमें सर्वार्थ अमृत सिद्ध योग, त्रिपुष्कर योग, सर्वार्थ योग, रवि योग और भगवान भाष्कर के उत्तरायण काल में तैतीस कोटि देवताओं का दिन जो भगवान श्रीरामलला के प्रतिष्ठान मुहूर्त की अगुवानी करेंगे.
समस्त विघ्नों से दूर यह तिथि
ज्योतिषशास्त्र में दोष उत्पन्न करने वाले पंचबाण भी भगवान राम मंदिर के प्रतिष्ठापन में दूर रहेंगे. इसमें रोग बाण, मृत्यु बाण, चोर बाण, राज बाण और अग्नि बाण हैं. वहीं, प्रतिष्ठापन की कुंडली का अध्ययन करने पर मेष लग्न में देवगुरु बृहस्पति विराजमान हैं. ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है 'किं कुरवंती ग्रहा सर्वा यस्य केंद्रे बृहस्पति' अर्थात प्रतिष्ठापन के समय लग्न भाव में बृहस्पति का संचरण सभी तरह के विघ्नों को दूर कर पूर्णता को प्राप्त कराने वाला होगा.
सूर्य देगा बल
ग्रहराज सूर्य दशम भाव में शनि के घर में विराजमान होंगे. निश्चित रूप से इससे सनातन धर्म की चारों तरफ अर्थात विश्व पटल पर जय-जयकार कराने वाले सूर्यदेव होंगे. इसके अलावा लग्नेश मंगल, भाग्य स्थान और भाग्येश बृहस्पति लग्न में अर्थात स्थान परिवर्तन महायोग भी व्याप्त रहेगा. क्षितिज पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को मजबूती प्रदान करने वाला होगा.
कुंडली में विशेष योग
राम मंदिर प्रतिष्ठान की कुंडली में लग्न में बृहस्पति, दशम भाव में सूर्य, आय भाव में शनि, नवम भाव में मंगल, शुक्र एवं बुध की युति, पराक्रम में चंद्रमा का बैठना अपने आप में दुर्लभ योग है. यह योग देश सहित विश्व पटल पर राम मंदिर के ओज को बढ़ाने वाला होगा. सनातनियों के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम का यह मंदिर भारत को विश्व गुरु एवं रामराज्य लाने वाला होगा.
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