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रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा एक साहसी कार्य, ईश्वर के आशीर्वाद से हुआ : भागवत

RSS chief Mohan Bhagwat :आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा साहसिक कार्य बताया. उन्होंने कहा कि यदि किसी वजह से भारत समर्थ नहीं बना या खड़ा नहीं हुआ तो दुनिया को जल्द ही विनाश का सामना करना पड़ेगा.

RSS chief Mohan Bhagwat
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
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By PTI

Published : Feb 5, 2024, 6:45 PM IST

पुणे : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने 22 जनवरी को अयोध्या मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को सोमवार को एक साहसी कार्य बताया, जो ईश्वर के आशीर्वाद और इच्छा से हुआ है. महाराष्ट्र के पुणे जिले के आलंदी में गीता भक्ति अमृत महोत्सव में भागवत ने यह भी कहा कि भारत को अपने कर्तव्य के लिए उठना होगा और यदि किसी भी कारण से यह समर्थ (सक्षम) नहीं बन पाया, तो दुनिया को बहुत जल्द विनाश का सामना करना पड़ेगा.

उन्होंने कहा, '22 जनवरी को रामलला का आगमन हुआ' और यह काफी संघर्ष के बाद एक साहसी काम था. उन्होंने कहा, 'वर्तमान पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि उसने रामलला को उनके स्थान पर देखा है. यह वास्तव में हुआ, सिर्फ इसलिए नहीं हुआ कि सभी ने इसके लिए काम किया, बल्कि यह ईश्वर के आशीर्वाद और इच्छा के कारण हुआ.' भागवत ने यह भी कहा कि समारोह के दौरान उपस्थित रहना उनका सौभाग्य है. उन्होंने कहा कि भारतवर्ष को ऊपर उठना होगा क्योंकि दुनिया को इसकी जरूरत है.

उन्होंने कहा, 'यदि किसी भी कारण से भारत समर्थ नहीं बना या खड़ा नहीं हुआ तो दुनिया को जल्द ही विनाश का सामना करना पड़ेगा. इस तरह की स्थिति बनी हुई है. दुनिया भर के बुद्धिजीवी इस बात को जानते हैं. वे इस पर कह और लिख रहे हैं.' भागवत ने कहा कि भारत को अपना कर्तव्य निभाने के लिए खड़ा होना होगा.

ये भी पढ़ें - दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव में संघ प्रमुख मोहन भागवत, विश्व कल्याण के गिनाये पांच सूत्र, सनातन को बताया सर्वोपरी

पुणे : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने 22 जनवरी को अयोध्या मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को सोमवार को एक साहसी कार्य बताया, जो ईश्वर के आशीर्वाद और इच्छा से हुआ है. महाराष्ट्र के पुणे जिले के आलंदी में गीता भक्ति अमृत महोत्सव में भागवत ने यह भी कहा कि भारत को अपने कर्तव्य के लिए उठना होगा और यदि किसी भी कारण से यह समर्थ (सक्षम) नहीं बन पाया, तो दुनिया को बहुत जल्द विनाश का सामना करना पड़ेगा.

उन्होंने कहा, '22 जनवरी को रामलला का आगमन हुआ' और यह काफी संघर्ष के बाद एक साहसी काम था. उन्होंने कहा, 'वर्तमान पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि उसने रामलला को उनके स्थान पर देखा है. यह वास्तव में हुआ, सिर्फ इसलिए नहीं हुआ कि सभी ने इसके लिए काम किया, बल्कि यह ईश्वर के आशीर्वाद और इच्छा के कारण हुआ.' भागवत ने यह भी कहा कि समारोह के दौरान उपस्थित रहना उनका सौभाग्य है. उन्होंने कहा कि भारतवर्ष को ऊपर उठना होगा क्योंकि दुनिया को इसकी जरूरत है.

उन्होंने कहा, 'यदि किसी भी कारण से भारत समर्थ नहीं बना या खड़ा नहीं हुआ तो दुनिया को जल्द ही विनाश का सामना करना पड़ेगा. इस तरह की स्थिति बनी हुई है. दुनिया भर के बुद्धिजीवी इस बात को जानते हैं. वे इस पर कह और लिख रहे हैं.' भागवत ने कहा कि भारत को अपना कर्तव्य निभाने के लिए खड़ा होना होगा.

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