राजकोट: गुजरात के राजकोट का टीआरपी गेम जोन अग्निकांड इन दिनों सुर्खियों में है. 25 मई को लगी इस आग में 32 लोगों की मौत हो चुकी है. इस भयंकर अग्निकांड में शव बुरी तरह से जल गए थे, जिसकी वजह से उनकी शिनाख्त करने में कई मुश्किलें खड़ी हो रही हैं. ऐसे में राज्य सरकार शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट का सहारा ले रही है. फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) की मदद से डीएनए परीक्षण करने के बाद, मृतकों की पहचान करके परिजनों को डेड बॉडी सौंपी जा रही है. जानकारी के मुताबिक, एफएसएल ने गेमिंग जोन में मरने वाले 1 पुरुष और तीन महिलाओं के डीएनए मैच किए हैं.
राजकोट गेम जोन अग्निकांड पुलिस ने चौथे आरोपी को राजस्थान से पकड़ा
पुलिस ने टीआरपी गेम जोन हादसे में फरार चल रहे एक और आरोपी को राजस्थान के सिरोही जिले के आबू रोड से गिरफ्तार कर लिया. इस प्रकार अब तक मामले में चार आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. पुलिस ने घटना में सात लोगों पर केस दर्ज किया है. गुजरात पुलिस को सूचना मिली थी कि हादसे से जुड़ा आरोपी राजस्थान में हो सकता है. सोमवार रात करीब आठ बजे पालनपुर (गुजरात) की लोकल क्राइम ब्रांच (एलसीबी) की टीम ने आबूरोड शहर पुलिस की मदद से सदर बाजार स्थित कपड़े की एक दुकान पर दबिश दी और यहां से आरोपी धवलभाई पुत्र भरतभाई ठक्कर को हिरासत में लिया. उसे सिटी थाने लाया गया और यहां से पालनपुर क्राइम ब्रांच की टीम उसे लेकर राजकोट रवाना हो गई.
राजकोट में अवैध रूप से चल रहा था गेम जोन
गौरतलब है कि, राजकोट में अवैध रूप से संचालित गेम जोन में लगी भीषण आग से कई बच्चों समेत 32 लोगों की मौत हो गई . हादसे में घायल कई लोग अब भी अस्पताल में जीवन व मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं. गुजरात पुलिस ने मामले में सात लोगों को आरोपी बनाया है. इनमें धवल ठक्कर, अशोक सिंह जडेजा, किरीट सिंह जडेजा, प्रकाशचंद हिरण, राहुल राठौड़, युवराज सिंह सोलंकी और मैनेजर नितिन जैन शामिल हैं.पुलिस से तीन आरोपियों युवराज, राहुल और नितिन जैन को हादसे के बाद गिरफ्तार कर लिया था. उन्हें सोमवार को कोर्ट पेश किया गया. कोर्ट ने 14 दिनों की पुलिस कस्टडी में भेज दिया. पुलिस को अन्य आरोपियों की तलाश है. पुलिस को आशंका है कि आरोपी गुजरात से सटे राजस्थान में जा सकते हैं. इसलिए दोनों राज्यों की बॉर्डर से लगते थानों में अलर्ट किया गया है.
गुजरात हाईकोर्ट ने नगर निगम को लगाई फटकार
गुजरात हाईकोर्ट ने भी मामले में संज्ञान लेते हुए राजकोर्ट नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई थी. कोर्ट ने इसके लिए निगम आयुक्त को जिम्मेदार बताते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है. कोर्ट ने कहा था कि तीन साल से भी अधिक समय से गेम जोन निगम के नाक के नीचे अवैध रूप संचालित हो रहा था, लेकिन निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसी प्रकार कोर्ट ने पुलिस को भी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि अवैध रूप से संचालित गेम जोन के बारे में पुलिस को क्यों जानकारी नहीं हुई, क्या सब सो रहे थे, या आंखें बंद कर रखी थी. गौरतलब है कि अवैध रूप से संचालित गेम जोन के पास फायर एनओसी भी नहीं था. वह गेम जोन के लिए तय कई मापदंडों को पूरा नहीं कर रहा था, लेकिन प्रशासन ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.
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