जयपुर. लोकसभा चुनाव में राजस्थान में बीजेपी के लक्ष्य पूरा नहीं होने के पीछे रणनीतिक हार को बड़ा कारण माना जा रहा है. टिकट वितरण में हुई चूक के पीछे राजस्थान के नेतृत्व के फीडबैक को अहम रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है. जिस तरह से टिकटों का बंटवारा हुआ, वह स्थानीय मुद्दों के साथ वोटर्स के जहन पर हावी हो गया. लिहाजा, बीजेपी मोदी के चेहरे का जादू राजस्थान की आवाम के जहन पर चलाने में नाकामयाब साबित हुई. बीजेपी को 25 सीटों में से महज 14 पर संतोष करना पड़ा और कांग्रेस ने गठबंधन के साथ बीजेपी की क्लीन स्वीप हैट्रिक को रोक दिया.
चेहरा बदलने का प्रयोग विफल : शेखावाटी के तीन जिलों में बीजेपी से दो बार के सांसद रहे राहुल कस्वां का टिकट कटने से जाट समाज में जो मैसेज गया, कांग्रेस ने उसे अच्छी तरीके से भुनाया. लिहाजा, चूरू के कारण जाटलैंड में नाराजगी फैल गई. इसके बाद झुंझुनू में शुभकरण चौधरी को टिकट मिलना भी मजबूत ओला परिवार के आगे बीजेपी के कमजोर फैसले के रूप में देखा गया. इसी तरह श्रीगंगानगर में प्रियंका बैलान पूर्व सांसद निहालचंद का विकल्प बनने में विफल रहीं.
स्थानीय एससी वोट यहां बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस के हक में चले गए. करौली-धौलपुर में भी दो बार के सांसद का टिकट काटा गया और इंदु देवी पर लगा दांव कांग्रेस के भजनलाल जाटव ने कमजोर साबित कर दिया. भरतपुर में भी ऐसे ही हालात रहे और रामस्वरूप कोली आसानी से हार गए. दौसा में आखिरी मौके पर टिकट वितरण पार्टी के अंदर के गतिरोध को थामने में नाकाम रहा. किरोड़ी लाल मीणा और पीएम मोदी का रोड शो भी इस नुकसान की भरपाई नहीं कर सका.
गठबंधन के खिलाफ कमजोर रही रणनीति : साल 2019 के लोकसभा चुनाव में नागौर संसदीय सीट पर भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ गठबंधन किया था. इस चुनाव में हनुमान बेनीवाल हाशिए पर रहे, तो बीजेपी को इसका खामियाजा जाट वोट बैंक की नाराजगी में उठाना पड़ा. इस सीट पर ज्योति मिर्धा को कांग्रेस से लाकर बीजेपी से चुनाव लड़ाने की रणनीति भी विफल साबित हुई.
ऐसा ही हाल वागड़ में हुआ, जहां कांग्रेस छोड़कर आए महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को शिकस्त का सामना करना पड़ा और बीटीपी के राजकुमार रोत एक तरफा चुनाव जीत गए. ऐसा ही हाल सीकर में दिखा, जहां कांग्रेस ने अहम फैसला लेते हुए माकपा से गठबंधन किया और अपना प्रत्याशी नहीं उतारा, जिसका फायदा इंडिया गठबंधन को मिलता हुआ नजर आया. यहां दो बार के सांसद सुमेधानंद ने पराजय का सामना किया.