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रायपुर दक्षिण सीट पर बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार के बड़े फैक्टर

उपचुनाव में बीजेपी को मिली जीत के पीछे पार्टी का दमदार चुनावी प्रबंधन रहा. प्रचार से लेकर मतदान तक के लिए पार्टी ने रणनीति बनाई.

RAIPUR SOUTH ASSEMBLY SEAT
हार जीत के बड़े फैक्टर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 23, 2024, 8:48 PM IST

रायपुर: रायपुर दक्षिण सीट पर कमल का जलवा बरकरार रहा. सुनील सोनी ने एकतरफा मुकाबले में कांग्रेस के आकाश शर्मा को करारी शिकस्त दी. आंकड़ों के मुताबिक जितने वोट से बीजेपी प्रत्याशी की जीत हुई उतने ही वोट कांग्रेस को मिले. बीजेपी का ये किला एक बार फिर अभेद किला पार्टी के लिए बना. नतीजों के बाद बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार पर चर्चाओं का दौर शुरु हो चुका है.

''बृजमोहन अग्रवाल ही चुनाव लड़ रहे हैं'': चुनाव से ठीक पहले बृजमोहन अग्रवाल ने कहा था कि इस सीट पर बृजमोहन अग्रवाल ही चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में आकाश शर्मा के सामने भाजपा के सुनील सोनी को नहीं देखा जा रहा था बल्कि कांग्रेस उम्मीदवार के सामने खुद बृजमोहन अग्रवाल खड़े वोटरों को नजर आए. उपचुनाव में जो एक चुनौती कांग्रेस की ओर से नजर आ रही थी वो चुनौती नतीजों में पूरी तरह से खत्म हो गई. बृजमोहन अग्रवाल का दबदबा साफ चुनाव में नजर आया.

बीजेपी का चुनाव प्रबंधन: भाजपा ने रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट के लिए चार मंडल बनाए. हर मंडल का प्रभारी एक मंत्री को बनाया गया. एक पूर्व मंत्री और संगठन के एक पदाधिकारी को चारों मंडल का अध्यक्ष बनाया. हर वार्ड का इंचार्ज एक विधायक या पूर्व विधायक को बनाया गया. इन विधायकों को वार्ड के सभी पन्ना प्रभारियों की जिम्मेदारी दी गई. मतदाता सूची में हर 30 मतदाता पर एक कार्यकर्ता प्रभारी बनाया गया. प्रभारी का काम हर 30 मतदाताओं से हर दिन मिलना और उनसे चर्चा करना था.

कैसा था कांग्रेस का चुनावी प्रबंधन: कांग्रेस ने रायपुर दक्षिण विधानसभा में 64 प्रभारी तैनात किए. जो प्रभारी बनाए गए उसमें विधायक, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, महापौर, सभापति, पूर्व महापौर, सभापति स्तर के नेता शामिल रहे. प्रभारी के नीचे 64 सह प्रभारी की नियुक्ति की गई. इसमें संगठन पदाधिकारी जैसे महामंत्री, उपाध्यक्ष, सचिव, पार्षदों को जिम्मेदारी दी गई. प्रभारी और सह प्रभारी के नीचे हर बूथ पर एक कार्यकर्ता को संयोजक बनाया गया. संयोजक के जिम्मे हर घर जाकर लोगों से बातचीत करके कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करना था.

रायपुर दक्षिण विधानसभा का वार्ड समीकरण: रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट में कुल 19 वार्ड आते हैं. इन 19 वार्डों में 9 वार्ड पर कांग्रेस के पार्षद हैं, दो वार्ड ऐसे हैं जिस पर निर्दलीय पार्षद जीते हैं लेकिन यह सभी कांग्रेस के समर्थक हैं. आठ वार्ड में भाजपा के वार्ड पार्षद हैं. ऐसे में कांग्रेस यह मानकर चल रही थी कि इन वार्डों में कांग्रेस मजबूत है. बीजेपी के विरोध का फायदा कांग्रेस को मिलेगा. पर ऐसा नहीं हुआ. कांग्रेस के सभी सियासी समीकरण गलत साबित हुए. कमल ने अपना कब्जा इस सीट पर कायम रखा.

हार जीत पर वरिष्ठ पत्रकार की राय: वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का मानना है कि रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर जीत के एक नहीं कई कारण हैं. वरिष्ट पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने हार जीत के कारणों को गिनाया है.

बीजेपी की जीत के फैक्टर

  • रायपुर दक्षिण सीट भाजपा का अभेद किला बन गया है. इसके पीछे की वजह बृजमोहन अग्रवाल को माना जाता है. इतने लम्बे समय से लगातार वे इस सीट पर जीतते आ रहे हैं.
  • रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट बनने के बाद से आज तक यह सीट भाजपा के कब्जे में है . यहां बीजेपी का सबसे बड़ा वोट बैंक बन गया है. शहरी क्षेत्र में भाजपा ज्यादा मजबूत होती है.
  • भाजपा की उम्मीदवार रायपुर के सांसद रह चुके हैं. लोगों के बीच उनकी बड़ी पैठ है. जब वे लोकसभा चुनाव जीते थे तब भी रायपुर दक्षिण से उन्हें 89153 वोट मिला था. जबकी विधान सभा चुनाव 2023 में भाजपा 67,719 वोटों से जीती थी.
  • बीजेपी का बूथ मैनेजमेंट बहुत शानदार रहा है. पूरी बीजेपी रायपुर दक्षिण के लिए मजबूती से चुनाव लड़ी. संगठन का सहयोग भी काफी मजबूत रहा है.


कांग्रेस की हार के फैक्टर

  • कांग्रेस के उम्मीदवार पहचान की संकट से जूझते रहे, उम्मीदवार का चयन भी हार का बड़ा कारण बना.
  • कांग्रेस का संगठन और उसका वोट प्रबंधन ठीक नहीं होना हार का बड़ा कारण बना.
  • कांग्रेस ने जिस कैंडिडेट को सलेक्ट किया, जिस सहयोग की बात कही जा रही थी वो जमीन पर नजर नहीं आई.
  • जिस तरीके से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को समर्पित होकर काम करना था वह बीजेपी की तुलना में कमजोर रहा.

बीजेपी जिस सीट पर चुनाव लड़ रही थी वो सीट बीजेपी की सबसे सेफ सीट है. सुरक्षित सीट होने के चलते ही पार्टी को वहां पर जीत मिली. राज्य में बीजेपी की सरकार होने का भी फायदा चुनाव में मिला. तीसरी बड़ी वजह रहे खुद बृजमोहन जो 40 सालों से इस सीट पर काबिज रहे हैं. बृजमोहन लोगों के बीच रहने वाले नेता हैं. बीजेपी और बृजमोहन का बूथ मैनेजमेंट हमेशा से जीत की बड़ी वजह साबित होता रहा है. :उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

कांग्रेस से कहां हुई गलती: कांग्रेस उम्मीदवार को लेकर वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा ने कहा कि यहां पर उम्मीदवार का चयन एक बड़ी वजह बनी. जिस कैंडिडेट को कांग्रेस ने चुना था उससे बड़ा चेहरा बीजेपी ने मैदान में उतारा. कांग्रेस की हार की दूसरी बड़ी वजह रही संगठन का अलग अलग खेमों में बंटा होना. बीजेपी की सुरक्षित सीट पर जिस दमदारी के साथ लड़ना था वैसी दमदारी से चुनाव नहीं लड़ गया. सुनील सोनी की वरिष्ठता के आगे कांग्रेस के आकाश शर्मा नहीं टिक पाए. हार के फैक्टर में भी एक बड़ा कारण रहा.

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रायपुर: रायपुर दक्षिण सीट पर कमल का जलवा बरकरार रहा. सुनील सोनी ने एकतरफा मुकाबले में कांग्रेस के आकाश शर्मा को करारी शिकस्त दी. आंकड़ों के मुताबिक जितने वोट से बीजेपी प्रत्याशी की जीत हुई उतने ही वोट कांग्रेस को मिले. बीजेपी का ये किला एक बार फिर अभेद किला पार्टी के लिए बना. नतीजों के बाद बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार पर चर्चाओं का दौर शुरु हो चुका है.

''बृजमोहन अग्रवाल ही चुनाव लड़ रहे हैं'': चुनाव से ठीक पहले बृजमोहन अग्रवाल ने कहा था कि इस सीट पर बृजमोहन अग्रवाल ही चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में आकाश शर्मा के सामने भाजपा के सुनील सोनी को नहीं देखा जा रहा था बल्कि कांग्रेस उम्मीदवार के सामने खुद बृजमोहन अग्रवाल खड़े वोटरों को नजर आए. उपचुनाव में जो एक चुनौती कांग्रेस की ओर से नजर आ रही थी वो चुनौती नतीजों में पूरी तरह से खत्म हो गई. बृजमोहन अग्रवाल का दबदबा साफ चुनाव में नजर आया.

बीजेपी का चुनाव प्रबंधन: भाजपा ने रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट के लिए चार मंडल बनाए. हर मंडल का प्रभारी एक मंत्री को बनाया गया. एक पूर्व मंत्री और संगठन के एक पदाधिकारी को चारों मंडल का अध्यक्ष बनाया. हर वार्ड का इंचार्ज एक विधायक या पूर्व विधायक को बनाया गया. इन विधायकों को वार्ड के सभी पन्ना प्रभारियों की जिम्मेदारी दी गई. मतदाता सूची में हर 30 मतदाता पर एक कार्यकर्ता प्रभारी बनाया गया. प्रभारी का काम हर 30 मतदाताओं से हर दिन मिलना और उनसे चर्चा करना था.

कैसा था कांग्रेस का चुनावी प्रबंधन: कांग्रेस ने रायपुर दक्षिण विधानसभा में 64 प्रभारी तैनात किए. जो प्रभारी बनाए गए उसमें विधायक, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, महापौर, सभापति, पूर्व महापौर, सभापति स्तर के नेता शामिल रहे. प्रभारी के नीचे 64 सह प्रभारी की नियुक्ति की गई. इसमें संगठन पदाधिकारी जैसे महामंत्री, उपाध्यक्ष, सचिव, पार्षदों को जिम्मेदारी दी गई. प्रभारी और सह प्रभारी के नीचे हर बूथ पर एक कार्यकर्ता को संयोजक बनाया गया. संयोजक के जिम्मे हर घर जाकर लोगों से बातचीत करके कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करना था.

रायपुर दक्षिण विधानसभा का वार्ड समीकरण: रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट में कुल 19 वार्ड आते हैं. इन 19 वार्डों में 9 वार्ड पर कांग्रेस के पार्षद हैं, दो वार्ड ऐसे हैं जिस पर निर्दलीय पार्षद जीते हैं लेकिन यह सभी कांग्रेस के समर्थक हैं. आठ वार्ड में भाजपा के वार्ड पार्षद हैं. ऐसे में कांग्रेस यह मानकर चल रही थी कि इन वार्डों में कांग्रेस मजबूत है. बीजेपी के विरोध का फायदा कांग्रेस को मिलेगा. पर ऐसा नहीं हुआ. कांग्रेस के सभी सियासी समीकरण गलत साबित हुए. कमल ने अपना कब्जा इस सीट पर कायम रखा.

हार जीत पर वरिष्ठ पत्रकार की राय: वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का मानना है कि रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर जीत के एक नहीं कई कारण हैं. वरिष्ट पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने हार जीत के कारणों को गिनाया है.

बीजेपी की जीत के फैक्टर

  • रायपुर दक्षिण सीट भाजपा का अभेद किला बन गया है. इसके पीछे की वजह बृजमोहन अग्रवाल को माना जाता है. इतने लम्बे समय से लगातार वे इस सीट पर जीतते आ रहे हैं.
  • रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट बनने के बाद से आज तक यह सीट भाजपा के कब्जे में है . यहां बीजेपी का सबसे बड़ा वोट बैंक बन गया है. शहरी क्षेत्र में भाजपा ज्यादा मजबूत होती है.
  • भाजपा की उम्मीदवार रायपुर के सांसद रह चुके हैं. लोगों के बीच उनकी बड़ी पैठ है. जब वे लोकसभा चुनाव जीते थे तब भी रायपुर दक्षिण से उन्हें 89153 वोट मिला था. जबकी विधान सभा चुनाव 2023 में भाजपा 67,719 वोटों से जीती थी.
  • बीजेपी का बूथ मैनेजमेंट बहुत शानदार रहा है. पूरी बीजेपी रायपुर दक्षिण के लिए मजबूती से चुनाव लड़ी. संगठन का सहयोग भी काफी मजबूत रहा है.


कांग्रेस की हार के फैक्टर

  • कांग्रेस के उम्मीदवार पहचान की संकट से जूझते रहे, उम्मीदवार का चयन भी हार का बड़ा कारण बना.
  • कांग्रेस का संगठन और उसका वोट प्रबंधन ठीक नहीं होना हार का बड़ा कारण बना.
  • कांग्रेस ने जिस कैंडिडेट को सलेक्ट किया, जिस सहयोग की बात कही जा रही थी वो जमीन पर नजर नहीं आई.
  • जिस तरीके से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को समर्पित होकर काम करना था वह बीजेपी की तुलना में कमजोर रहा.

बीजेपी जिस सीट पर चुनाव लड़ रही थी वो सीट बीजेपी की सबसे सेफ सीट है. सुरक्षित सीट होने के चलते ही पार्टी को वहां पर जीत मिली. राज्य में बीजेपी की सरकार होने का भी फायदा चुनाव में मिला. तीसरी बड़ी वजह रहे खुद बृजमोहन जो 40 सालों से इस सीट पर काबिज रहे हैं. बृजमोहन लोगों के बीच रहने वाले नेता हैं. बीजेपी और बृजमोहन का बूथ मैनेजमेंट हमेशा से जीत की बड़ी वजह साबित होता रहा है. :उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

कांग्रेस से कहां हुई गलती: कांग्रेस उम्मीदवार को लेकर वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा ने कहा कि यहां पर उम्मीदवार का चयन एक बड़ी वजह बनी. जिस कैंडिडेट को कांग्रेस ने चुना था उससे बड़ा चेहरा बीजेपी ने मैदान में उतारा. कांग्रेस की हार की दूसरी बड़ी वजह रही संगठन का अलग अलग खेमों में बंटा होना. बीजेपी की सुरक्षित सीट पर जिस दमदारी के साथ लड़ना था वैसी दमदारी से चुनाव नहीं लड़ गया. सुनील सोनी की वरिष्ठता के आगे कांग्रेस के आकाश शर्मा नहीं टिक पाए. हार के फैक्टर में भी एक बड़ा कारण रहा.

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