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रेल दुर्घटना : नैतिकता के आधार पर कई रेल मंत्री दे चुके हैं इस्तीफा - Railway Ministers Resignation

Railway Ministers Resignation-जब भी कोई बड़ा रेल हादसा होता है, तो लोग अक्सर यह पूछने लगते हैं कि क्या रेल मंत्री ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी ली या नहीं, क्या रेल मंत्री इस्तीफा देंगे या नहीं. वैसे, कंचनजंघा रेल दुर्घटना के बाद अब तक जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार रेल मंत्री की ओर से इस्तीफा को लेकर कोई खबरें नहीं आई हैं. हालांकि, इसके पहले ऐसे कई उदाहरण हैं, जब रेल मंत्री ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था. पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 17, 2024, 2:07 PM IST

Updated : Jun 17, 2024, 6:47 PM IST

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल कंचनजंघा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना सोमवार सुबह हुई, जब कोलकाता जाने वाली ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन के पास एक मालगाड़ी से टकरा गई. पश्चिम बंगाल में सोमवार को हुए इस हादसे में करीब 15 लोगों की मौत हो गई है और 20-25 लोग घायल हुए हैं. ये आंकड़ा बढ़ सकता है. इस दुर्घटना के बाद विपक्ष की ओर से मांग की गई है कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को इस्तीफा दे देना चाहिए.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी ने भी वर्तमान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इस्तीफा देने से रेल दुर्घटनाएं रुक जाएगी. इस्तीफा देने से लोगों को क्या मदद मिलेगी? क्या रेल मंत्री को रेल हादसों के चलते पद छोड़ देना चाहिए?

आइए रिकॉर्ड पर नजर डालते हैं, जब रेल मंत्री ने ट्रेन दुर्घटना के बाद इस्तीफा दे दिया था.

  1. लाल बहादुर शास्त्री- 1956 में, तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने तमिलनाडु में अरियालुर रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था. नवंबर 1956 में लगभग 142 लोगों की जान चली गई थी.
  2. नीतीश कुमार- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में दो कार्यकालों तक रेल मंत्री रहे. रेल मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, उनके कार्यकाल में 1079 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं - टक्कर और पटरी से उतरना - जिसके कारण 1,527 लोगों की मौत हुई. नीतीश कुमार ने 2 अगस्त 1999 को गैसल ट्रेन दुर्घटना के बाद पद छोड़ दिया था. उस समय पश्चिम बंगाल के सुदूर स्टेशन पर लगभग 2,500 लोगों को ले जा रही दो ट्रेनें आपस में टकरा गईं थीं. इस हादसे में कम से कम 285 लोगों की जान चली गई थी.
  3. ममता बनर्जी - पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो अब कंचनजंघा ट्रेन दुर्घटना के लिए केंद्र पर निशाना साध रही हैं, उनका रेल मंत्री के रूप में भी कोई साफ-सुथरा रिकॉर्ड नहीं है. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार उन्होंने वाजपेयी और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में काम किया और उनके कार्यकाल के दौरान देश में 839 रेल दुर्घटनाएं, जिनमें 1451 लोगों की मृत्यु हुई. 2000 में दो रेल दुर्घटनाओं के बाद बनर्जी ने पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन वाजपेयी ने उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया था.
  4. लालू यादव- मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में लालू प्रसाद यादव मई 2004 से मई 2009 तक रेल मंत्री थे. उनके कार्यकाल के दौरान 601 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं - 550 रेलगाड़ियां पटरी से उतर गईं और 51 टक्करें हुईं. इन दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या 1159 थी.
  5. सुरेश प्रभु ने 2017 में सौपा था इस्तीफा
    अगस्त 2017 में, सुरेश प्रभु ने चार दिनों में दो दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना इस्तीफा सौंप दिया - औरैया के पास कैफियत एक्सप्रेस का पटरी से उतरना, जिसमें 70 से अधिक लोग घायल हो गए, और मुजफ्फरनगर के पास खतौली में कलिंग उत्कल एक्सप्रेस का पटरी से उतरना, जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई और 150 से अधिक लोग घायल हो गए.

इस्तीफा देने वाले पहले रेल मंत्री थे लाल बहादुर शास्त्री

नवंबर 1956 में, लाल बहादुर शास्त्री ने तमिलनाडु में अरियालुर रेल दुर्घटना के बाद नैतिक आधार पर रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. इस हादसे में 142 लोगों की मौत हो गई थी. इसके 43 साल बाद नीतीश कुमार ने गैसल हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था.

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में रेलवे
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले दशक में रेल दुर्घटनाओं में कमी आई है. 2012-13 से 2022-23 तक, यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस और नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस के तहत नौ मंत्रियों के कार्यकाल के दौरान, भारतीय रेलवे ने 878 दुर्घटनाएं दर्ज कीं, जिनमें टक्कर, पटरी से उतरना और आग लगना जैसी अन्य घटनाएं शामिल हैं.

यह संख्या बनर्जी के रेल मंत्री के रूप में दो कार्यकालों के दौरान देखी गई दुर्घटनाओं के करीब है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2002-03 से 2011-12 के दशक में, रेलवे ने कुल 2,147 दुर्घटनाएं दर्ज कीं गई.

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रेल दुर्घटनाएं, खास तौर पर पटरी से उतरना, इतनी दुर्लभ नहीं हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2021 में 17,993 रेल दुर्घटनाएं दर्ज की गईं. रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले 10 सालों में ट्रेन दुर्घटनाओं में लगभग 2.6 लाख लोगों की जान गई है और इनमें से ज्यादातर मौतें टक्कर की वजह से नहीं बल्कि इसलिए हुई क्योंकि लोग ट्रेन से गिर गए या ट्रेन के नीचे दब गए. फिर भी, देश में रेल सुरक्षा एक बड़ी चिंता बनी हुई है.

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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल कंचनजंघा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना सोमवार सुबह हुई, जब कोलकाता जाने वाली ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन के पास एक मालगाड़ी से टकरा गई. पश्चिम बंगाल में सोमवार को हुए इस हादसे में करीब 15 लोगों की मौत हो गई है और 20-25 लोग घायल हुए हैं. ये आंकड़ा बढ़ सकता है. इस दुर्घटना के बाद विपक्ष की ओर से मांग की गई है कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को इस्तीफा दे देना चाहिए.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी ने भी वर्तमान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इस्तीफा देने से रेल दुर्घटनाएं रुक जाएगी. इस्तीफा देने से लोगों को क्या मदद मिलेगी? क्या रेल मंत्री को रेल हादसों के चलते पद छोड़ देना चाहिए?

आइए रिकॉर्ड पर नजर डालते हैं, जब रेल मंत्री ने ट्रेन दुर्घटना के बाद इस्तीफा दे दिया था.

  1. लाल बहादुर शास्त्री- 1956 में, तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने तमिलनाडु में अरियालुर रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था. नवंबर 1956 में लगभग 142 लोगों की जान चली गई थी.
  2. नीतीश कुमार- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में दो कार्यकालों तक रेल मंत्री रहे. रेल मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, उनके कार्यकाल में 1079 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं - टक्कर और पटरी से उतरना - जिसके कारण 1,527 लोगों की मौत हुई. नीतीश कुमार ने 2 अगस्त 1999 को गैसल ट्रेन दुर्घटना के बाद पद छोड़ दिया था. उस समय पश्चिम बंगाल के सुदूर स्टेशन पर लगभग 2,500 लोगों को ले जा रही दो ट्रेनें आपस में टकरा गईं थीं. इस हादसे में कम से कम 285 लोगों की जान चली गई थी.
  3. ममता बनर्जी - पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो अब कंचनजंघा ट्रेन दुर्घटना के लिए केंद्र पर निशाना साध रही हैं, उनका रेल मंत्री के रूप में भी कोई साफ-सुथरा रिकॉर्ड नहीं है. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार उन्होंने वाजपेयी और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में काम किया और उनके कार्यकाल के दौरान देश में 839 रेल दुर्घटनाएं, जिनमें 1451 लोगों की मृत्यु हुई. 2000 में दो रेल दुर्घटनाओं के बाद बनर्जी ने पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन वाजपेयी ने उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया था.
  4. लालू यादव- मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में लालू प्रसाद यादव मई 2004 से मई 2009 तक रेल मंत्री थे. उनके कार्यकाल के दौरान 601 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं - 550 रेलगाड़ियां पटरी से उतर गईं और 51 टक्करें हुईं. इन दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या 1159 थी.
  5. सुरेश प्रभु ने 2017 में सौपा था इस्तीफा
    अगस्त 2017 में, सुरेश प्रभु ने चार दिनों में दो दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना इस्तीफा सौंप दिया - औरैया के पास कैफियत एक्सप्रेस का पटरी से उतरना, जिसमें 70 से अधिक लोग घायल हो गए, और मुजफ्फरनगर के पास खतौली में कलिंग उत्कल एक्सप्रेस का पटरी से उतरना, जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई और 150 से अधिक लोग घायल हो गए.

इस्तीफा देने वाले पहले रेल मंत्री थे लाल बहादुर शास्त्री

नवंबर 1956 में, लाल बहादुर शास्त्री ने तमिलनाडु में अरियालुर रेल दुर्घटना के बाद नैतिक आधार पर रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. इस हादसे में 142 लोगों की मौत हो गई थी. इसके 43 साल बाद नीतीश कुमार ने गैसल हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था.

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में रेलवे
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले दशक में रेल दुर्घटनाओं में कमी आई है. 2012-13 से 2022-23 तक, यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस और नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस के तहत नौ मंत्रियों के कार्यकाल के दौरान, भारतीय रेलवे ने 878 दुर्घटनाएं दर्ज कीं, जिनमें टक्कर, पटरी से उतरना और आग लगना जैसी अन्य घटनाएं शामिल हैं.

यह संख्या बनर्जी के रेल मंत्री के रूप में दो कार्यकालों के दौरान देखी गई दुर्घटनाओं के करीब है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2002-03 से 2011-12 के दशक में, रेलवे ने कुल 2,147 दुर्घटनाएं दर्ज कीं गई.

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रेल दुर्घटनाएं, खास तौर पर पटरी से उतरना, इतनी दुर्लभ नहीं हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2021 में 17,993 रेल दुर्घटनाएं दर्ज की गईं. रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले 10 सालों में ट्रेन दुर्घटनाओं में लगभग 2.6 लाख लोगों की जान गई है और इनमें से ज्यादातर मौतें टक्कर की वजह से नहीं बल्कि इसलिए हुई क्योंकि लोग ट्रेन से गिर गए या ट्रेन के नीचे दब गए. फिर भी, देश में रेल सुरक्षा एक बड़ी चिंता बनी हुई है.

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Last Updated : Jun 17, 2024, 6:47 PM IST
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