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एक्सीडेंट प्रूफ रेल रुट तैयार, नहीं होगी 2 ट्रेनों में टक्कर, अश्विनी वैष्णव की कमाल टेक्नोलॉजी - Rail Safety Kavach Project

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 31, 2024, 10:15 PM IST

Updated : Aug 1, 2024, 1:16 PM IST

आए दिन हो रहे रेल हादसों को देखते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कवच प्रोजेक्ट लेकर आए हैं. इस प्रोजेक्ट के जरिए रेल मंडलों में कवच सिस्टम इंस्टॉल किए जाएंगे. जिससे रेल हादसों को रोकने की कोशिश की जाएगी.

RAIL SAFETY KAVACH PROJECT
अश्विनी वैष्णव के प्रोजेक्ट कवच से लेस हो रहा रेलमार्ग (ETV Bharat)

Railway Kavach Project: पश्चिम रेलवे के विभिन्न रेल मंडलों में कवच सिस्टम इंस्टॉल किए जाने का कार्य तेजी से जारी है. दिल्ली- मुंबई रेलमार्ग पर स्वदेशी रक्षा कवच का इंस्टॉलेशन कार्य जारी है. पश्चिम रेलवे के 90 लोको के साथ 789 किमी पर कवच प्रणाली का काम किया जा रहा है. 789 किमी में से कुल 405 किमी के लिए लोको परीक्षण सफलतापूर्वक किए गए हैं. वहीं 90 में से 60 लोको को इस तकनीक से लैस किया गया है. एक बार स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्‍शन (ATP) सिस्टम कवच इंस्टॉल हो जाने के बाद इस रेल मार्ग पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाई जा सकेगी. वहीं यात्री सुरक्षित महसूस कर यात्रा कर सकेंगे.

जानिए किस रेलमार्ग पर कितना हुआ काम

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक ने बताया कि स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्‍शन (ATP) सिस्टम कवच को पश्चिम रेलवे के विभिन्न रेल मंडलों में तेजी से इंस्टॉल किया जा रहा है. इस वित्त वर्ष 2024-25 में 735 किमी रेलवे ट्रैक पर कवच सिस्टम को कमीशन करने का लक्ष्य रखा गया है. पश्चिम रेलवे में विरार-सूरत-वडोदरा (ऑटोमैटिक सिग्नलिंग) सेक्शन पर 336 किलोमीटर में से 201 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है. वडोदरा-अहमदाबाद (ऑटोमैटिक सिग्नलिंग) सेक्शन पर 96 किलोमीटर की कवच प्रणाली के लोको ट्रायल सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं.

वडोदरा-रतलाम-नागदा (नॉन-ऑटोमैटिक सिग्नलिंग) सेक्शन पर 303 किलोमीटर में से 108 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है. पश्चिम रेलवे में कवच रक्षा प्रणाली को लेकर सर्वाधिक कार्य दिल्ली मुंबई रेलमार्ग पर किया गया है. जिससे विश्व वित्त वर्ष के अंतर्गत इस रेल मार्ग पर ट्रेनों की गति भी बढ़ाई जा सकेगी. वहीं, जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल कर यात्रियों को सुरक्षित यात्रा करवाई जा सकेगी.

KAVACH SYSTEM INSTALLED IN TRAIN
इस रेलमार्ग पर अब नहीं होंगे हादसे, (ETV Bharat)

क्या है कवच रक्षा प्रणाली

कवच प्रणाली पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक है, जो हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी पर कार्य करता है. इसे आरडीएसओ द्वारा विकसित किया गया है. कवच एक तरह की डिवाइस है, जो ट्रेन के इंजन के अलावा रेलवे के ट्रेक पर भी लगाई जाती है. जिससे दो ट्रेनों के एक ही ट्रैक पर आमने-सामने या आगे पीछे से करीब आने पर सिग्नल, इंडिकेटर और अलार्म के जरिए ट्रेन के पायलट को इसकी सूचना मिल जाती है. यदि लोको पायलट ट्रेन के ब्रेक लगाने में असमर्थ होता है तो संभावित टक्कर को रोकने के लिए यह सिस्टम स्वतः ही ब्रेक लगा देता है.

यहां पढ़ें...

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इसे एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों की टक्कर होने से बचाने, खराब मौसम में भी लोको पायलट को ट्रेन परिचालन में मदत करने एवं ट्रेनों की गति को 200 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने के लिए आरडीएसओ द्वारा डिजाइन किया गया है. यह तकनीक ट्रेनों को उपयुक्‍त गति से चलाने में सक्षम बनाएगी. यह सिग्नल पासिंग एट डेंजर (SPAD) को रोकने में लोको पायलटों को सहायता करेगी और उन्‍हें निरंतर गति पर नजर रखने में सक्षम बनाएगी. सिग्नल और गति की हर जानकारी को लोको पायलट के कैब में प्रदर्शित किया जाएगा, जो टकराव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगा. पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक ने बताया कि 'पश्चिम रेलवे के अधिकांश रेलमार्गों पर इस वित्त वर्ष के अंत तक जीरो एक्सीडेंट के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में लगातार कार्य जारी है.'

Railway Kavach Project: पश्चिम रेलवे के विभिन्न रेल मंडलों में कवच सिस्टम इंस्टॉल किए जाने का कार्य तेजी से जारी है. दिल्ली- मुंबई रेलमार्ग पर स्वदेशी रक्षा कवच का इंस्टॉलेशन कार्य जारी है. पश्चिम रेलवे के 90 लोको के साथ 789 किमी पर कवच प्रणाली का काम किया जा रहा है. 789 किमी में से कुल 405 किमी के लिए लोको परीक्षण सफलतापूर्वक किए गए हैं. वहीं 90 में से 60 लोको को इस तकनीक से लैस किया गया है. एक बार स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्‍शन (ATP) सिस्टम कवच इंस्टॉल हो जाने के बाद इस रेल मार्ग पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाई जा सकेगी. वहीं यात्री सुरक्षित महसूस कर यात्रा कर सकेंगे.

जानिए किस रेलमार्ग पर कितना हुआ काम

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक ने बताया कि स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्‍शन (ATP) सिस्टम कवच को पश्चिम रेलवे के विभिन्न रेल मंडलों में तेजी से इंस्टॉल किया जा रहा है. इस वित्त वर्ष 2024-25 में 735 किमी रेलवे ट्रैक पर कवच सिस्टम को कमीशन करने का लक्ष्य रखा गया है. पश्चिम रेलवे में विरार-सूरत-वडोदरा (ऑटोमैटिक सिग्नलिंग) सेक्शन पर 336 किलोमीटर में से 201 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है. वडोदरा-अहमदाबाद (ऑटोमैटिक सिग्नलिंग) सेक्शन पर 96 किलोमीटर की कवच प्रणाली के लोको ट्रायल सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं.

वडोदरा-रतलाम-नागदा (नॉन-ऑटोमैटिक सिग्नलिंग) सेक्शन पर 303 किलोमीटर में से 108 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है. पश्चिम रेलवे में कवच रक्षा प्रणाली को लेकर सर्वाधिक कार्य दिल्ली मुंबई रेलमार्ग पर किया गया है. जिससे विश्व वित्त वर्ष के अंतर्गत इस रेल मार्ग पर ट्रेनों की गति भी बढ़ाई जा सकेगी. वहीं, जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल कर यात्रियों को सुरक्षित यात्रा करवाई जा सकेगी.

KAVACH SYSTEM INSTALLED IN TRAIN
इस रेलमार्ग पर अब नहीं होंगे हादसे, (ETV Bharat)

क्या है कवच रक्षा प्रणाली

कवच प्रणाली पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक है, जो हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी पर कार्य करता है. इसे आरडीएसओ द्वारा विकसित किया गया है. कवच एक तरह की डिवाइस है, जो ट्रेन के इंजन के अलावा रेलवे के ट्रेक पर भी लगाई जाती है. जिससे दो ट्रेनों के एक ही ट्रैक पर आमने-सामने या आगे पीछे से करीब आने पर सिग्नल, इंडिकेटर और अलार्म के जरिए ट्रेन के पायलट को इसकी सूचना मिल जाती है. यदि लोको पायलट ट्रेन के ब्रेक लगाने में असमर्थ होता है तो संभावित टक्कर को रोकने के लिए यह सिस्टम स्वतः ही ब्रेक लगा देता है.

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इसे एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों की टक्कर होने से बचाने, खराब मौसम में भी लोको पायलट को ट्रेन परिचालन में मदत करने एवं ट्रेनों की गति को 200 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने के लिए आरडीएसओ द्वारा डिजाइन किया गया है. यह तकनीक ट्रेनों को उपयुक्‍त गति से चलाने में सक्षम बनाएगी. यह सिग्नल पासिंग एट डेंजर (SPAD) को रोकने में लोको पायलटों को सहायता करेगी और उन्‍हें निरंतर गति पर नजर रखने में सक्षम बनाएगी. सिग्नल और गति की हर जानकारी को लोको पायलट के कैब में प्रदर्शित किया जाएगा, जो टकराव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगा. पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक ने बताया कि 'पश्चिम रेलवे के अधिकांश रेलमार्गों पर इस वित्त वर्ष के अंत तक जीरो एक्सीडेंट के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में लगातार कार्य जारी है.'

Last Updated : Aug 1, 2024, 1:16 PM IST
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