पटना: पिछले दिनों रेलवे भर्ती बोर्ड ने सहायक लोको पायलट के लिए 5,697 पदों पर भर्ती निकाली थी. भर्ती के ऑनलाइन आवेदन 20 जनवरी से लिए जा रहे हैं. लेकिन इन भर्तियों को लेकर छात्रों में नाराजगी है. पिछले दिनों पटना समेत कई जिलों ने छात्रों ने प्रदर्शन किए, रैली निकाली, पुलिस ने लाठीचार्ज किया. पटना में ढाई हजार अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया गया. लेकिन विवाद उस वक्त बढ़ गया जब, छात्रों के प्रदर्शन में कोचिंग और हॉस्टल संचालक की भूमिका पुलिस खंगालने लगी.
रेलवे ने निकाली 5,697 पदों पर वैकेंसी : सहायक लोको पायलट के करीब 5 हजार से ज्यादा पद के लिए रेलवे भर्ती बोर्ड ने नोटिफिकेशन जारी किया, जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन 20 जनवरी से शुरू हो गए. उम्मीदवारों का चयन सीबीटी टेस्ट यानी कंप्यूटर बेस्ड होगा. इस पद के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 18 साल और अधिकतम 33 साल रखी गई है. हालांकि आरक्षित वर्ग को उम्र सीमा में छूट दी गई है. वहीं रेलवे ने एक नया नोटिफिकेशन जारी करते हुए छात्रों को बड़ी राहत देते हुए उम्र सीमा में 3 वर्ष की छूट दी है.
भर्ती को लेकर छात्रों का विरोध क्यों? : छात्रों का कहना है कि रेलवे ने मात्र 5,697 पदों पर बहाली निकाली है. साल 2018 में जब रेलवे ने 64, 371 पदों पर बहाली निकाली थी तो ढाई करोड़ फॉर्म भरे गए थे. उसके बाद से कोई बहाली नहीं निकाली गई. हमारी मांग है कि पोस्ट बढ़ाया जाय और इसकी जानकारी कैलेंडर के साथ दी जाय.
''रेलवे में छह वर्षों से कोई बहाली नहीं निकली गयी. साल 2019 से महज खानापूर्ति की जा रही है. लाखों अभ्यार्थी इस इंतजार में थे कि बड़े पैमाने पर वैकेंसी निकलेगी. लेकिन मात्र 5,697 सीटों की बहाली निकाली गयी, जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान है.'' - दीपक कुमार, अभ्यर्थी, नवादा
रेलवे ने निकाली 9000 पदों पर भर्ती: वहीं छात्रों का कहना है कि रेलवे ने मजाक बना कर रखा है, लोको पायलट के लिए मात्र 5,697 पदों पर बहाली निकाली गई है, जबकि रेलवे में दिसंबर 2023 तक 20 हजार पद खाली हैं, यह खुद रेलवे बोर्ड का कहना था. रेलवे तानाशाही रवैया अपना रही है. हालांकि आपको बता दें कि छात्रों के विरोध के बीच रेलवे बोर्ड ने और 9 हजार टेक्निशियन के पदों पर भर्ती निकाली है. रेलवे का कहना है कि दोनों भर्ती को मिलाकर करीब 14 हजार पदों को भरा जाएगा.
'इतनी कम वैकेंसी, आर्थिक बोझ बढ़ेंगा' : पटना के एक अभ्यर्थी नीतीश कुमार, जो दिन रात रेलवे भर्ती की तैयारी में जुटे हैं उनका कहना है कि, देश में बेरोजगारी की हालत देख लीजिए. सिर्फ 5-6 हजारी सीटों से क्या होगा?. ऑल इंडिया लेवल पर इतनी कम वैकेंसी सरकार के लिए राजस्व बढ़ाने का माध्यम प्रतीत हो रहा है. इसके अलावा अलग-अलग ग्रेड के लिए अलग-अलग वैकेंसी लाने की रेलवे बात कह रही है लेकिन इससे गरीब छात्रों पर आर्थिक बोझ और बढ़ रहा है.
''कई ऐसे छात्र हैं जो सभी ग्रेड के लिए फॉर्म नहीं भर सकते हैं, क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं है. 2014 से पहले जहां ₹100 फॉर्म भरने का लगता था, अब ₹500 लग रहा है. अगर रेलवे की अलग-अलग ग्रेड में 5-6 वैकेंसी आ जाती है तो छात्रों के पास इतना पैसा नहीं होगा कि वह सभी फॉर्म भर सकें.'' - नीतीश कुमार, अभ्यर्थी, पटना
रेलवे बोर्ड पर छात्रों का गुस्सा : पटना में किराए के एक कमरे में रह रहे अजय कुमार का हर महीने का खर्चा करीब 6 हजार है, अजय की परेशानी सिर्फ ये नहीं है. असली दिक्कत तो ये है अजय जिस सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, वो अभी कोसों दूर है. वे कहते हैं कि, ''वैकेंसी की संख्या कम है, इसलिए उनके बहुत सारे साथी हैं जो नहीं भरेंगे. क्योंकि उन्हें लगता कि इस भीड़ में वह निकल पाएंगे. इसलिए वैकेंसी नहीं नहीं बढ़ाई जाती है और अलग-अलग वैकेंसी लाने के बजाय संयुक्त रूप से एक वैकेंसी नहीं लाई जाती है तो इसका खामियाजा केंद्र सरकार को 2024 चुनाव में उठाना पड़ेगा.''
रेलवे का क्या कहना है? : रेलवे भर्ती को लेकर जब छात्र सड़क पर उतरे तो रेलवे बोर्ड ने भी सफाई दी. ईस्ट सेंट्रल रेलवे के जनरल मैनेजर अनिल कुमार खंडेलवाल ने बताया कि, रेलवे ने हाल ही में 1.5 लाख पदों के लिए रोजगार प्रक्रिया पूरी की है. रेलवे की योजना अब हर साल नियमित रूप से रिक्तियां लाने की है. क्योंकि रेलवे का बुनियादी ढांचा और संचालन बढ़ रहा है. कई श्रेणियों में रिक्तियां हर साल भरी जाएंगी. उनहोंने बताया कि ''अभी 5,696 एएलपी (लोको पायलट) की भर्ती शुरू हो चुकी है. अभ्यर्थियों को हर साल मौका मिलेगा. अगर अभ्यर्थी एक साल असफल हो जाते है तो दोबारा परीक्षा में शामिल हो सकते हैं.''
क्या बोले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव? : वहीं वैकेंसी के पद में बढ़ोतरी को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि रेलवे ने हाल ही में 1.5 लाख पदों पर भर्ती पूरी की है. इसके बाद असिस्टेंट लोको पायलट के 5,697 पद, टेक्निशियन के 9 हजार पदों पर भर्ती निकाली है. आगे भी टेक्निकल, नॉन टेक्निकल और ग्रुप डी के लिए भर्ती निकाली जाएगी. हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोकों को मौका मिले.
पटना के इन इलाकों में धारा 144 लागू : इस, बीच रेलवे में रिक्तियों की संख्या बढ़ाने को लेकर पटना जिला में रेलवे स्टेशन पर धारा 144 लागू है, प्रशासन की सोशल मीडिया पर भी नजर है. दूसरी तरफ पिछले दिनों पटना में हुए धरना प्रदर्शन में कोचिंग संस्थान और हॉस्टल की भूमिका को लेकर एसडीओ के नेृतृत्व में जांच टीम का गठन किया गया है. पटना जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक के मुताबिक, ''2500 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है.'' फिलहाल बड़ा सवाल कि छात्रों का विरोध प्रदर्शन कब तक जारी रहेगा?.
रेलवे में नौकरियां खत्म, आखिर क्यों? : दूसरी तरफ ये भी बड़ा सवाल है रेलवे में नौकरी की संख्या कम क्यों होती जा रही है. एक्सपर्ट की माने तो पिछले कुछ सालों में रेलवे ने एक लाख से ज्यादा नौकरियां (ग्रुप सी- ग्रुप डी) खत्म कर दी हैं. रेलवे अधिकारियों ने वजह बताया कि ये पद गैर जरूरी हैं. क्योंकि टेक्नोलॉजी और वर्क कल्चर में बदलाव आने से अब इन नौकरियों की जरूरत नहीं है. साथ ही इन पदों के खत्म होने से रेलवे को काफी बचत होगी.
आउटसोर्सिंग पर जोर? : वहीं एक्सपर्ट की माने तो आउटसोर्सिंग भी बड़ी वजह है. खानपान, साफ-सफाई, बेडरोल, टिकटिंग निजी हाथों में जा चुका है या जा रहा है. रेलवे में काम को आउटसोर्स किया जा रहा है. ऐसे में आउटसोर्सिंग के कारण भी नौकरियों की संख्या कम हो रही है.
एक्सपर्ट का क्या कहना है? : वहीं, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले पटना के शिक्षक कुमार प्रियांक ने बताया कि छात्रों की मांग जायज है. उनके बहुत सारे छात्र रेलवे में नौकरी कर रहे हैं और वे बताते हैं कि रेलवे में में पावर की भारी कमी है, जिस कारण उनके ऊपर वर्कलोड बहुत अधिक है. ऐसे में जो लोग कहते हैं कि मशीनीकरण होने से मैनपावर की कमी आई है, यह बात झूठी साबित हो जाती है. ऐसा लग रहा है कि सरकार अपना बजट बढ़ाने की कोशिश कर रही है.
''वैकेंसी कम से कम 60 हजार से अधिक पदों पर होनी चाहिए. रेलवे अलग-अलग ग्रेड के लिए अलग-अलग वैकेंसी लाने के बजाय संयुक्त रूप से वैकेंसी लाए. अभी की प्रक्रिया में छात्रों के ऊपर काफी आर्थिक बोझ है. रेलवे के ग्रुप-सी, ग्रुप-डी की बहाली में बिहार से अधिक युवा जाते हैं. बिहार गरीब प्रदेश है. देश में जहां पर प्रति व्यक्ति 1.97 लाख रुपया है. वही बिहार में प्रति व्यक्ति आय मात्र 53 हजार है. यहां माता-पिता अपना एक वक्त का पेट काटकर बच्चों को पढ़ाते हैं. ऐसे में केंद्र सरकार को नौकरियां बढ़ानी चाहिए.'' - कुमार प्रियांक, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले शिक्षक
कब पूरे होंगे इन छात्रों के सपने? : फिलहाल, बात सिर्फ नीतीश, अजय और दीपक जैसे छात्रों की नहीं और न ही रेलवे भर्ती बोर्ड की है. दूसरे राज्यों के भी कई ऐसे छात्र हैं, जो सालों से सरकारी नौकरी की आस लगाए बैठे हैं. ऐसे में सवाल ये है कि इन छात्रों के सपने क्या कभी पूरे होंगे, क्या सरकार के पास इतनी नौकरियां हैं कि हजारों लाखों छात्रों को नौकरी मिल पाए?.
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