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इंडिया ब्लॉक में नेतृत्व परिवर्तन की मांग पर कांग्रेस बोली- राहुल गांधी गठबंधन के नेता - RAHUL GANDHI

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि इंडिया ब्लॉक से राहुल गांधी के खिलाफ आवाजें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुश कर रही हैं.

RAHUL GANDHI IS LEADER INDIA BLOC CONGRESS REJECTED DEMAND OF LEADERSHIP CHANGE
राहुल गांधी (ANI)
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By Amit Agnihotri

Published : Dec 11, 2024, 3:22 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने सपा, टीएमसी और आरजेडी जैसे सहयोगी दलों की ओर से इंडिया ब्लॉक में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को खारिज कर दिया है. कांग्रेस ने जोर देकर कहा है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी इंडिया ब्लॉक के मूल में है और राहुल गांधी विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं.

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ऐसी आवाजें केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही खुश कर रही हैं, जिन्हें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी संसद के अंदर और बाहर विभिन्न मुद्दों पर लगातार निशाना बना रहे हैं.

इंडिया गठबंधन में नेतृत्व का मुद्दा एक बार फिर से उभरा है, जब हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन एमवीए को करारी हार का सामना करना पड़ा था. राज्य में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा. हालांकि, झारखंड में विपक्षी गठबंधन लगातार दूसरी बार सत्ता बरकरार रख सका.

चार राज्यों के विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण थे क्योंकि ये 2024 के लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बाद कराए गए. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ इंडिया ब्लॉक ने पिछले चुनावों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया और कुल 543 में से 234 सीटें जीतकर खुद को मजबूत किया था. कांग्रेस ने 2019 के मुकाबले दोगुनी सीटें (99) जीती थीं, जबकि भाजपा 303 से घटकर 240 सीट पर आ गई. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में एनडीए की सहयोगी पार्टियां जेडीयू और टीडीपी का समर्थन बहुत अहम है, क्योंकि एनडीए को 292 सीटें मिली हैं.

हालांकि, राज्यों में चुनावी हार ने सहयोगी दलों को कांग्रेस को चिढ़ाने का एक और मौका दिया.

सपा नेता राम गोपाल यादव ने सबसे पहले राहुल गांधी के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने लोकसभा चुनाव और हाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने में सक्षम नहीं होने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया. राजद के संस्थापक लालू प्रसाद यादव ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दावे का समर्थन किया, जिन्होंने इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने की इच्छा व्यक्त की. जबकि ममता ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्षी गठबंधन में शामिल होने से इनकार कर दिया था.

कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और पश्चिम बंगाल कांग्रेस के पूर्व प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने ईटीवी भारत को बताया, टीएमसी ने इंडिया ब्लॉक को मजबूत करने के लिए कुछ नहीं किया. वास्तव में, राहुल गांधी ने समूह के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अब संसद के अंदर इसका नेतृत्व कर रहे हैं. वह लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं. उनके नाम का सभी विपक्षी दलों ने समर्थन किया. इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व में बदलाव का सुझाव देने वाली ऐसी सभी आवाजें केवल पीएम मोदी को खुश कर रही हैं."

उन्होंने कहा, "कांग्रेस लोकसभा में सबसे बड़ा विपक्षी दल है और इंडिया ब्लॉक में एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे देश में उपस्थिति है."

पूर्व सांसद चौधरी झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के समन्वयक थे.

महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच दरार तब दिखी, जब सपा विधायक अबू आजमी ने अपने सहयोगी के साथ उस दिन पद की शपथ ली, जिस दिन एमवीए ने ईवीएम के दुरुपयोग के विरोध में समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया था. बाद में, आजमी ने स्थानीय समाचार पत्र में शिवसेना (यूबीटी) के विज्ञापन को लेकर एमवीए छोड़ने की धमकी दी, जिसमें 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की प्रशंसा की गई थी.

कांग्रेस कार्यस मिति के विशेष आमंत्रित सदस्य मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने ईटीवी भारत से कहा कि सपा एमवीए का हिस्सा है और आगे भी रहेगी. उन्होंने कहा, "सपा प्रमुख अखिलेश यादव पार्टी की नीति तय करते हैं, न कि अबू आजमी."

यह भी पढ़ें- जब राहुल को उनके ही सांसद ने बोला, 'आप लेट हो, मैं समय पर'

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने सपा, टीएमसी और आरजेडी जैसे सहयोगी दलों की ओर से इंडिया ब्लॉक में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को खारिज कर दिया है. कांग्रेस ने जोर देकर कहा है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी इंडिया ब्लॉक के मूल में है और राहुल गांधी विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं.

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि ऐसी आवाजें केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही खुश कर रही हैं, जिन्हें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी संसद के अंदर और बाहर विभिन्न मुद्दों पर लगातार निशाना बना रहे हैं.

इंडिया गठबंधन में नेतृत्व का मुद्दा एक बार फिर से उभरा है, जब हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन एमवीए को करारी हार का सामना करना पड़ा था. राज्य में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा. हालांकि, झारखंड में विपक्षी गठबंधन लगातार दूसरी बार सत्ता बरकरार रख सका.

चार राज्यों के विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण थे क्योंकि ये 2024 के लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बाद कराए गए. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ इंडिया ब्लॉक ने पिछले चुनावों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया और कुल 543 में से 234 सीटें जीतकर खुद को मजबूत किया था. कांग्रेस ने 2019 के मुकाबले दोगुनी सीटें (99) जीती थीं, जबकि भाजपा 303 से घटकर 240 सीट पर आ गई. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में एनडीए की सहयोगी पार्टियां जेडीयू और टीडीपी का समर्थन बहुत अहम है, क्योंकि एनडीए को 292 सीटें मिली हैं.

हालांकि, राज्यों में चुनावी हार ने सहयोगी दलों को कांग्रेस को चिढ़ाने का एक और मौका दिया.

सपा नेता राम गोपाल यादव ने सबसे पहले राहुल गांधी के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने लोकसभा चुनाव और हाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने में सक्षम नहीं होने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया. राजद के संस्थापक लालू प्रसाद यादव ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दावे का समर्थन किया, जिन्होंने इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने की इच्छा व्यक्त की. जबकि ममता ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्षी गठबंधन में शामिल होने से इनकार कर दिया था.

कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और पश्चिम बंगाल कांग्रेस के पूर्व प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने ईटीवी भारत को बताया, टीएमसी ने इंडिया ब्लॉक को मजबूत करने के लिए कुछ नहीं किया. वास्तव में, राहुल गांधी ने समूह के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अब संसद के अंदर इसका नेतृत्व कर रहे हैं. वह लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं. उनके नाम का सभी विपक्षी दलों ने समर्थन किया. इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व में बदलाव का सुझाव देने वाली ऐसी सभी आवाजें केवल पीएम मोदी को खुश कर रही हैं."

उन्होंने कहा, "कांग्रेस लोकसभा में सबसे बड़ा विपक्षी दल है और इंडिया ब्लॉक में एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे देश में उपस्थिति है."

पूर्व सांसद चौधरी झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के समन्वयक थे.

महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच दरार तब दिखी, जब सपा विधायक अबू आजमी ने अपने सहयोगी के साथ उस दिन पद की शपथ ली, जिस दिन एमवीए ने ईवीएम के दुरुपयोग के विरोध में समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया था. बाद में, आजमी ने स्थानीय समाचार पत्र में शिवसेना (यूबीटी) के विज्ञापन को लेकर एमवीए छोड़ने की धमकी दी, जिसमें 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की प्रशंसा की गई थी.

कांग्रेस कार्यस मिति के विशेष आमंत्रित सदस्य मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने ईटीवी भारत से कहा कि सपा एमवीए का हिस्सा है और आगे भी रहेगी. उन्होंने कहा, "सपा प्रमुख अखिलेश यादव पार्टी की नीति तय करते हैं, न कि अबू आजमी."

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